विशेष
-आकाश एक ऐसा जौहरी है, जो बच्चों को तराश उन्हें भारत की मजबूत नींव के लिए तैयार करता है
-कैसे आकाश से निकला बच्चा अपने परिवार और आने वाली पीढ़ियों को मजबूती प्रदान कर रहा है
-एक टैक्सी चालक की बेटी आज रिम्स में एमबीबीएस कर रही है, शहीदों के बच्चे भी मुफ्त में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं
आजाद सिपाही की टीम जब आकाश प्लस बाइजूस जमशेदपुर ब्रांच पहुंची, तो देखा कि वहां के सभी स्टाफ अपने काम में लगे हुए हैं। कोई सिस्टम पर बैठा काम कर रहा है, तो कोई इंटरव्यूज कंडक्ट कर रहा है। कहीं क्लास रूम में बच्चों की पढ़ाई चल रही है, तो बहुत से लोग जानकारी लेने के लिए भी वहां आये हुए थे। यहां तक कि वहां का प्यून भी वेल ड्रेस्ड था और अपनी जिमेदारियों को बखूबी निभा रहा था। वहां का वर्क कल्चर देख कर मजा आ गया। लगा, सच में आकाश का नाम आकाश यूं ही नहीं है। मैं भी आकाश इंस्टिट्यूट को समझना चाहता था। आखिर आकाश इंस्टिट्यूट कैसे बच्चों को तैयार करता है। कैसे पढ़ाई के क्षेत्र में उनका संपूर्ण विकास करता है। कैसे आकाश टॉपर्स देता है। आकाश कोचिंग जमशेदपुर में प्रवेश करते ही मुझे ज्ञात हो गया कि यह संस्थान बहुत प्रोफेशनल है। वेल बिहेव्ड स्टाफ, अपने काम में परिपूर्ण। उनमें संस्थान के प्रति जिमेदारी साफ दिखाई पड़ रही थी। मेरी नजर आकाश के नोटिस बोर्ड पर भी पड़ी। वहां टैलेंट हंट एग्जाम का पोस्टर लगा था। देख कर लगा कि इस टैलेंट हंट के जरिये उन बच्चों को भी स्कॉलरशिप मिल सकता है,आकाश में पढ़ने का सपना पूरा हो सकता है, जो प्रतिभाशाली तो हैं, लेकिन फीस अफोर्ड नहीं कर पाते। यह एग्जाम बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों के लिए भी बहुत बड़ा सपोर्ट है। इस एग्जाम के जरिये आकाश को उन बच्चों से जुड़ने का मौका मिल जाता ह,ै जो टैलेंटेड तो हैं, लेकिन कहीं खो से रहे हैं। आकाश कोचिंग उन प्रतिभाओं को पहचानता है, उन्हें निखारता है और आकाश जैसी ऊंचाई हासिल करने के लिए माध्यम बनता है। आकाश की एक और बात मुझे बहुत प्रभावित कर गयी कि आकाश शहीदों के बच्चों को फ्री में कोचिंग देता है। पुलिस जवानों के बच्चों के लिए भी स्पेशल स्कॉलरशिप मुहैया करवाता है। यह बहुत ही नेक सोच है। आकाश अपने टैग लाइन ‘थिंक बिग थिंक डिफरेंट’ पर खरा उतरना की पूरी कोशिश करता है। मेरी मुलाकात आकाश इंस्टिट्यूट जमशेदपुर के डिप्टी डायरेक्टर रमन प्रसाद से हुई। ऊर्जा से भरे हुए और एक प्राउड आकाशियन। बिजी थे, लेकिन उन्होंने हमारे लिए अपना महत्वपूर्ण समय निकाला। मैंने उनका इंटरव्यू किया। कई सवाल किये, कुछ कड़े सवाल भी थे, लेकिन रमन ने खुल कर सभी सवालों का बेबाक जवाब दिया। प्रस्तुत है आकाश इंस्टिट्यूट को समझने वाला चैप्टर, जिसे जाना और समझा आजाद सिपाही के विशेष संवादाता राकेश सिंह ने।
सवाल: ‘थिंक बिग थिंक डिफरेंट’ आकाश इंस्टिट्यूट क्या है ?
