-संथाल परगना बिल्डर्स के माध्यम से बाबूलाल ने खरीदी सैकड़ों एकड़ जमीन
• मरांडी का काला धन इसी कंपनी में निवेश होता है
• जल्द ही बाबूलाल मरांडी के कारनामों को इडी को सौंपा जायेगा, कार्रवाई नहीं हुई तो छत्तीसगढ़ की तरह होगा एजेंसी का विरोध
• एक-एक कर अब बाबूलाल और भाजपा नेताओं के काले कारनामों को सबूतों के साथ उजगार किया जायेगा
आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने आरोप लगाया है कि भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने संथाल परगना बिल्डर्स नामक कंपनी के माध्यम से सैकड़ों एकड़ जमीन अवैध तरीके से खरीदी है। शुक्रवार को यहां मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि इस कंपनी में बाबूलाल मरांडी के काले धन को खपाया जाता है। झामुमो ने संथाल परगना बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कागजात दिखाते हुए कहा कि इस कंपनी में तीन निदेशक हैं, जिनमें एक बाबूलाल मरांडी के छोटे भाई रामिया मरांडी हैं। दूसरी निदेशक सुनील तिवारी की पत्नी नीलिमा तिवारी हैं और तीसरे निदेशक मिहिजाम के योगेंद्र तिवारी हैं, जो बड़े जमीन दलाल हैं। कंपनी और जमीन दलाल के जरिये संथाल परगना में सैकड़ों एकड़ जमीन खरीदी गयी है। इतना ही नहीं, इस कंपनी में बाबूलाल मरांडी के काले धन को खपाया जाता है। ये सब बातें जब भाजपा को पता चल गयीं और बाबूलाल मरांडी को हड़काया गया, तो उन्होंने भाजपा में जाना ही उचित समझा। मतलब साफ है कि हर गलत काम करने वालों की सबसे सुरक्षित जगह भाजपा बन गयी है।
जेल जाने से बचने के लिए भाजपा में शामिल हुए मरांडी
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा, मरांडी कहते हैं कि वह कुतुब मीनार से कूद गये थे, भाजपा ने उन्हें बचा लिया। मगर सच यह है कि बाबूलाल जेल जाने से बचने के लिए भाजपा में शामिल हुए। अब मरांडी भाजपा में अपनी छवि को साफ-सुथरा करने के लिए हर दिन अनाप-शनाप बोल रहे हैं। अगर इडी सचमुच में जमीन घोटाले की जांच कर रही है या निष्पक्ष जांच करना चाहती है, तो अपना दायरा बढ़ाये और केंद्र सरकार का टूल बनने से बचे। नहीं तो छत्तीसगढ़ की तरह यहां भी इडी का विरोध होगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में और कागजात व सबूतों को सिलसिलेवार ढंग से प्रस्तुत करते हुए सामने लाया जायेगा।
समन देना छवि खराब करने की सोची-समझी रणनीति
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा, जैसे ही कोरोना खत्म हुआ, सरकार अपने काम पर लग गयी। जब सरकार ने जनता का काम करना शुरू किया और इसका फायदा लोगों को मिलने लगा, तो एक विकासशील सरकार की छवि खराब करने और सरकार को अस्थिर करने का काम शुरू कर दिया गया। जब सरकार गिराने में भाजपा सफल नहीं हुई, तो केंद्रीय जांच एजेंसियों को सरकार की छवि खराब कराने में लगा दिया। अगर मुख्यमंत्री से कुछ पूछना है, तो बहुत सारे माध्यम हैं। जानकारी ली जा सकती थी। मगर सीएम को समन करने का सीधा मतलब है कि सरकार की छवि को देश और मीडिया के समक्ष खराब करना। यह अब राज्य और देश की जनता समझ रही है। केंद्र सरकार विपक्षी एकता से घबरा गयी है। इसलिए छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के यहां भी इडी का रेड पड़ा, क्योंकि वहां जल्द ही चुनाव होने वाले हैं। मगर वहां पर इडी को जन विरोध का सामना करना पड़ा है।
वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव की छवि खराब करने की कोशिश
सुप्रियो भट्टाचार्य और कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि करीब आधे दिन तक मीडिया में यह खबर चलती रही कि वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव के यहां इडी का छापा पड़ा। अचरज की बात है कि अगर उनके बेटे का कोई संबंध था और उससे पूछना था, तो कई और तरीके हो सकते थे। मगर सीधे मंत्री के यहां बिना समन और नोटिस के पहुंच जाना सीधे तौर पर उनकी छवि को खराब करने जैसा था। पूरा देश और राज्य जानता है कि वह पुलिस सेवा के आला अफसर रहे हैं, मैनुअल और नियम वह अच्छी तरह जानते हैं। संविधान समिति के अध्यक्ष रहे, पूर्व सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे हैं। मगर ऐसे साफ छवि वाले नेता-मंत्री को बदनाम करने का प्रयास भाजपा ने इडी के माध्यम से किया।