दिसंबर महीने के दूसरे सप्ताह की गुलाबी ठंड में इस साल झारखंड का सियासी तापमान पूरे उफान पर है। लोग जहां सर्दी का एहसास कर रहे हैं, वहीं चुनावी नारों और दूसरे आयोजनों से गर्मी का भी एहसास उन्हें हो रहा है, लेकिन इस परस्पर विरोधी तापमानों के बावजूद झारखंड के लोगों के मन-मिजाज का किसी को अंदाजा नहीं लग रहा है। दो चरणों में 33 सीटों के चुनाव के बाद अब अगले 24 घंटे में 17 सीटों पर मतदान होना है। इसके बाद चौथे चरण में 15 सीटों पर 16 दिसंबर को वोट डाले जायेंगे।
ये दो चरण सत्ताधारी भाजपा के साथ विपक्ष के लिए भी कड़ा इम्तिहान लेनेवाले हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में इन 32 सीटों में से 22 पर भाजपा ने अपना परचम लहरा कर साबित कर दिया था कि यदि कोल्हान और संथाल को झामुमो का गढ़ कहा जाता है, तो कभी वामपंथ का गढ़ कहे जानेवाले लालखंड-कोयलांचल के साथ झारखंड की राजनीतिक हृदय स्थली छोटानागपुर को भगवा ने अपने गढ़ के रूप में तब्दील कर लिया है। तीसरे चरण में जिन 17 सीटों पर कल वोट डाले जाने हैं, उनमें से रांची, हटिया, कांके, खिजरी, हजारीबाग, कोडरमा, बरकट्ठा, सिमरिया, बेरमो और ईचागढ़ सीट पर भाजपा का कब्जा है, जबकि झामुमो के पास सिल्ली, मांडू और गोमिया सीट है। बरही और बड़कगांव कांग्रेस के पास है, जबकि आजसू के पास रामगढ़ और माले के पास धनवार सीट है। चौथे चरण में जिन 15 सीटों पर चुनाव होगा, उनमें से 12 पर भाजपा का कब्जा है।
इनमें गिरिडीह, बगोदर, धनबाद, झरिया, देवघर, बाघमारा, सिंदरी, बोकारो, चंदनकियारी, गांडेय, मधुपुर और जमुआ शामिल हैं। झामुमो के पास डुमरी सीट है, जबकि आजसू के पास टुंडी और मासस के पास निरसा सीट है। इस तरह साफ है कि इन दो चरणों में भाजपा का सब कुछ दांव पर लगा हुआ है और स्वाभाविक तौर पर विपक्षी दल इस गढ़ को भेदने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं।
तीसरे चरण का सीन
तीसरे चरण में जिन 17 सीटों पर चुनाव होना है, वहां लगभग हर जगह त्रिकोणीय मुकाबला है। भाजपा ने सिल्ली के अलावा अन्य सभी सीटों से उम्मीदवार उतारे हैं, वहीं झाविमो ही एकमात्र ऐसी पार्टी है, जिसके प्रत्याशी सभी सीटों पर हैं। तीसरे चरण में आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो और झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी भी मैदान में हैं। राजनीतिक हलकों में यह बात कही जा रही है कि तीसरे चरण में जहां झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन का पूरा जोर रांची, हटिया, कांके, मांडू और बरही सीट पर है, वहीं आजसू ने बड़कागांव और गोमिया पर अपनी पूरी ताकत लगा दी है। सिल्ली और रामगढ़ तो पहले से ही सुदेश के गढ़ के रूप में चर्चित हैं। रामगढ़ में गिरिडीह के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी सुनिता चौधरी के सामने जहां अपने पति की विरासत को बचाने की चुनौती है, वहीं उनके सामने भाजपा के कुंटू बाबू और कांग्रेस की ममता देवी का चैलेंज भी है। सिल्ली में आजसू के सुप्रीमो सुदेश कुमार महतो के सामने उनके पुराने प्रतिद्वंद्वी झामुमो के अमित महतो की पत्नी सीमा महतो हैं। तीसरे चरण की एक और सीट बेहद रोमांचक मुकाबले में फंसी है। यह सीट है बड़कागांव। पिछले विधानसभा चुनाव में यह सीट कांग्रेस की निर्मला देवी ने जीता था। इस बार उनकी बेटी अंबा प्रसाद को कांग्रेस ने टिकट दिया है। यहां आजसू ने रौशनलाल चौधरी और भाजपा ने लोकनाथ महतो को उतारा है।
चौथे चरण का समीकरण
चौथे चरण के चुनाव में भाजपा के किले को भेदने के लिए विपक्षी दलों ने जमीन-आसमान एक कर दिया है। भाजपा और आजसू की दोस्ती टूटने का एक कारण चंदनकियारी था। भाजपा ने यहां से अमर बाउरी को उतारा है, जबकि आजसू ने उमांकात रजक हैं। बाउरी पिछली बार झाविमो के टिकट पर जीते थे और बाद में भाजपा में शामिल हो गये थे। बाघमारा से भाजपा ने ढुल्लू महतो पर दोबारा भरोसा किया है, लेकिन वहां कांग्रेस के जलेश्वर महतो उन्हें चुनौती दे रहे हैं। चौथे चरण की अन्य सीटों पर समीकरण ऐसा बन गया है, जिसमें भाजपा के लिए मुकाबला बहुत आसान नहीं रह गया है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अब यह भाजपा पर निर्भर है कि वह अपने कब्जे वाली 12 सीटों पर दोबारा जीतने के लिए क्या रणनीति अपनाती है।
उसके लिए सुकून की बात यह है कि उसके पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्माई व्यक्तित्व और अमित शाह की संगठन क्षमता है, जिनकी मदद से वह किसी भी परिस्थिति को अपने पक्ष में मोड़ सकती है।
भाजपा के लिए तीसरे और चौथे चरण का चुनाव इस मायने में बड़ी चुनौती तो है, लेकिन विपक्षी दलों के लिए ये दोनों चरण अधिक चुनौतीपूर्ण हैं। यदि उसे भाजपा का रास्ता रोकना है, तो उसे इस भगवा दुर्ग को हर कीमत पर भेदना ही होगा, जो आज की तारीख में बहुत आसान नहीं दिख रहा। जनता क्या फैसला करती है, यह तो 23 दिसंबर को ही पता चलेगा, लेकिन फिलहाल वोटरों का मन-मिजाज परखने का दौर जरूर चल रहा है।

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