नई दिल्ली: श्रीलंका के नए राष्ट्रपति के रूप में गोटबाया राजपक्षे के निर्वाचन के बाद से ही भारत, चीन और पाकिस्तान के साथ श्रीलंका के रिश्तों को लेकर अटकलें लग रही हैं। कहा जा रहा है कि नए राष्ट्रपति का भारत के साथ रिश्ते की परख न केवल चीन के साथ उनके परिवार के नजदीकी रिश्तों बल्कि पाकिस्तान के साथ खुद उनके संबंधों के आधार पर होगी। वहीं, पाकिस्तान को श्रीलंका में नई उम्मीद दिखने लगी है।

क्यों खुश है पाकिस्तान?
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर कहा, ‘वह (रानिल विक्रमसिंघे) भारत के इतनी करीब थे कि पाकिस्तान के प्रति उनका रवैया बेहद ढीला-ढाला रहा। अगर (सजीत) प्रेमदासा चुनाव जीत जाते तो पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका होता।’ उन्होंने कहा,’गोटबाया राजपक्षे का चुनाव जीतना वाकई में पाकिस्तान के लिए एक सकारात्मक संदेश है।’

गोटबाया और पाकिस्तान
राजपक्षे को 1970 के दशक में एक युवा सैन्य अधिकारी के तौर पर ऑफिसर्स ट्रेनिंग कोर्स के लिए उस वक्त पाकिस्तान भेजा गया था जब दोनों देशों के बीच काफी घनिष्ठ संबंध हुआ करते थे। बाद में एलटीटीई के साथ युद्ध के दौरान जब वह अपने भाई और तत्कालीन राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे के अंदर रक्षा सचिव थे, तब पाकिस्तानी सेना ने श्रीलंका की सेना की मदद की थी।

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