• राजनीति : अपने ही जाल में फंसते जा रहे हैं झारखंड के तीन विधायक

करीब तीन सप्ताह तक हावड़ा जेल में बंद रहने के बाद झारखंड के तीन विधायक डॉ इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाड़ी जमानत पर बाहर आ गये हैं, लेकिन इनकी गिरफ्तारी के कारणों का अब तक पूरा खुलासा नहीं हो सका है। दूसरी तरफ इन तीन विधायकों ने खुद को फंसाये जाने की जो बात कही है, वह भी लोगों के गले नहीं उतर रही है। इतना ही नहीं, इन तीन विधायकों ने अपने पास से बरामद 49 लाख रुपये नगद के बारे में भी कोई तथ्यपरक सफाई नहीं दी है। हकीकत तो यह है कि ये विधायक इस रकम के बारे में जितनी सफाई दे रहे हैं, उतने ही फंसते जा रहे हैं। अपनी सफाई में कही गयी हर बात पर कई सवाल खड़े हो जा रहे हैं, जिनका जवाब इन विधायकों के पास नहीं है। इन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने की बात भी कही है, लेकिन फिलहाल तो इनके कोलकाता से बाहर निकलने पर ही रोक लगी हुई है। इसलिए यह भी अभी संभव नहीं दिखता। इन तीनों विधायकों के चुनाव क्षेत्र, जामताड़ा, खिजरी और कोलेबिरा के लोग अब भी यही जानने के लिए उत्सुक हैं कि उनके विधायकों के पास इतना पैसा कहां से आया और वे किस काम से कोलकाता गये थे। इन तीनों विधायकों के जेल से बाहर निकलने के दौरान उनके कुछ समर्थक जरूर जेल के बाहर मौजूद थे, लेकिन उनके मन का संदेह अब तक पूरी तरह दूर नहीं हुआ है। यह संदेह यदि कोई दूर कर सकता है, तो वह ये विधायक ही हो सकते हैं। आज वह जमाना नहीं रहा कि कोई किसी पर आरोप लगा कर वैसे ही निकल सकता है। इसलिए इन तीन विधायकों ने अपनी सफाई में जितनी बातें कहीं हैं, उनसे पैदा होनेवाले सवाल भी उतने ही महत्वपूर्ण है। उन सवालों को टटोलती आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह की खास रिपोर्ट।

पिछली 30 जुलाई को जब झारखंड के तीन विधायक डॉ इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाड़ी हावड़ा ग्रामीण क्षेत्र के पांचला में 49 लाख रुपये नगद के साथ पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गये थे, तब सियासत में भारी तूफान उठा था। कहा गया कि ये तीनों झारखंड सरकार को गिराने की साजिश में शामिल थे और उसके एवज में रकम लेकर लौट रहे थे। तमाम आरोपों-प्रत्यारोपों के बाद इन तीनों को जेल भेज दिया गया था। कलकत्ता हाइकोर्ट द्वारा जमानत दिये जाने के बाद तीनों विधायक करीब तीन सप्ताह बाद जेल से बाहर निकल आये हैं, लेकिन उनके कोलकाता से बाहर जाने पर रोक है। इसलिए अभी वहीं हैं। इस बीच झारखंड समेत पूरे देश में इस बात को लेकर एक बार फिर चर्चा होने लगी है कि आखिर इन विधायकों के पास इतनी रकम कहां से आयी और वे क्या करने कोलकाता गये थे। क्या यह रकम सही में झारखंड सरकार को गिराने के लिए दी गयी थी या फिर कोई दूसरा मामला था। इन सवालों का सही जवाब तो ये विधायक ही दे सकते हैं, या निष्पक्ष जांच से ही सामने आ सकता है, लेकिन फिलहाल ये अपनी सफाई में जो कुछ कह रहे हैं, उनसे स्थिति स्पष्ट होने की बजाय और उलझती जा रही है। ये विधायक अपनी सफाई में जो कुछ भी कह रहे हैं, उनसे कई सवाल पैदा हो रहे हैं और ये विधायक खुद अपने जाल में उलझते जा रहे हैं। कोई सामान्य व्यक्ति भी समझ सकता है कि ये विधायक जो कुछ कह रहे हैं, उनमें तनिक भी दम नहीं है। आइए, एक-एक कर जानते हैं कि ये विधायक अपनी सफाई में क्या कहते हैं और उनसे कितने सवाल पैदा होते हैं।