जवाब: आकाश जैसा नाम है, वैसा ही उसका काम है। आकाश कोचिंग इंस्टिट्यूट बच्चों को आकाश जैसी ऊंचाई को हासिल कराने का एक स्रोत है। एक जरिया है, एक रास्ता है। आकाश बाइजूस के भारत भर में जितने भी कोचिंग सेंटर हैं, उनका मकसद है भारत वर्ष के बच्चों को नेशनल कंपीटीशंस में और साइंस के क्षेत्र में अच्छा परफॉर्म करने के लिए प्रेरित करना और उन्हें तैयार भी करना। जैसा कि आकाश का टैग लाइन है ‘थिंक बिग थिंक डिफरेंट’। अगर बच्चे बड़ी सोच रखेंगे, हट कर सोचेंगे, तभी उनका भी ग्रोथ होगा और देश का ग्रोथ होगा। इस सोच से बच्चे भीड़ का हिस्सा नहीं बनेंगे। वे सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य की ओर अपना मार्ग प्रशस्त करेंगे। आकाश एक सिस्टम है, जिस सिस्टम के तहत आकाश से जुड़ा हर व्यक्ति काम कर रहा है, चाहे वे छात्र हों, टीचर्स हों, एडमिनिस्ट्रेटिव या एकेडेमिक्स स्टाफ हों। यह एक ऐसा सेटअप ह,ै जो पर्सन सेंट्रिक नहीं है। सब अपनी-अपनी जगह पर पहले से ही डिफाइन किये हुए हैं। पढ़ने से लेकर पढ़ाने तक का सिस्टम बना हुआ है। इस सिस्टम की संरचना कुछ इस तरह की गयी है, जिससे बच्चों के सफल होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। इस सिस्टम के तहत ही टेस्ट होता है, चाहे वह वीकली टेस्ट हो या टर्म टेस्ट हो या आकाश का आॅल इंडिया टेस्ट सीरीज हो, जहां सारे आकाशियंस को मिलाकर रैंकिंग दी जाती है। इससे बच्चों में एक कानफिडेंस डेवलप होता है। शिक्षक को भी पता चलता है कि जो वह पढ़ा रहे हैं, वह सही तरीके से बच्चों के लिए काम कर रहा है या नहीं। बहुत ही रिसर्च और तजुर्बा के बाद आकाश ने अपना सिस्टम इजाद किया है।
सवाल: आकाश इंस्टिट्यूट खुद को बेस्ट कहता है। क्यों और कैसे?
