पश्चिमी सिंहभूम। झारखंड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के टैक्स स्लैब में हाल ही में किए गए बदलाव को लेकर केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की आलोचना की है। वे कांग्रेस नेता राहुल गांधी के चाईबासा एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रहे एक मामले की सुनवाई के सिलसिले में आए थे।
चाईबासा स्थित परिसदन भवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए राजेश ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार और भाजपा को आठ वर्षों बाद आम लोगों की तकलीफें दिखायी दी है। दूध, दही, किताबें, पेंसिल, कृषि उपकरण, जीवन रक्षक दवाइयों, स्वास्थ्य और जीवन बीमा जैसी आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी लगाकर कमाई करने वाली भाजपा सरकार को अब जाकर होश आया है।
राजेश ठाकुर ने कहा कि 2016 में जब सरकार जीएसटी नीति लेकर आई थी, तब नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इसका विरोध करते हुए इसके आम उपभोक्ताओं, किसानों और छात्रों पर पड़ने वाले प्रभाव का पूरा विश्लेषण सरकार के समक्ष रखा था। लेकिन केंद्र सरकार ने तमाम चेतावनियों और सुझावों को नजरअंदाज करते हुए मनमाना स्लैब लागू कर दिया, जिससे जनता पर भारी आर्थिक बोझ पड़ा।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में जातिगत जनगणना और जीएसटी स्लैब में संशोधन जैसे फैसले लेकर यह साबित कर दिया कि कांग्रेस की नीतियां ही जनता के हित में हैं, जबकि भाजपा सरकार की नीतियां जनविरोधी साबित हुई हैं।
राजेश ठाकुर ने कहा कि किसान और मध्यमवर्गीय करदाता देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, लेकिन उन्हीं पर सबसे अधिक टैक्स का बोझ डाला गया। इसके कारण आम लोगों के घरों का बजट गड़बड़ा गया और कृषि क्षेत्र में भी उत्पादन लागत बढ़ती चली गई।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाई है और सरकार की जनविरोधी नीतियों का तथ्यों के साथ विरोध किया है। उन्होंने संशोधित जीएसटी नीति के कारण विनिर्माता राज्यों को होने वाली राजस्व क्षति का आकलन कर उसकी भरपाई करने की मांग की है, जिससे कि राज्यों का आर्थिक संतुलन बना रहे और क्षेत्रीय विकास में असंतुलन की स्थिति न पैदा हो।