सफाई नंबर-1 : साड़ी खरीदने के लिए कोलकाता गये थे
इन विधायकों ने पहले कहा कि वे विश्व आदिवासी दिवस पर अपने इलाके में बड़ा कार्यक्रम करनेवाले थे। उस कार्यक्रम में गरीब महिलाएं को साड़ी देने की योजना थी। उसी साड़ी को खरीदने के लिए पैसे लेकर ये तीनों कोलकाता गये थे। यह दलील उसी समय गलत साबित हो गयी, जब उनसे पूछा गया कि आखिर यह रकम उनके पास आयी कहां से। क्या इतनी बड़ी रकम उन्होंने अपने खाते से निकाली थी या किसी से उधार ली थी या फिर चंदा वगैरह से एकत्र की थी। विधायक होने के बावजूद उन्हें पता नहीं था कि इतनी बड़ी मात्रा में नगदी साथ में रखना गैर-कानूनी है। ये विधायक इन सवालों का कोई जवाब नहीं दे पाये। यही नहीं इस बात का भी कोई माकूल जवाब उनके पास नहीं है कि तीनों के पैसे एक बैग में कैसे आ गये।

विश्व आदिवासी दिवस पर बांटने के लिए साड़ी खरीदने की बात उसी समय गलत साबित हो जाती है, जब यह तथ्य सामने आता है कि इससे पहले तो कभी इन विधायकों ने विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर अपने क्षेत्र में साड़ी नहीं बांटी, तो फिर इस बार क्या खास योजना थी। उस योजना की जानकारी विधायकों के क्षेत्र के लोगों तक को नहीं है। इस अवसर पर उन्होंने किसी कार्यक्रम की घोषणा पहले से नहीं की थी। थोड़ी देर के लिए यह मान भी लिया जाये कि वे साड़ी खरीदने ही गये थे, बगैर साड़ी के झारखंड लौटने के समय उनके पास नगदी कहां से आ गयी। क्या उन्होंने कोलकाता में खरीदारी नहीं की या फिर इतनी नगदी बच गयी। इतना ही नहीं, झारखंड से रवाना होने और अपनी गिरफ्तारी होने के बीच के करीब 36 घंटे ये विधायक कहां रहे और क्या करते रहे, इस बारे में तो वे कोई जवाब ही नहीं देते। कोलकाता के जिस होटल का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है, उसमें तो ये लोग महज आठ से दस मिनट ही रहे, तो फिर ये लोग बाकी समय कहां रहे, यह बड़ा सवाल है। जाहिर है 36 घंटे कोई विधायक सड़क पर या गाड़ी में तो रह नहीं सकता। फिर ये कहां थे।

सफाई नंबर-2: हमें साजिश के तहत फंसाया जा रहा है

इन विधायकों ने जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद कहा है कि उन्हें साजिश के तहत फंसाया जा रहा है। वे यह बात कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को बतायेंगे। इतना ही नहीं, उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के गुमराह होने और उनसे मिल कर सारी बातें साफ करने की बात भी कही है। विधायकों की इस सफाई से अब सवाल यह उठता है कि उन्हें फंसाने की साजिश किसने रची और इसका कारण क्या था। बिना कारण के तो कोई किसी को फंसाता नहीं है। दूसरा सवाल यह है कि इन विधायकों को फंसाने के लिए कोई 49 लाख रुपये दांव पर क्यों लगायेगा। इन विधायकों को बताना चाहिए कि उनके खिलाफ साजिश रचनेवाला कौन है और उसका उद्देश्य क्या है।

कुल मिला कर ये विधायक जो कुछ भी कह रहे हैं, उनसे स्थिति सुलझने की बजाय उलझती ही जा रही है। ये अपनी सफाई में कुछ कहते हैं, तो उससे ये खुद फंसते नजर आ रहे हैं। इनका राजनीतिक कैरियर भले ही आज एक तरह से खत्म होने की कगार पर पहुंचता नजर आ रहा है, लेकिन इनके पास एक मौका है। वह है कि वे साफ-साफ और सच बात दुनिया को बता दें, ताकि लोग जान सकें कि वे 49 लाख रुपये किसके थे। अभी तक तो सफाई में वे जो भी बातें कह रहे हैं, वह हजम नहीं हो रही।

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