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झारखंड में इन दिनों नाबालिग बच्चियों को जिहादी जिस तरह से निशाना बना रहे हैं, यह आनेवाले दिनों में झारखंड के लिए नासूर बन सकता है। पहले दुमका की हिंदू नाबालिग बच्ची अंकिता सिंह को मुसलमान युवक शाहरुख हुसैन और नईम ने पेट्रोल छिड़क कर जिंदा जला कर मार डाला। उसके बाद एक मुसलिम राजमिस्त्री अरमान अंसारी ने नाबालिग आदिवासी बच्ची को अपने हवस का शिकार बनाता रहा और गर्भवती हो जोन के बाद अंत में उसकी हत्या कर उसकी लाश को पेड़ से लटका दिया। बात यहीं नहीं रुकी। इन जिहादियों का मन इतना बढ़ गया है कि अब तो वे खुलेआम हाथ में हथियार लेकर ओरमांझी के प्रोजेक्ट प्लस 2 उच्च विद्यालय में घुस कर यह धमकी दे रहे हैं कि हमसे दोस्ती करो, नहीं तो उठा कर ले जायेंगे। जिहादियों ने शिक्षक दिवस के अवसर पर हो रहे कार्यक्रम के दौरान लड़कियों से छेड़खानी की और मना करने पर शिक्षकों को जान से मारने की धमकी तक दे डाली। वहीं रामगढ़ के पतरातू की एक घटना भी शर्मसार करती है। वहां पर एक मुस्लिम युवक ने हिंदू लड़की को इस कदर प्रेमजाल में फंसाया कि हिंदू लड़की ने साजिश रच अपने मुसलमान आशिक के साथ मिलकर अपने ही भाई की हत्या कर दी। शव को अपने पिता के सरकारी आवास में दफना दिया। झारखंड में इन दिनों जिस तरह से हिंदू और आदिवासी बच्चियों को जिहादी टारगेट कर रहे हैं, यह काफी चिंतनीय है। इन्हें खुलेआम आतंकियों का साथ मिल रहा है। आतंकी ही इन्हें लव जिहाद के माध्यम से हिंदू लड़कियों को निशाना बनाने का पाठ पढ़ा रहे हैं। कश्मीर में भी ठीक इसी प्रकार से कश्मीरी पंडितों को टारगेट किया गया था। पहले उनकी शिक्षा और संस्कृति पर हमला किया गया, उसके साथ-साथ हिंदू बच्चियों और औरतों को। एक समय ऐसा आया, जब लाखों कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से पलायन करना पड़ा। अगर समय रहते प्रशासन नहीं चेता तो झारखंड का भी हाल कश्मीर जैसा हो जायेगा। समझा जा सकता है कि जब झारखंड का एक सेवानिवृत्त दारोगा आतंकी संगठन का हिस्सा हो और देश को दहशत की आग में झोंकने का प्लान बना रहा हो, तो यहां की जनता कितनी सुरक्षित होगी। यहां के प्रशासन का काम करने का तरीका क्या होगा, जब उनके ही बीच आतंक की स्क्रिप्ट तैयार हो रही होती है और उन्हें भनक तक नहीं लगती। दुमका में नाबालिग अंकिता और नाबालिग आदिवासी बच्ची की हत्या ने देश को झकझोर कर रख दिया है। आज इन जिहादियों का मन इतना बढ़ गया कि वह घर में घुस कर रेप कर रहे हैं या अंकिता जैसी मासूम को पेट्रोल से जिंदा जला दे रहे हैं। अब तो ये स्कूल की बाउंड्री लांघ, नशा कर हथियार के बल पर छात्राओं को दोस्ती करने पर मजबूर कर रहे हैं, नहीं तो उठा लेने की धमकी दे रहे हैं। इन हत्याओं, हिंदू और आदिवासी लड़कियों को टारगेट करने के पैटर्न से प्रशासन अभी भी सबक नहीं लेता है, तो वह दिन दूर नहीं, जब झारखंड की कई मासूम बच्चियों की जिंदगी खतरे में पड़ जायेगी। वे घर से निकलना छोड़ देंगी, स्कूल नहीं जायेंगी। झारखंड में बदलती हुई डेमोग्राफी भी ऐसे क्राइम को जन्म दे रही है। यह बदलती हुई डेमोग्राफी का ही नतीजा था, जब गढ़वा जिले के राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय में प्रार्थना के दौरान बच्चे हाथ जोड़ कर नहीं, बल्कि हाथ बांध कर प्रार्थना करते पाये गये थे। वहीं झारखंड के कई स्कूलों में स्वत: शुक्रवार को अवकाश घोषित कर दिया गया था। यहां तक कि इन स्कूलों के सामने उर्दू शब्द भी जोड़ दिया गया था। यह तो बदलती हुई डेमोग्राफी का शुरूआती दौर है। देश ने पहले भी इसके भयानक अंजाम देखे हैं। कश्मीरी पंडितों के साथ क्या हुआ, इससे पूरा देश परिचित है और मोपला नरसंहार तो उससे भी भयानक था, जिसे दबा दिया गया। दुमका में शाहरुख हुसैन जब अंकिता के घर जाकर उसे पेट्रोल से जला सकता है, पकड़ाने पर पुलिस के समक्ष हंसता है, तो समझा जा सकता है कि इन जिहादियों का मन कितना बढ़ा हुआ है। इनके अंदर प्रशासन का लेश मात्र भी खौफ नहीं रह गया है। गिरफ्तारी के बाद वह पुलिस के साथ अपना सिर ऊंचा किये और चेहरे पर मुसकान लिये ऐसे चल रहा था, मानो