पति के काम पर वोट मांग रहीं रागिनी सिंह

झरिया जितना अपने कोयले और जमीन के नीचे धधकती आग के लिए पूरी दुनिया में चर्चित है, इसकी उतनी ही चर्चा ‘सिंह मेंशन’और ‘रघुकुल’ के कारण होती है। इस बार के विधानसभा चुनाव में कोयलांचल में सर्वाधिक चर्चित यही सीट है। वजह यहां सूर्यदेव सिंह की दो बहुएं चुनाव के मैदान में आमने-सामने हैं। इनमें जहां रागिनी सिंह को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है, वहीं कांग्रेस ने पूर्णिमा नीरज सिंह को चुनावी दंगल में उतारा है। रागिनी सूर्यदेव के मंझले बेटे संजीव की पत्नी हैं।, वहीं पूर्णिमा नीरज सिंह सूर्यदेव के भाई राजन सिंह के दिवंगत बेटे नीरज सिंह की पत्नी हैं।
इस चुनाव में जहां रागिनी सिंह के सामने अपने पति की विरासत बचाने की चुनौती है, वहीं पूर्णिमा नीरज सिंह अपने पति की हत्या के बाद आंसुओं से भींगे अपने आंचल को फैलाये चुनाव के मैदान में हैं। पूर्णिमा नीरज सिंह ने बताया कि हम बुनियादी मुद्दों पर जनता से वोट की अपील कर रहे हैं। बीते नौ दशकों से चली आ रही पानी और सड़क जैसी समस्याओं को दूर करना हमारा लक्ष्य है। वहीं भाजपा प्रत्याशी रागिनी सिंह ने कहा कि सिंह मेंशन के सदस्य सालोंभर जनसेवा में लगे रहते हैं। विधायक के जेल में रहने के बावजूद हमने झरिया में नया कॉलेज स्वीकृत कराया। जलापूर्ति के लिए योजनाएं स्वीकृत करायीं और कई पुलों का निर्माण कराया।
हालांकि यहां के स्थानीय लोग और कई मुद्दों का समाधान चाहते हैं। स्थानीय युवा महेश कुमार कहते हैं कि झरिया की सबसे बड़ी समस्या पुनर्वास की है। यहां दशकों से जो आग धधकी है, उसका भी आज तक हल नहीं निकाला जा सका। यहां जमीन से कोयला निकालने के बाद क्षेत्र खाली करने का आदेश तो दे दिया जाता है, पर पुनर्वास की कोई व्यवस्था नहीं की जाती है। बेरोजगारी भी यहां एक बड़ी समस्या है। कोयला नगरी होने के कारण प्रदूषण भी एक बड़ा मुद्दा है, पर इस तरफ किसी का ध्यान नहीं है।

बोलने में माहिर हैं पूर्णिमा सिंह
झरिया सीट पर पूर्णिमा नीरज सिंह इतना धुआंधार प्रचार कर रही हैं कि सिंह मेंशन भी हैरान है। दिल्ली में पढ़ चुकीं पूर्णिमा बोलने में माहिर हैं और नीरज सिंह हत्याकांड के बाद उपजी सहानुभूति को समझते हुए अपना हर कदम बढ़ा रही है। उनकी बातों में जो सच्चाई है, वह जनता को कनेक्ट कर रही है। वहीं चुनाव प्रचार में रागिनी सिंह भी भरपूर दम लगा रही हैं। रागिनी सिंह के प्रचार में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समा बांध दिया, वहीं पूर्णिमा सिंह के पक्ष में ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट ने जबर्दस्त फील्डिंग की है। झरिया सीट पर 16 दिसंबर को मतदान होगा और अन्य परिणामों की तरह यहां भी चुनावी नतीजा 23 दिसंबर को आ जायेगा। यहां वर्ष 2014 में हुए चुनाव का परिणाम भी 23 दिसंबर को ही घोषित हुआ था। फ्लैश बैक में जायें तो वर्ष 2014 में यहां भाजपा प्रत्याशी संजीव सिंह ने बाजी मारी थी। उन्हें कुल 74 हजार 62वोट मिले थे। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और अपने चचेरे भाई कांग्रेस के नीरज सिंह को 33 हजार 692 मतों से हराया था। वर्ष 2005 और 2009 में इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी के रूप में सिंह मेंशन की कुंती सिंह ने जीत हासिल की थी। इस सीट पर अधिकतर दफा सिंह मेंशन का कब्जा रहा है, पर इस दफा रघुकुल की पूर्णिमा नीरज सिंह बाजी पलटने में जुटी हुई हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बाजी किसके हाथ लगती है।

कोयलांचल की राजनीति के केंद्र में रहे सूर्यदेव सिंह

कोयलांचल की राजनीति दरअसल सूर्यदेव सिंह, सिंह मेंशन और रघुकुल के इर्द-गिर्द ही घूमती है। सूर्यदेव सिंह कभी कोयलांचल के सबसे ताकतवर नेता हुआ करते थे। यूपी के गोन्हिया छपरा निवासी सूर्यदेव सिंह रोजगार की तलाश में 60 के दशक में धनबाद आये थे। यहां उन्होंने शुरुआत में मजदूरी और छोटे-मोटे दूसरे काम किये। गठीले बदन के स्वामी और पहलवानी के शौकीन सूर्यदेव ने जब एक दिन अखाड़े में पंजाब के एक पहलवान को हरा दिया, तो फिर उनके नाम का सितारा बुलंद हो उठा। मजदूरी करते-करते अपनी सूझबूझ से सूर्यदेव मजदूरों के नेता बन गये और 1964 से 74 तक विभिन्न मजदूर संगठनों में रहे। वर्ष 1977 में वह पहली बार चुनाव लड़े और श्रमिक नेता एसके राय को हराकर विधायक बनने में सफल रहे। वे 1980, 1985 और 1990 में भी विधायक बने। वर्ष 1991 में हृदयाघात से उनकी मौत हो गयी। सिंह मेंशन उन्हीं ने बनवाया था। उनकी शादी कुंती सिंह से हुई और दोनों के तीन बेटे राजीव रंजन सिंह, संजीव सिंह और सिद्धार्थ गौतम और एक बेटी किरण सिंह है। इनमें से एक राजीव रंजन की हत्या हो चुकी है। सूर्यदेव सिंह के निधन के बाद उनकी विरासत को उनके छोटे भाई बच्चा सिंह ने संभाला। वर्ष 2000 के फरवरी में हुए चुनाव मेें झरिया सीट से जीतकर वह बाबूलाल मरांडी की सरकार में नगर विकास मंत्री बने। जब परिवार में कई वजहों से फूट हुई, तो कुंती सिंह ने उनकी विरासत संभाली। वे वर्ष 2005 और 2009 में यहां से चुनाव जीतकर विधायक बनने में सफल रहीं। वर्ष 2014 में उनके बेटे संजीव सिंह यहां से विधायक बने और हत्या के आरोप में वह जेल में हैं। उनके जेल में होने के कारण उनकी पत्नी रागिनी सिंह को भाजपा ने चुनावी समर में उतारा है। इस तरह एक तरफ दिवंगत नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा तो दूसरी तरफ नीरज सिंह की हत्या के आरोप में जेल में बंद संजीव सिंह की पत्नी रागिनी के बीच दिलचस्प लड़ाई है।

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