रांची। झारखंड के इतिहास में राज्य गठन के 18 साल बाद पहली बार कोई सरकार चार वर्ष पूरा करने जा रही है। मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में मौजूदा राज्य सरकार 28 दिसंबर को चार वर्ष का लंबा सफर तय करने जा रही है। इससे पूर्व राजनीतिक अस्थिरता के कारण कोई भी सरकार अपना कार्यकाल तो क्या, हजार दिन भी पूरा नहीं कर पायी थी। खंडित जनादेश के कारण हर बार गठबंधन की सरकार बनी, जिसके कारण अधिक से अधिक ढाई साल तक ही सरकार चली।
झारखंड में पहली बार बनी बहुमत की सरकार
पहली बार झारखंड में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए को 2014 में पूर्ण बहुमत मिला और रघुवर दास मुख्यमंत्री बने। चार वर्ष पूर्व तक झारखंड में राजनीतिक अस्थिरता का आलम यह रहा कि नौ मुख्यमंत्री बने और तीन बार राज्य को राष्ट्रपति शासन का मुंह देखना पड़ा। इस दौरान एक निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा भी मुख्यमंत्री बने। मात्र 14 वर्ष का झारखंड ऐसा राज्य बना, जिसने सभी तरह के राजनीतिक प्रयोग का अनुभव कर लिया। हालांकि झामुमो शिबू सोरेन और अर्जुन मुंडा एक बार से ज्यादा राज्य के मुख्यमंत्री रहे। सबसे कम समय का शासन करने का रिकॉर्ड शिबू सोरेन का नौ दिन का रहा है। झारखंड शायद पहला राज्य है, जहां निर्दलीय मधु कोड़ा बतौर दो साल मुख्यमंत्री रहे। मुख्यमंत्री के चुनाव हारने का रिकार्ड भी झारखंड में ही बना। इतना ही नहीं, मात्र 14 साल में ही यहां तीन बार राष्टपति शासन भी लग चुका है।
गांव और किसान पर फोकस
मुख्यमंत्री रघुवर दास के लिए पिछला एक साल उपलब्धियों और चुनौतियों से भरा रहा। उनका फोकस गांव और किसान रहे। स्वच्छता पर सरकार ने काफी जोर दिया। स्वास्थ्य के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन के लिए कई कदम उठाये गये। आयुष्मान भारत योजना बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार ने इस योजना का आइडिया झारखंड के बीमा योजना से ही लिया है। इसके अलावा आधारभूत संरचनाओं के विकास में रघुवर दास की सरकार ने कुछ उल्लेखनीय काम किये। कड़े फैसले लेने में वह नहीं हिचके। वहीं, कई मोर्चों पर उन्हें परेशानियों का भी सामना करना पड़ा।
फूड एंड एग्रिकल्चर समिट से किसानों का भविष्य संवारने की कोशिश
रघुवर सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई बड़े निर्णय लिये। किसानों के जत्थे को इजरायल भेजा। किसानों का भविष्य संवारने के लिए राजधानी रांची में फूड एंड एग्रिकल्चर समिट का आयोजन किया। इसमें सभी जिलों से किसानों को बुलाया गया। इन्हें खेती के अत्याधुनिक उपकरणों से परिचित कराया गया। कृषि आधारित कई उद्योगों की स्थापना की घोषणा हुई। समिट में किसानों को आश्वस्त किया गया कि उनके उत्पादों की खरीद सरकार करेगी। वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का संकल्प दोहराया।
किसानों को खरीफ फसल के लिए प्रति एकड़ मिलेंगे पाच हजार रुपये
किसानों को खाद से दूर रहने और जैविक खेती (आर्गेनिक फार्मिंग) करने की सलाह दी गयी। साल का अंत होने से पहले सरकार ने किसानों के हित में एक और बड़ा फैसला लिया। अब किसानों को सरकार प्रति एकड़ 5,000 रुपये देगी। इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है। सरकार ने झारखंड 14.50 लाख किसानों को मुफ्त फसल बीमा और बिना ब्याज के ऋण देने की योजना भी शुरू की है।
हर गांव में पहुंची बिजली
लोहरदगा, हजारीबाग एवं देवघर समेत सात जिलों के सभी गांवों में बिजली पहुंच चुकी है। 31 दिसंबर तक झारखंड के सभी गांवों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य है। सीएम ने हर घर बिजली पहुंचाने का भी निश्चय किया है।
राज्य खुले में शौच से मुक्त
वर्ष 2018 में झारखंड सरकार ने राज्य को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित करने का लक्ष्य भी हासिल कर लिया।