उसने बहुत बड़ा मकसद हासिल कर लिया हो। इतनी जघन्य हत्या के बाद भी अगर शाहरुख हुसैन हंस रहा था, तो उसे पूरी तरह विश्वास था कि जब तक झारखंड पुलिस में नूर मुस्तफा जैसे अधिकारी हैं, उसका कुछ बिगड़नेवाला नहीं। कल को अगर शाहरुख हुसैन छूट भी गया, तो इसमें आश्चर्य नहीं होगा। क्योंकि पुलिस ने तो अंकिता की उम्र बढ़ा कर उसे बचाने की पहली सीढ़ी तैयार ही कर ली है। दुमका के अंकिता हत्याकांड के बाद ऐसे कई मामले उजागर हो रहे हैं। मसलन, दुमका की सानी डंगाल मोहल्ला की रहनेवाली एक युवती के मुताबिक उससे एक लड़के ने अपना धर्म छिपा कर दोस्ती की, प्यार का वास्ता दिया और फिर शादी के बाद धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर कर दिया। उसके सामने फिर कोई चारा ही नहीं बचा। इसी तरह दुमका गांधी मैदान के पास रहनेवाली एक युवती के पिता ने कहा कि आठ साल पहले उनकी बेटी परिवार को छोड़ कर एक युवक के साथ चली गयी। बाद में पता चला कि उसने धर्म छिपा कर उसे झांसा दिया था। घर-परिवार के लोग लोक-लाज की वजह से चुप रह गये। हाल ही में लोहरदगा जिले में एक मुस्लिम युवक ने अपना धर्म छुपा कर पहले लड़की को अपने प्रेम जाल में फंसाया, इसके बाद शादी का झांसा देकर लड़की का यौन शोषण किया। इस दौरान आरोपी ने उसके अश्लील वीडियो भी बना लिये थे। वहीं आरोपी युवक की जब पोल खुल गयी, तो उसने लड़की को कुएं में धकेल कर उसकी हत्या करनी चाही। आरोपी के चंगुल से छूटने के बाद पीड़ित लड़की ने घर पहुंच कर परिजनों को सारी बात बता दी। इसके बाद परिजनों ने पूरे मामले की शिकायत पुलिस में की है। पहले उस मुस्लिम युवक ने अपना नाम साजन उरांव बताया था, बाद में वह रब्बानी अंसारी निकला। दुमका और लोहरदगा के बाद रांची से भी एक दिल दहला देनेवाला मामला सामने आया। यहां 15 वर्षीय एक आदिवासी बच्ची के साथ उसके घर में घुस कर रेप की वारदात को अंजाम दिया गया। पीड़िता आदिवासी समाज की है, जबकि रेप का आरोपी मुस्लिम समुदाय का है। आरोपी का नाम मोहम्मद सहरुउद्दीन था, जिसे गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भेज दिया। इलाज के दौरान रिम्स में उसकी मौत हो गयी। नाबालिग से रेप की यह घटना 28 अगस्त की है।
सोची-समझी साजिश का नतीजा
दुमका के डंगालपाड़ा, सानीडंगाल, जरुवाडीह और बंदरजोड़ी के अलावा साहिबगंज, पाकुड़ और जामताड़ा में भी ऐसे कई उदाहरण हैं। बीजेपी और हिंदुत्ववादी संगठनों का आरोप है कि ऐसे मामले लव जिहाद की सोची-समझी साजिश का परिणाम हैं। बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी का कहना है कि अंकिता की नृशंस हत्या करनेवाले शाहरुख और उसका दोस्त मो नइम बांग्लादेश के आतंकी संगठन अंसार-उल-बांग्ला से प्रेरित थे। नइम का मोबाइल रिकॉर्ड इस बात की गवाही देता है। बाबूलाल के मुताबिक अंसार-उल-बांग्ला भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा का एक फ्रंट ग्रुप है, जिसका मकसद गैर मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाना औरउनका धर्म परिवर्तन कराना है।
यहां बता दें कि झारखंड के 5 जिलों की डेमोग्राफी तेजी से बदलने का आरोप बार-बार भाजपा लगा रही है। ये जिले बांग्लादेश के बॉर्डर से सटे हुए हैं। पिछले तीन दशकों में बांग्लादेश से लाखों की तादाद में घुसपैठिये साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, गोड्डा और जामताड़ा जिलों के अलग-अलग इलाकों में आकर बस गये हैं। संथाल परगना के साहिबगंज और पाकुड़ में चिह्नित अवैध प्रवासियों ने वोटर आइडी, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस तक बनवाये हैं। इन इलाकों में जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश और पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया और अंसारउल-बांग्ला जैसे प्रतिबंधित संगठनों की पकड़ बढ़ रही है। ऐसे कई उदाहरण हैं कि बांग्लादेश से आये लोगों ने स्थानीय महिलाओं से शादी कर ली और यहीं बस गये। बदलती हुई डेमोग्राफी के चलते झारखंड में लव जिहाद का मामला भी बढ़ रहा है। पहले वे यहां की महिलाओं को फंसाते हैं, फिर शादी करते हैं उसके बाद उनकी संपत्ति को हासिल कर लेते हैं।