अगरतला। त्रिपुरा की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)- स्वदेशी पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) की गठबंधन सरकार के एक फरमान के बाद विवाद की स्थिति पैदा हो गई है। दरअसल, एक ज्ञापन जारी करते हुए अधिकारियों से कहा गया है कि वे ड्यूटी के दौरान जींस, टीशर्ट आदि न पहनें। इस फैसले के बाद कांग्रेस और सीपीएम ने सरकार पर हमला शुरू कर दिया है।

प्रिंसिपल सेक्रटरी सुशील कुमार (एजुकेशन, रेवेन्यू ऐंड इन्फर्मेशन कल्चर अफेयर्स) ने ज्ञापन में राज्य स्तरीय आधिकारिक बैठकों में अफसरों को ड्रेस कोड का पालन करने को कहा है। यह भी कहा गया है कि कुछ अधिकारी बैठकों में मोबाइल फोन से मेसेज भेजने और पढ़ने में व्यस्त रहते हैं, जो अनादर का प्रतीक है।

20 अगस्त को जारी किया गया था ज्ञापन
ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि जिला मैजिस्ट्रेट, जिला प्रमुख होने के नाते एडीएम को गौर करने की जरूरत है कि राज्य की आधिकारिक बैठक, जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, मंत्री, मुख्य सचिव आदि लोग करते हों या अन्य हाई लेवल बैठकों में संबंधित ड्रेस कोड लागू हो। बता दें कि यह ज्ञापन 20 अगस्त को जारी किया गया था।

मीटिंग के वक्त न देखें मोबाइल
ज्ञापन के जरिए कहा गया है कि यदि आवश्यक कार्य है तो आप बैठक की अध्यक्षता कर रहे शख्स की इजाजत लेकर बाहर जाएं और कॉल या मेसेज देख लें। इसके साथ ही यह भी ज्ञापन में लिखा गया है कि कई अधिकारी उनसे बातचीत के वक्त जेब में हाथ डालकर बात करते हैं। इस पर भी गौर करने को कहा गया है। इन तमाम निर्देशों की आलोचना करते हुए कांग्रेस और सीपीएम ने इसे सरकार की सामंती मानसिकता बताया है। त्रिपुरा कांग्रेस के उपाध्यक्ष तपस डे ने कहा, ‘यह आदेश सरकार की सामंती मानसिकता को दर्शाता है।

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