वाराणसी। काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ की नगरी में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी (आंवला नवमी) बुधवार दो नवम्बर को मनाई जायेगी। अक्षय नवमी या आंवला नवमी पर सनातनी आंवले के वृक्ष की पूजा विधि विधान से करेंगे।
सनातन धर्म में मान्यता है कि आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है और कार्तिक शुक्ल की नवमी को आंवले के पेड़ की पूजा करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों प्रसन्न होते हैं। आंवला नवमी का पर्व देव उठनी एकादशी से दो दिन पहले मनाया जाता है।
शिवाराधना समिति के डॉ मृदुल मिश्र ने बताया कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अक्षय नवमी तिथि एक नवंबर की रात 11 बजकर 04 मिनट से शुरू होकर दो नवंबर 2022 को रात 09 बजकर 09 मिनट तक रहेगी। दिव्य कार्तिक मास श्री हरि की आराधना को समर्पित माना जाता है। इस माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को ही अक्षय नवमी कहा जाता है। पर्व पर गंगा स्नान और अन्नदान के साथ आंवला के वृक्ष के नीचे भोजन करने से अनंत फल प्राप्त होता है। माना जाता है कि इस दिन दिया दान पूर्ण अक्षय हो जाता है। आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को प्रिय है।
मान्यता है कि इस दिन द्वापर युग का आरंभ हुआ था। आयुर्वेद के अनुसार भी आंवला सेहत के लिए वरदान है। इसके नियमित सेवन से आयु बढ़ती है और बीमारियों से रक्षा होती है। पीपल, तुलसी की तरह ही आंवला भी पूजनीय और पवित्र माना गया है। उधर, आंवला नवमी पर काशीवासी आंवला के वृक्ष के नीचे पूरे श्रद्धाभाव से अहरा सुलगा कर खीर, बाटी, दाल, चोखा बनाकर पहले श्री हरि को भोग लगाते हैं, फिर मस्ती और उत्साह पूर्ण माहौल में दोस्तों और परिजनों के साथ पंगत में बैठ सामूहिक भोज का आनन्द लेते हैं। आंवला नवमी को लेकर लोगों में खासा उत्साह है।
कार्तिक माह के एकादशी तिथि पर अस्सी घाट पर जलेंगे 11000 दीप
हरि प्रबोधिनी (देवोत्थान) एकादशी के पर्व पर समाज उत्थान के लिए अस्सी घाट पर दीपदान का बृहद आयोजन 04 नवम्बर की शाम किया गया है। कार्यक्रम के संयोजक बीएचयू के सहायक प्रो. रामा पांडेय ने बताया कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु योग निंद्रा से जगते हैं। ये एकादशी सनातन धर्म काफी धार्मिक महत्व रखता है। ऐसे में इस दिन सायं पांच बजे 11,000 दीप जलाकर भगवान विष्णु का विशेष पूजन अर्चन के साथ भंडारे का आयोजन किया जाएगा।