21वीं सदी में मां भारती के मंदिर को गढ़ने
उसमें स्थापित 140 करोड़ जनता जनार्दन की सेवा करने
ईश्वर ने नये शिल्पी को भारत की पुण्य धरा पर भेजा
जिसे दुनिया नरेंद्र मोदी के नाम से जानती है
सशक्त, सनातन और विकसित भारत के ध्वजवाहक नरेंद्र मोदी

बाबूलाल मरांडी
आज 17 सितंबर देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की जयंती है। कहा जाता है कि जिन्होंने देवताओं के आवश्यक अस्त्र-शस्त्र बनाये, अनेक बड़े मंदिरों के निर्माण किये। लेकिन आज की 21वीं सदी में मां भारती के मंदिर को गढ़ने, उसमें स्थापित 140 करोड़ जनता जनार्दन की सेवा करने के लिए ईश्वर ने नये शिल्पी को भारत की पुण्य धरा पर भेजा, जिसे दुनिया नरेंद्र मोदी के नाम से जानती है।

मात्र 8 वर्ष की आयु में ही प्रबल राष्ट्रभक्ति प्रस्फुटित हुई
17 सितंबर 1950 को गुजरात के वडनगर में पिता दामोदर दास और माता हीरा बेन के घर में जन्मे पुत्र का नाम रखा गया नरेंद्र। छोटा सा घर, स्टेशन पर पिता जी की चाय दुकान, अभाव और संघर्ष के जीवन के बीच नरेंद्र 8 वर्ष की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आये, जहां नरेंद्र में छुपे सेवा, समर्पण और प्रबल राष्ट्रभक्ति प्रस्फुटित हुई। इधर मां ने अभावों के बीच बेटे में सच्चे संस्कार भरे, तो दूसरी ओर पढ़ाई-लिखाई करते हुए स्टेशन पर चाय की दुकान में पिता का सहयोगी बन समाज और जीवन की सच्चाई समझते रहे। नरेंद्र मोदी के जीवन की लगभग 50 वर्षों की जीवन यात्रा में हिमालय की आध्यात्मिक यात्रा के साथ कुशल सांगठनिक यात्राएं शामिल हैं और फिर 21वीं सदी के प्रारंभ में ऐसे नरेंद्र मोदी का प्रादुर्भाव हुआ, जिसमें राम का आदर्श है, कृष्ण की नीति है, शिव का विषपान है, बुद्ध की करुणा है, महावीर का तप है, आदि शंकराचार्य की सांस्कृतिक एकात्मता है, विवेकानंद का अध्यात्म है, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का प्रखर राष्ट्रवाद है, पंडित दीनदयाल उपाध्याय का अंत्योदय है, गांधी, लोहिया और भीमराव अंबेडकर की समरसता है, भगवान बिरसा मुंडा की क्रांति है।

मां भारती की बिना रुके, बिना थके सेवा
कहावत है कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। आपातकाल के खिलाफ भारत की दूसरी आजादी की लड़ाई हो या फिर लाल चौक पर तिरंगा फहराने का पार्टी का संकल्प हो या फिर विभिन्न सांगठनिक दायित्वों का कुशल निर्वहन हो, नरेंद्र मोदी को एक विशिष्ट पहचान दी। भारत की जनता का सौभाग्य है कि 21वीं सदी के उषाकाल 2001 से 2014 के मध्य तक गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में विकास के साथ विरासत को साकार करने वाले नरेंद्र मोदी जी पिछले 11 वर्षों से मां भारती की बिना रुके, बिना थके सेवा कर रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे हनुमान जी ने कहा था…. राम काज किन्हें बिना मोहि कहां विश्राम।

सबका साथ सबका विकास, केवल नारों में नहीं, व्यवहारों में भी
60 वर्षों के कांग्रेस शासन की याद जनता भूली नहीं है। देश विभाजन की विभीषिका, लोकतंत्र की हत्या से लेकर तुष्टीकरण का तांडव। आकंठ भ्रष्टाचार, घोटालों में आकाश, पाताल सब निगल गये। राम के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाये गये, राम सेतु के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा। अंबेडकर, सरदार पटेल सब अपमानित हुए और आतंकवादी सम्मानित होने लगे। राष्ट्रविरोधी शक्तियों का मनोबल बढ़ा, संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग बढ़ा। परंतु आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व का भारत बढ़ता भारत-बदलता भारत है, स्वाभिमानी भारत है, जिसने आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से कदम बढ़ा दिया है। आज शुभ संकल्प तेजी से सिद्धि को प्राप्त कर रहे। आज भारत कहता है और दुनिया सुनती है। विश्व में बदलाव की अगुवाई भारत कर रहा है। सबका साथ सबका विकास केवल नारों में नहीं, बल्कि व्यवहारों में उतर रहा। आज तुष्टीकरण नहीं, सशक्तिकरण पर बल है। गांव, गरीब, किसान, जवान और विज्ञान विकास के केंद्र बिंदु हैं। भारत के इतिहास में पहली बार ऐसे बदलाव हो रहे, जिसमें स्वच्छता अभियान भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना चंद्रयान की यात्रा। हर घर शौचालय भी बन रहे, तो विश्व के सबसे ऊंचे पुल भी बन रहे। हाइवे के साथ ग्रामीण सड़कें भी बन रहीं। गरीबों के आवास भी बन रहे। जनधन खातों में 100 पैसे पूरी तरह पहुंच रहे। 80 करोड़ लोगों के लिए खाद्यान्न की सुरक्षा है। आयुष्मान योजना ने गरीबों के इलाज को सुनिश्चित किया है। स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया ने रोजगार और आत्मनिर्भरता को नये पंख दिये हैं।

