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    Home»विशेष»धर्म-पर्व»पितृपक्ष मेला में  गया और आसपास के इलाके में  आ जाती है आर्थिक समृद्धि
    धर्म-पर्व

    पितृपक्ष मेला में  गया और आसपास के इलाके में  आ जाती है आर्थिक समृद्धि

    azad sipahiBy azad sipahiSeptember 22, 2019No Comments3 Mins Read
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     गया । पूरे विश्व में इन दिनों आर्थिक मंदी को लेकर हर क्षेत्र में चर्चा हो रही है मगर  पितृपक्ष मेले के करण  गयाजी में पिछले दस दिनों के अंदर कई करोड़ रुपए का कारोबार हो चुका है। अनुमान है कि पितृपक्ष मेला की समाप्ति तक करीब एक अरब रुपए का ट्रांजेक्शन (लेन-देन) गयाजी में हो जाएगा।
    सनातन धर्मावलंबियों के विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला में देश-विदेश‌ से लाखों की संख्या में तीर्थयात्री अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति की कामना लेकर गया श्राद्ध करने आते हैं। प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक करीब तीन लाख के आसपास तीर्थयात्री गया श्राद्ध करने के लिए आ चुके हैं। पिंडदानी अपने सामर्थ्य के अनुसार गया श्राद्ध के निमित्त खर्च करते हैं।
    औसतन प्रति पिंडदानी का कम से कम पांच हजार रुपया गया श्राद्ध पर ख़र्च आता है। इनमें पंडा जी को सुफल को लेकर दी गई राशि शामिल नहीं है। गया श्राद्ध में पिंडदानी पंडा जी के समक्ष शैय्या दान करते हैं। शैय्या दान में दैनिक उपभोग के काम आने वाले खाना बनाने से लेकर खाने के लिए पीतल के बर्तन,सोने के लिए खटिया  -चौकी-पलंग सहित कंघी-तेल एवं अन्य सामग्री शामिल हैं।
     बर्तन के कारोबारी बबलु और कन्हाई की मानें तो विष्णुपद मंदिर परिसर और आसपास के इलाके में बर्तन कारोबारी औसतन प्रत्येक दिन पंद्रह से बीस लाख रुपए से अधिक का बर्तन बेच लेते हैं। बबलु के अनुसार राशि में बढ़ोतरी की हमेशा संभावना बनी रहती है।
     पितृपक्ष मेला में फूल-माला की मांग की पूर्ति गया और आसपास के इलाके से संभव नहीं है। ऐसे में कई कारोबारी हावड़ा से प्रतिदिन पांच से दस लाख रुपए से अधिक की  फूल-माला गया जी मंगाते हैं। शराबबंदी के कारण बोधगया और गया में स्थित होटल कारोबार प्रभावित हुआ है।
     बोधगया आने वाले विदेशी पर्यटक प्राय:  देर शाम के बाद उत्तर प्रदेश के शहरों की ओर निकल जाते हैं। ऐसे में पितृपक्ष मेला में सत्रह दिवसीय गयाजी श्राद्ध करने वालों के लिए गया और बोधगया में आवासन एक बड़ी समस्या हमेशा से रही है।पिंडदानी कई करोड़ रुपए होटलों में ठहरने के लिए खर्च  करते हैं।
    पिंडदानी गया श्राद्ध के लिए आवासन स्थल से भिन्न वेदियों और अन्य स्थानों पर आने-जाने के लिए वाहन-टेम्पो भाड़े पर लेते हैं। टैक्सी चालक अमित के अनुसार पितृपक्ष में  दो हजार से अधिक भाड़े पर चलने वाली कार एवं अन्य सवारी गाड़ियां   हैं।  गया के अतिरिक्त आसपास के इलाके से सवारियों को ढोने के लिए  सैंकड़ों की संख्या में टेम्पों गया जी में इन दिनों चल रहे हैं।
     गयापाल पंडा समाज के वरिष्ठ सदस्य महेश लाल गुपुत,शिव कुमार भैय्या, मणिलाल बारिक सहित कई पंडों  का कहना है कि सुफल में प्राप्त दक्षिणा पिंडदानी अपने सामर्थ्य के अनुसार दिया करते हैं,कोई जोर जबरदस्ती नहीं होती है।
    महेश लाल गुपुत ने बताया कि नेपाल नरेश गया श्राद्ध करने आए थे। नेपाल नरेश ने पंडा समाज के कई सदस्यों से कहा कि उनके पास सवा किलो जौ  है जो वे दक्षिणा में दान देने के लिए साथ लाए हैं। इसी से उन्होंने यहां गया श्राद्ध किया जिसके बाद  नेपाल नरेश ने गया श्राद्ध सवा किलो  जौ में संपन्न कराने वाले पंडा जी को पूरे नेपाल रियासत की यजमानी देने का आदेश दे दिया। दरअसल वह जौ सोने का था ।

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