Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Tuesday, July 1
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»यूथ प्लस»करियर»दूध उत्पादन में करियर अधिक संभावनाएं
    करियर

    दूध उत्पादन में करियर अधिक संभावनाएं

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskOctober 21, 2016No Comments7 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    दूध उत्पादन में करियर की अपार संभावनाएं हैं, एक ओर जहां राज्य सरकारें दूध की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को सब्सिडी देकर उन्हें प्रेरित कर रही हैं, वहीं विज्ञान और तकनीकी का सहारा लेकर दूध उत्पादन बढ़ाने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।

    ग्रामीणों क्षेत्र के लोगों को उनकी आजीविका के साधनों को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित की जाती हैं। इन योजनाओं पर अनुदान का भी प्रावधान रखा गया है। किसान व आम ग्रामीण अनुदान प्राप्त कर आजीविका के साधनों को बेहतर बना सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि अनुदान की प्रक्रियाओं को जानें। इस अंक में हम दूध उत्पादन करने वाले लोगों को योजनाओं और अनुदान पर जानकारी मुहैया करा रहे हैं।

    दुग्ध-उत्पादन के लिए लें अनुदान

    गांव की आर्थिक संरचना को मजबूत करने में दूध उत्पादन का महत्वपूर्ण योगदान है। गांवों में हो रहे दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई तरह से डेयरी योजनाओं के विकास पर काम कर रही है। ग्रामीण बड़े पैमाने पर दूध का उत्पादन कर सकते हैं और इसके लिए राज्य सरकार के पशुपालन विभाग की ओर से कई तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। दूध उत्पादन करने की चाहत रखने वाले लोगों को दुधारू मवेशी योजना के तहत ग्रामीणों को उन्नत प्रजाति का मवेशी दिया जाता है।

    दुधारू मवेशी योजना

    ग्रामीण क्षेत्र के गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले लोगों के लिए दुधारू मवेशी योजना के तहत लाभ देने का काम किया जाता है। इस योजना के अंतर्गत दूध उत्पादन करने वाले को 50 प्रतिशत अनुदान एवं 50 प्रतिशत ऋण पर दो दुधारू मवेशी दिए जाते हैं। दुधारू मवेशी गाय अथवा भैंस हो सकते हैं। प्रत्येक मवेशी छह माह के अंतराल पर दिया जाता है। योजना लागत में जानवर की खरीद के लिए 70,000 रुपए दिये जाते हैं। इसके अलावा मवेशियों को रखने के लिए गौशाला के निर्माण के लिए 15,000 रुपए दिए जाते हैं। इसके अलावा तीन वर्षों के लिए जानवरों के लिए बीमा प्रीमियम कराया जाता है। इसके लिए 8000 रुपए का लाभ दिया जाता है।

    मिनी डेयरी (पांच दुधारू मवेशी के लिए)

    सरकार की ओर से मिनी डेयरी योजना चलायी जा रही है जिसके लिए दूध उत्पादन करने वालों को अनुदान दिया जाता है। प्रगतिशील किसानों और शिक्षित युवा बेरोजगार को इस योजना के तहत पांच दुधारू मवेशी उपलब्ध कराया जाता है। ये मवेशी गाय अथवा भैंस हो सकते हैं। इस योजना के तहत 50 प्रतिशत अनुदान एवं 50 प्रतिशत बैंक लोन पर पांच दुधारू मवेशी दिया जाता है। दो चरणों में लाभुक को मवेशी दिया जाता है। पहले चरण में तीन मवेशी और छह माह के बाद दो मवेशी की खरीद के लिए पैसा बैंक के माध्यम से दिया जाता है। योजना लागत में मवेशी की खरीद के लिए 1,75,000 रुपए, शेड निर्माण के लिए 45,000 रुपए तथा तीन वर्षों के लिए मवेशियों के बीमा प्रीमियम के लिए 20,000 रुपए लाभुक को दिए जाते हैं।

    मिनी डेयरी (दस दुधारू मवेशी के लिए)

    युवा शिक्षित बेरोजगार तथा प्रगतिशील किसानों को एक दूसरे योजना के अंतर्गत दूध उत्पादन के लिए दस दुधारू मवेशी दिया जाता है। इस योजना का लाभ स्वयं सहायता समूह भी ले सकते हैं। सभी को 40 प्रतिशत अनुदान एवं 60 प्रतिशत बैंक लोन पर दुधारू जानवर उपलब्ध करवाया जाता है। योजना के माध्यम से छह माह के अंतराल पर पांच-पांच मवेशी दिए जाते हैं। दूध उत्पादन के लिए इस योजना के माध्यम से 3,50,000 रुपए तथा शेड निर्माण के लिए 90,000 रुपया लाभुक को दिया जाता है।

    दूध उत्पादन को बेहतर स्वरोजगार के रूप में अपनाया जा सकता है। दूध उत्पादन को रोजगार में अपनाने की चाहत रखने वाले लोग अपने जिले के जिला गव्य विकास पदाधिकारी से इस संबंध में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा वे अपने निकटतम डेयरी पशु विकास केंद्र तथा जिला पशुपालन पदाधिकारी से संपर्क कर दूध उत्पादन, मवेशी और अनुदान के विषय पर जानकारी ले सकते हैं।