जवाब: देखिये मैं पर्सनली कहता हूं कि आकाश बेस्ट है। मैं खुद एक आकाशियन रह चूका हूं। कक्षा नौ से 12 मैंने खुद आकाश कोचिंग से ही पढ़ाई की। उसके बाद जेइइ में मेरा अच्छा रैंक आया। फिर मुझे स्कॉलरशिप भी मिला। देखिये, पिछले 10 सालों में शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ज्यादा परिवर्तन आया है। आकाश ने भी सही समय पर उस परिवर्तन को पहचाना और समय के साथ कदमताल कर उसने अपने में बहुत से पॉजिटिव चेंज किये हैं। उसको मैंने बहुत नजदीक से देखा है। चूंकि मैं आकाश से कक्षा नौ से ही जुड़ा था, उस वक्त की किताबों और स्टडी मेटेरियल को मैंने पढ़ा है। आज की किताबों और स्टडी मेटेरियल को मैं जब देखता हूं, तो उसमें बहुत परिवर्तन नजर आता है। इस परिवर्तन को देख कर यही लगता है कि हम लोग सही दिशा में जा रहे हैं। आज का वर्ल्ड डिजिटल हो चुका है। ये तो अभी शुरूआत मात्र है। आकाश भी इस परिवर्तन के साथ बखूबी आगे बढ़ रहा है। एक उदाहरण देना चाहूंगा यहां पर। जब मैं आकाश में पढ़ाई करता था, यहां का स्टडी मेटेरिल बहुत ही अच्छा था, लेकिन उस वक्त कोई भी डिजिटल चीज नहीं थी। लेकिन आज मैं जब आकाश को देखता हूं, तो आकाश ने अपने स्टडी मेटेरियल तक को फिजिटल कर दिया है, मतलब फिजिकल प्लस डिजिटल। आज आपको आकाश के बुक्स और स्टडी मेटेरियल में क्यूआर कोड मिलेंगे। साथ में उसके सॉल्यूशंस भी मिलेंगे। इन सब चीजों से बच्चों को बहुत मदद मिल जाती है। एक और उदाहरण यहां मैं देना चाहूंगा। जब में जेइइ की तैयारी कर रहा था, तो उस वक्त अगर मुझे कोई डाउट होता था, कोई सवाल अगर समझ में नहीं आता था, तो मुझे उस वक्त रुकना पड़ता था। इंतजार करना पड़ता था कि कब मैं आकाश जाऊंगा और टीचर से अपना डाउट क्लीयर करूंगा। लेकिन आज के दौर में अगर रात के बारह बजे भी बच्चों को कोई डाउट होता है, तो बस उसे अपने फोन से क्यूआर कोड को स्कैन करना है और उसे वहीं पर उसी वक्त सॉल्यूशन मिल जाता है। ये जो ट्रांसफॉर्मेशन है आकाश का कि समय के साथ परिवर्तन को अपनाना और उसके साथ सकारात्मक तरीके से चलना, यही आकाश कोचिंग इंस्टिट्यूट की खूबसूरती है। यही इसके बेस्ट होने का फार्मूला है। आकाश एक काम और करता है। आकाश शहीदों के बच्चों को फ्री में कोचिंग देता है। आकाश ने जितने भी पुलिस जवान हैं, सीआरपीएफ के जवान हैं, उनके बच्चों के लिए भी स्पेशल स्कॉलरशिप की फैसिलिटी दी है। आकाश का मानना है कि जो जवान बॉर्डर पर खड़े रहकर हमारी सुरक्षा करते हैं, पुलिस वाले राज्यों में हमारी सुरक्षा करते हैं, उन्हें भी हम उतना ही सम्मान दें। आकाश बेस्ट इसीलिए है, क्योंकि आकाश बड़ा सोचता है अलग सोचता है।
सवाल: आकाश का एक टैलेंट हंट एग्जाम होता है, जिसे एंथे के नाम से भी जाना जाता है, जिससे बच्चों को स्कॉलरशिप मिलती है। उसके बारे में बतायें।
जवाब: आकाश टैलेंट हंट एग्जामिनेशन, जिसे पिछले 14 सालों से कंडक्ट किया जा रहा है। आकाश कोचिंग के फाउंडर और चेयरमैन जेसी चौधरी का विजन था इस एग्जाम के जरिये देश के कोने-कोने से टैलेंट को पहचानना और उन बच्चों को स्कॉलरशिप के जरिये फाइनेंशियल सपोर्ट देना। इसके पीछे मुख्या उद्देश्य यही था कि देश का कोई भी टैलेंटेड बच्चा पैसों के अभाव में पढ़ाई से वंचित न रह पाये। आज आकाश का टैलंट हंट एग्जाम बहुत ही बड़ा रूप ले चुका है। इस एग्जाम को सातवीं कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा के छात्र देते हैं। इस परीक्षा के जरिये बच्चे एक सौ प्रतिशत तक का स्कॉलरशिप भी हासिल कर सकते हैं। इसमें कैश अवार्ड भी मिलता है, स्टेट रैंक भी मिलता हैं, इंडिया रैंक भी मिलता है और भी बहुत सारे पर्क्स भी बच्चों को मिलता है। उदाहरण के तौर पर एक सौ बच्चों का पांच दिन के लिए नेशनल साइंस एक्सपेडिशन का कंप्लीट स्टे। ये सारी चीजें बच्चों को प्रेरित भी करती हैं कि वे अपने अभिभावक को एक गिफ्ट दे सकें। आकाश के इस एग्जाम से वे बच्चे, जो सुदूरवर्ती गांव में भी बैठा है और पढ़ना चाहता है, टैलेंटेड है, जिनके पैरेंट्स पढ़ाई को अफोर्ड नहीं कर पा रहे हैं, उनके लिए यह परीक्षा बहुत बड़ा मौका होता है। यह सिर्फ बच्चों के लिए ही मौका नहीं होता, आकाश के लिए भी मौका होता है कि उसके साथ सही टैलेंट जुड़ रहा है।
सवाल: आकाश ऊंची उड़ान के लिए बच्चों को तैयार कैसे करता है?