एक गरीब आदिवासी घर की बेटी राष्ट्रपति बनी
आज महिला सशक्तिकरण ने मूर्त रूप लिया है। संसद से पारित 33% आरक्षण को कानून का रूप देने वाली बतौर राष्ट्रपति एक गरीब आदिवासी घर की बेटी बनी। आज संविधान में वर्णित समरस समाज की मूल भावनाएं धरातल पर उतर रहीं। आदिवासी, दलित, पिछड़े विकास की मुख्यधारा में जुड़ रहे। समाज के उस तबके को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जा रहा, जिसे कभी पूछा नहीं जाता था। प्रतिभाएं पहचान की मोहताज रहती थीं। सामाजिक राजनीतिक जीवन में आज ऐसे वर्गों की भागीदारी बढ़ी है। आज विकास की भव्य इमारत को विरासत की मजबूत नींव पर खड़ा किया जा रहा। धारा 370 की समाप्ति ने राष्ट्रीय एकात्मता को मजबूत किया, वहीं अयोध्या में 500 वर्षों के संघर्ष को साकार करते हुए भव्य राम मंदिर ने भारत की सांस्कृतिक चेतना को जागृत किया। योग दिवस ने भारत की सांस्कृतिक विरासत को नयी ऊंचाई दी। आज विदेशी राजकीय मेहमान को ताजमहल की भेंट नहीं मिल रही, बल्कि विश्व बंधुत्व की सोच को बढ़ाने वाले ग्रंथ गीता दिये जा रहे। आज का भारत ‘फ्रेजल फाइव’ का भारत नहीं, बल्कि विश्व की चौथी अर्थव्यवस्था का भारत है, जो निकट भविष्य में तीसरे पायदान पर पहुंचने वाली है। गोली का जवाब गोलों से देने की क्षमता रखने वाला भारत दुश्मन के घर में घुसकर जवाब दे रहा। परमाणु धमकियों से बेपरवाह भारत प्रतिबंधों की धमकी से भी नहीं डर रहा। आज का भारत वही तय कर रहा, जो भारत के हित में हो। लेकिन विश्व का अहित भी नहीं। विश्व कल्याण और क्षमाशील होने की बात वही कर सकता है, जो स्वयं ताकतवर हो।

देश के आत्म सम्मान से कोई समझौता नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐसे भारत को मूर्त रूप देने का सपना संजोया है, जिसमें आत्म सम्मान से कोई समझौता नहीं। वैसा विकसित भारत, जिसमें सबके हाथों में अवसर हो, सबकी सहभागिता हो, कोई अभावग्रस्त नहीं हो। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में जनजाति समाज तेजी से विकास की मुख्यधारा में जुड़ रहा। भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती को राष्ट्रीय पहचान मिली। 15 नवंबर अब राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस बन गया। पीएम जन मन योजना ने जनजाति समाज के सर्वांगीण विकास को मजबूती प्रदान की है। अपने 11 वर्षों के यशस्वी कार्यकाल में प्रधानमंत्री जी ने झारखंड को दिलों में बसाया है। राज्य में एम्स की स्थापना, आइआइटी, आइआइएम, मेडिकल कॉलेज, एयरपोर्ट निर्माण के साथ हाइवे, रेलवे, गंगापुल निर्माण जैसे ऐतिहासिक कार्य हुए हैं। कई कल्याणकारी योजनाओं की शुरूआत मोदी जी ने झारखंड की धरती से की है। भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली पर जाने वाले वे भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं। ऐसे में झारखंड के जनजाति समाज के प्रति उनके प्रेम को भुलाया नहीं जा सकता।

रामकाज पूर्ण बिना विश्राम नहीं करने का संकल्प
आज प्रधानमंत्री जी भले ही उम्र की 75वीं सीढ़ी को पार कर रहे हैं, लेकिन भारत की जनता उनमें हनुमान की ताकत देख रही है, जिन्होंने रामकाज किये बिना विश्राम नहीं करने का संकल्प लिया है। आज भारत के नर नारायण की सेवा ही रामकाज है। मां भारती को परम वैभव तक पहुंचाना ही रामकाज है। आत्मनिर्भर भारत, विकसित भारत, स्वाभिमानी भारत का निर्माण ही रामकाज है। आज 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर झारखंड की समस्त जनता की ओर से मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को जन्मदिन की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए ईश्वर से उन्हें स्वस्थ एवं दीर्घ जीवन प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं। उम्मीद ही नहीं, विश्वास है कि ईश्वर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न साकार करायेंगे।
(लेखक झारखंड प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष और झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं।)

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