    केंद्र सरकार की भी हैं योजनाएं

    दूध उत्पादन के लिए केंद्र सरकार की ओर से भी कई योजनाओं को संचालित किया जाता है। इसके लिए दुग्ध उत्पादकों को कई तरह के अनुदान दिए जाते हैं। डेयरी इंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट स्कीम के तहत दुग्ध उत्पादन करने वालों को वित्तीय सहयोग किया जाता है। यह वित्तीय सहयोग छोटे किसानों तथा भूमिहीन मजदूरों को प्रमुख रूप से दिया जाता है। डेयरी इंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट स्कीम भारत सरकार की योजना है, जिसके तहत डेयरी और इससे जुड़े दूसरे व्यवसाय को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। इसके तहत छोटे डेयरी फार्म खोलने, उन्नत नस्ल की गाय अथवा भैंस की खरीद के लिए पांच लाख रुपए की सहायता की जाती है। यह राशि दस दुधारू मवेशी की खरीद के लिए दिया जाता है।

    इसके अलावा जानवरों के मल से जैविक खाद बनाने के लिए एक यूनिट की व्यवस्था करने के लिए 20, 000 रुपए की मदद मिलती है। किसान, स्वयंसेवी संस्था, किसानों के समूह आदि इस योजना का लाभ ले सकते हैं। यदि किसान अनुसूचित जाति अथवा जनजाति समुदाय से अाते हैं तो उन्हें अनुदान पर विशेष छूट मिलती है। इस योजना का संपादन भारत सरकार नाबार्ड की सहायता से करता है। नाबार्ड के सहयोग से डेयरी उद्योग प्रारंभ करने के लिए छोटे किसानों और भूमिहीन मजदूरों को बैंक की ओर से लोन दिलाया जाता है। बैंक से लोन प्राप्त करने के लिए किसान अपने नजदीक के वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अथवा को-ऑपरेटिव बैंक को मवेशी की खरीद के लिए प्रार्थना पत्र के साथ आवेदन कर सकते हैं। ये आवेदन प्रपत्र सभी बैंकों में उपलब्ध होते हैं।

    बड़े पैमाने पर दूध उत्पादन के लिए डेयरी फॉर्म की स्थापना के लिए एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट देना होता है। संस्था द्वारा दिए जाने वाले वित्तीय सहयोग में मवेशी की खरीद, शेड के निर्माण और जरूरी यंत्रों की खरीद आदि शामिल है। प्रारंभिक एक व दो महीने के लिए मवेशियों के चारा का इंतजाम के लिए लगने वाली राशि को टर्म लोन के रूप में दिया जाता है। टर्म लोन में जमीन के विकास, घेराबंदी, जलाशय, पंपसेट लगाने, दूध के प्रोसेिंसग की सुविधाएं, गोदाम, ट्रांसपोर्ट सुविधा आदि के लिए भी लोन देने के विषय में बैंक विचार करता है। जमीन खरीदने के लिए लोन नहीं दिया जाता है।

    दूध उत्पादन पूरी जानकारी मुहैया कराना है जरूरी

    इस संबंध में एक योजना का निर्माण किया जाता है। यह योजना राज्य पशुपालन विभाग, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण, डेयरी को-आपेरेटिव सोसाइटी तथा डेयरी फार्मस के फेडेरेशन को स्थानीय स्तर पर नियुक्त तकनीकी व्यक्ति की सहायता से तैयार किया जाता है।

    लाभुक को राज्य के कृषि विश्वविद्यालय में डेयरी के प्रशिक्षण के लिए भी भेजा जाता है। योजना में कई तरह की जानकारियों को शामिल किया जाता है। इसमें भूमि का विवरण, पानी तथा चारागाह की व्यवस्था, चिकित्सीय सुविधा, बाजार, प्रशिक्षण तथा किसान का अनुभव तथा राज्य सरकार अथवा डेयरी फेडेरेशन की सहायता के विषय में जानकारी दिया जाना जरूरी है। इसके अलावा खरीद किए जाने वाले मवेशी की नस्ल की जानकारी, मवेशी की संख्या तथा दूसरी संबंधित जानकारी मुहैया कराना होता है। इस योजना को बैंक को जमा कराया जाता है। इस योजना को बैंक पदाधिकारी विश्लोाण करते हैं और योजना के रिस्क और रिपेमेंट पीरियड के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।

    इनसें लें मदद

    यदि कोई व्यक्ति दूध उत्पादन के क्षेत्र में रोजगार सृजन करना चाहते हैं तो जिला गव्य पदाधिकारी तथा निकटतम डेयरी पशु विकास केंद्र से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा जिला पशुपालन पदाधिकारी से इस विषय पर विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleकरियर का सुनहरा अवसर है कस्टमर केयर में भी..!!
    Next Article इस फेस्टिवल सीजन के लिए कुछ रिमिक्स ड्रेसेज़
    azad sipahi desk

      Related Posts

      27 जुलाई से 10 अगस्त तक रांची में सेना भर्ती रैली

      July 21, 2024

      जेपीएससी: मुख्य परीक्षा के लिए 14 जून तक आवेदन

      June 12, 2024

      संत जेवियर्स कॉलेज में भी होगी बीसीए की पढ़ाई

      June 6, 2024
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • किशोर जेना नीरज चोपड़ा क्लासिक 2025 से बाहर, यशवीर सिंह को मिला मौका
      • मुंबई से क्रिकेट खेलना जारी रखेंगे यशस्वी जायसवाल
      • हिमाचल में खराब मौसम के बीच एचआरटीसी बस पलटी, 44 से ज्यादा यात्री घायल
      • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गोरखपुर में आयुष विवि का किया लोकार्पण
      • ‘कक्षा एक से छह तक क्षेत्रीय भाषा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए’, भाषा विवाद पर बोले आठवले
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version