जवाब: आकाश कोचिंग के तीन विंग्स हैं। फाउंडेशन, इंजीनियरिंग और मेडिकल। फाउंडेशन विंग कक्षा आठवीं से लेकर दसवीं तक के छात्रों के लिए है। इसके माध्यम से बच्चों की नींव को मजबूत किया जाता है। फाउंडेशन विंग बच्चों को बिलकुल क्लीयर पिक्चर दे देता है कि उसे आगे चलकर किस क्षेत्र में जाना है। उसे डॉक्टर बनना है, इंजीनियर बनना है, लॉयर बनना है, आइएएस बनना है। फाउंडेशन विंग उन बच्चों के कांसेप्ट को क्लीयर करता है, समझ को मजबूती प्रदान करता है। आज के दौर में बच्चे ज्यादातर किताबी ज्ञान पर आश्रित रहते हैं। उसे ही अपना आधार मान आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं। लेकिन किताबों से आगे भी एक दुनिया है, जिससे परिचित होना सही समय पर बहुत जरूरी है। आकाश अपने फाउंडेशन कोर्स के माध्यम से उन बच्चों को सही दिशा देने की कोशिश करता है।
सवाल: आज के बच्चे बहुत ज्यादा कंफ्यूज रहते हैं कि उन्हें लाइफ में करना क्या है। कभी उन्हें इंजीनियर बनना होता है, कभी डॉक्टर बनना होता है। अगर बनना है, तो क्यों बनना है, उन्हें शुरूआती दौर में लक्ष्य की क्लैरिटी नहीं होती। अगर सही समय पर उन्हें गाइड कर दिया जाये, तो वे अपना मार्ग सही समय पर चुन सकते हैं। इसके बारे में कुछ बतायें?
जवाब: आपने बिलकुल सही बात बोली है। देखिये आधे से ज्यादा बच्चों को जो मैंने देखा है इतने सालों में, वे अपने पेरेंट्स के प्रेशर में आकर निर्णय लेने को मजबूर हो जाते हैं। जैसे अगर डॉक्टर के बच्चे हैं, तो शुरू से उन बच्चों का माइंडसेट रहता है कि उन्हें डॉक्टर ही बनना है। लेकिन क्यों, यह क्लीयर होना चाहिए। पेरेंट्स ने कहा है, दबाव बनाया है, तो यह नहीं होना चाहिए। बच्चों के अंदर से आवाज आनी चाहिए कि वह यह कर सकता है। बच्चों को अपने करियर के सही चुनाव का हक होना चाहिए। उन पर प्रेशर नहीं थोपना चाहिए। देखिये आज कंपीटीशन का जमाना है। कंपिटिटिव एग्जामिनेशन का जमाना है। पेरेंट्स भी इस रेस में शामिल हैं। यहां समझने वाली बात यह है कि कोई भी बच्चा अगर पॉजिटिव नोट पर दिल से कंपिटिटिव एग्जाम की तैयारी में लगा हुआ है, तो उसके वह कंपीटीशन आसान लगने लगेगा। लेकिन जैसे ही वह प्रेशर लेने लगेगा, तो वही चीजें उसके लिए पहाड़ जैसी लगने लगेंगी।
सवाल: प्रेशर की बात करें, तो आज की तारीख में बहुत से अभिभावक बच्चों पर पढ़ाई के लिए बहुत प्रेशर डालते हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है। बच्चे स्कूल जाते हैं। छह घंटे की पढ़ाई के बाद मेंटली और फिजिकली बहुत थक जाते होंगे, उसके बाद कोचिंग का प्रेशर, तो आकाश क्यों आयें बच्चे?
जवाब: देखिये आकाश में आने का कारण है। स्कूल की कुछ लिमिटेशंस होती हैं। मैं किसी को ब्लेम नहीं कर रहा, लेकिन स्कूल की लिमिटेशंस यह है कि उन्हें सारे सब्जेक्ट्स एक निर्धारित समय सीमा के अनुसार पढ़ाना है। साथ में वेकेशंस भी होते हैं। टीचर्स चाह कर भी पर्टिकुलर सब्जेक्ट के टॉपिक को बहुत ज्यादा एक्सप्लेन नहीं कर पाते, क्योंकि समय उनके पास उतना ही है, जहां उन्हें सिलेबस सही समय पर कंपलीट करवाना है, क्योंकि वे टाइम से बंधे हुए होते हैं। हमारे यहां आकाश में फाउंडेशन कोर्स में मैथ्स, साइंस और इंग्लिश पर ही फोकस किया जाता है, तो हमें पर्टिकुलर टॉपिक को पढ़ाने का पर्याप्त समय मिलता है। उस टॉपिक पर ज्यादा से ज्यादा समय दिया जा सकता है। यहां हम सिर्फ किताबी ज्ञान पर फोकस नहीं करते। किताब से बाहर भी दुनिया है, जो बहुत ही प्रैक्टिकल है, उसे भी हम डिस्कस करते हैं।
सवाल: आकाश में कितने घंटे का क्लास होता है? क्या बच्चों की पढ़ाई के दौरान पनपते प्रेशर को कम करने के लिए आकाश कोई एक्टिविटी में भी पार्टिसिपेट करता है?
जवाब: आकाश में शाम चार बजे से आठ बजे तक क्लासेज चलते हैं। कुल चार घंटे, जिसमें बच्चों को 15 -15 मिनट का ब्रेक भी दिया जाता है, ताकि वे रिलैक्स हो पायें। प्रेशर की बात करें, तो आकाश बच्चों के लिए मोटिवेशन टॉक आॅर्गेनाइज करवाता है। बच्चों को यहां फ्रेंडली वातावरण में रखा जाता है। कैसे बच्चों के लिए वातारण फ्रेंडली हो, उसके लिए हमारी एकेडेमिक टीम बहुत मेहनत करती है। नये-नये आइडियाज का इजाद करती है।
सवाल: आकाश का नीट और जेइइ के एग्जामिनेशन में पिछले पांच सालों में कैसा परफॉरमेंस रहा ?
जवाब: अभी रीसेंट की बात करें तो लास्ट इयर स्टेट रैंक वन हमने दिया था नीट में। इस वर्ष भी सिटी में रैंक वन हमने दिया है। स्टेट की बात करें, तो टॉप थ्री में हमारे बच्चे रहते ही हैं। पिछले पांच सालों में हमने नीट एग्जाम में सिटी रैंक वन तो कनफर्म दिया है। स्टेट की बात करें, तो आकाश की बोकारो और जमशेदपुर शाखा में कंपीटीशन रहता है कि स्टेट रैंक वन कौन दे रहा है। जेइइ में भी हमारा रिजल्ट बेहतरीन रहा है। जेइइ मेन हो या एडवांस्ड, इसमें हमारा रिजल्ट परसेंटेज सबसे ज्यादा रहा है।
सवाल: आकश का बेहतर रिजल्ट होता कैसा है। जरा अपने टीचिंग स्टाइल के बारे में बतायें?
जवाब: सबसे पहले पर्सनल अटेंशन, जो यहां के टीचर्स हर स्टूडेंट को देते हैं। उसके बाद फिक्स्ड डाउट सेशंस होते हैं। आकाश एक सिस्टम है, जिसके तहत आकाश से जुड़ा हर व्यक्ति काम कर रहा है। यह सिस्टम इस कदर डिफाइन किया हुआ है, जिससे बच्चों का सक्सेसफुल होना तय है। इसी सिस्टम को यहां के टीचर्स भी फॉलो करते हैं। एक-एक स्टाफ फॉलो करता है। टीचिंग मेटेरियल्स से लेकर टीचिंग स्टाइल भी उस सिस्टम का हिस्सा है। शिक्षकों की बहाली से लेकर छात्रों का सेलेक्शन, उन्हें पढ़ाने का पैटर्न और एग्जामिनेशन भी उसी सिस्टम का हिस्सा है।
सवाल: आकाश कोचिंग में आप फैकल्टी का चुनाव कैसे करते हैं?
जवाब: आकाश में जो फैकल्टी का चुनाव होता है, उसका एक सिस्टेमैटिक प्रोसेस है। एक प्रॉपर सिस्टम डिफाइन किया हुआ है हायरिंग का, जिसमे अलग-अलग पड़ाव हैं, जो सारी चीजों को टेस्ट करते हैं। एक-एक प्वाइंट पर लोगों को टेस्ट किया जाता है, छोटी-छोटी चीजों पर टीचर्स का जजमेंट होता है। जो हर पड़ाव में निखर कर आते हैं, वे ही आकाश के फैकल्टी हो सकते हैं या आकाश के साथ जुड़ सकते हैं।
सवाल: कुछ स्टूडेंट्स की सक्सेस स्टोरीज आप शेयर करना चाहेंगे, जिन पर संस्थान भी गर्व महसूस करता हो ?
जवाब: बहुत दूर नहीं, अभी हाल की एक सक्सेस स्टोरी को में आपसे शेयर करना चाहूंगा। हमारे लास्ट इयर के स्टेट टॉपर, जिनका नाम आयुष कुमार झा है। उन्होंने आकाश के साथ कक्षा आठवीं से कक्षा बारहवीं तक पढ़ाई की। वह बहुत ही हंबल बैकग्राउंड से आते हैं। यहां हंबल का तात्पर्य है कि बहुत ही सामान्य परिवार से आते हैं। उनके पिता और माता बहुत ही सिंपल हैं। चाहे बारिश हो, बहुत गर्मी हो, क्लास में एसी कभी नहीं चल रहा हो, उस बच्चे को कभी कोई फर्क नहीं पड़ा। अगर 15 टेस्ट है, तो उसने सारे टेस्ट में हिस्सा लिया। आज वह बच्चा एम्स दिल्ली में पढ़ रहा है। एम्स दिल्ली इंडिया का बेस्ट मेडिकल कॉलेज है। जब आयुष वहां से एमबीबीएस ग्रेजुएट करेगा, आगे पीजी करेगा, तब वह अपने सामान्य से परिवार को और आने वाली पीढ़ी को कितनी मजबूती प्रदान करेगा, समझा जा सकता है।
एक और घटना का जिक्र में करूंगा। मैं रांची एयरपोर्ट से जमशेदपुर आ रहा था। रात का समय था। मैंने टैक्सी ली। टैक्सी मैं बैठकर मैं लगातार फोन पर बात कर रहा था। चुकी काम का फोन आते ही रहता है तो मैं कॉल पर लगा था। जब गाड़ी आधे रास्ते पहुंची, तो ड्राइवर ने मुझसे पूछा कि सर आप आकाश से हैं क्या? मैंने कहा, हां मैं आकाश से हूं। मुझे लगा कि वह ऐसा क्यों पूछ रहा है। फिर मैंने टैक्सी वाले से पूछा, क्या हुआ बताइये। फिर टैक्सी वाले ने जवाब दिया और उसका जवाब सुन कर मैं दंग रह गया। मुझे बड़ा गर्व महसूस हुआ। टैक्सी वाले ने कहा कि सर, मैंने भी अपनी बेटी को आकाश जमशेदपुर में पढ़ाया था। मैंने कहा यह तो बहुत अच्छी बात है। फिर मैंने पूछा, अभी आपकी बेटी कहां पढ़ाई कर रही है। उस टैक्सी वाले ने कहा कि सर अभी वह रांची के रिम्स (राजेंद्र इंस्टिट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेस) में एमबीबीएस कर रही है। यह सुनते ही जो खुशी मुझे मिली, वह अकल्पनीय थी। देखिये, जो भी बच्चा सामान्य से परिवार से आकर जिंदगी में अच्छा करता है, वह समाज को बहुत बड़ा मैसेज देता है। मैसेज यह कि चाहे कोई भी परिस्थिति हो, अगर किसी को सफल होना है, तो वह सफल होता ही है। उस टैक्सी वाले ने कहा कि उसके और तीन बच्चे हैं। उन्हें भी मैं आकाश में ही पढ़ाऊंगा। यह सब सुनकर मुझे बहुत सैटिस्फैक्शन मिला कि हम भी किसी की जिंदगी को बेहतर बनाने में कुछ कंट्रीब्यूट कर रहे हैं।
फाउंडेशन विंग बच्चों को बिलकुल क्लीयर पिक्चर दे देता है कि उसे आगे चलकर किस क्षेत्र में जाना है। उसे डॉक्टर बनना है, इंजीनियर बनना है, लॉयर बनना है, आइएएस बनना है। फाउंडेशन विंग उन बच्चों के कांसेप्ट को क्लीयर करता है, समझ को मजबूती प्रदान करता है। आज के दौर में बच्चे ज्यादातर किताबी ज्ञान पर आश्रित रहते हैं। उसे ही अपना आधार मान आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं। लेकिन किताबों से आगे भी एक दुनिया है, जिससे परिचित होना सही समय पर बहुत जरूरी है। आकाश अपने फाउंडेशन कोर्स के माध्यम से उन बच्चों को सही दिशा देने की कोशिश करता है।
आधे से ज्यादा बच्चे अपने पेरेंट्स के प्रेशर में आकर निर्णय लेने को मजबूर हो जाते हैं। जैसे अगर डॉक्टर के बच्चे हैं, तो शुरू से उन बच्चों का माइंडसेट रहता है कि उन्हें डॉक्टर ही बनना है। लेकिन क्यों, यह क्लीयर होना चाहिए। पेरेंट्स ने कहा है, दबाव बनाया है, तो यह नहीं होना चाहिए। बच्चों के अंदर से आवाज आनी चाहिए कि वह यह कर सकता है। बच्चों को अपने करियर के सही चुनाव का हक होना चाहिए। उन पर प्रेशर नहीं थोपना चाहिए। देखिये आज कंपीटीशन का जमाना है। कंपिटिटिव एग्जामिनेशन का जमाना है। पेरेंट्स भी इस रेस में शामिल हैं। यहां समझने वाली बात यह है कि कोई भी बच्चा अगर पॉजिटिव नोट पर दिल से कंपिटिटिव एग्जाम की तैयारी में लगा हुआ है, तो उसके वह कंपीटीशन आसान लगने लगेगा। लेकिन जैसे ही वह प्रेशर लेने लगेगा, तो वही चीजें उसके लिए पहाड़ जैसी लगने लगेंगी।