रांची। चाईबासा की कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा सहज महिला हैं। आम लोगों के लिए उपलब्ध हैं। वह पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री रहते हुए मधु कोड़ा के हिस्से में जितनी बदनामियां आयीं, उन्हें पीछे छोड़कर गीता कोड़ा ने नयी रेखा खींच दी है। 2009 के आखिरी दिनों में कोड़ा परिवार पर संकट के बादल मंड़राये थे। कई विवादों से सामना हुआ। मधु कोड़ा का हाथ पकड़े गीता कोड़ा ने अदालत से लेकर सियासत के मोर्चे पर लड़ाई लड़ी। खुद को संभाला। पहले विधायक बनीं और अब सांसद हैं। वह राजनीति की बड़ी खिलाड़ी बन चुकी हैं, लेकिन रसोई के काम भी वह बेहद कुशलता से निपटाती हैं। गीता कोड़ा से आजाद सिपाही की लंबी बातचीत हुई। लीक से हटकर इस बातचीत के कुछ अंश-
सवाल-लीक से हटकर सवाल है। आप मधु कोड़ा की पत्नी हैं। इस रूप में जब आपका परिचय होता है तो कितना सहज महसूस करती हैं?
जवाब-आप किस रूप में जानना चाह रहे हैं।
सवाल-कितना कंफर्ट फील करती हैं?
जवाब-देखिए…राजनीतिक रूप से जानना चाहें, तो दोनों राजनीतिक रूप से एक-दूसरे को काफी स्पेस देते हैं। इसलिए हमलोगों को इतना काम करने का मौका भी मिल रहा है। अगर गृहिणी के रूप में जानना चाहते हैं, तो मैं बेटर हाफ हूं।
सवाल-आप राजनीति में क्यों आयीं?
जवाब-मेरा आने का ऐसा कोई विचार नहीं था। हमेशा से इच्छा रही है कि लोगों के लिए कुछ काम करना है। कुछ बेटर करना है। कहीं न कहीं सेवा करने का भाव था। शादी राजनीतिक परिवार में हुई, तो थोड़ा बल मिला काम करने का। 2009 में परिस्थितियां हमारे विपरीत हो गयीं। उस वक्त हमारे कार्यकर्ताओं और जनता का ज्यादा दबाव था कि मधु कोड़ा जी सांसद हो गये हैं, तो यहां विधायक गीता कोड़ा को होना चाहिए। वहीं से मेरी शुरुआत हुई।
सवाल-मधु कोड़ा पर तो राजनीति के कारण ही आरोप लगते रहे। इसके बाद भी आपने राजनीति क्यों चुनीं।
जवाब: हमारे क्षेत्र के लोगों का बहुत दवाव था कि मुझे राजनीति में आ जाना चाहिए। 2009 के लोकसभा चुनाव में मैंने काफी प्रचार किया। लोगों का काफी अटैचमेंट रहा। इसी वजह से लोग चाह रहे थे कि मैं ही इलाके का प्रतिनिधित्व करूं। इसके बाद चुनाव लड़ी और विधायक बनी।
सवाल-झारखंड दिल्ली जैसा तो नहीं है, ऊपर से आप महिला हैं। कितना कंफर्ट महसूस करती हैं राजनीति में?
जवाब-झारखंड बहुत सेफ जगह है राजनीति के लिए। ऐसा माहौल नहीं है कि आप महिला हैं तो राजनीति नहीं कर सकते हैं। मैं बस यह कहती हूं कि महिलाओं को घर से निकल कर राजनीति में आने की जरूरत है। महिलाएं को घर से निकलने की देरी है। लोग चाह रहे हैं कि महिलाएं अब राजनीति में आये। उन्हें मौका मिल भी रहा है। इस बार विधानसभा और लोकसभा में महिलाओं की संख्या बढ़ी है। निश्चित रूप से लोग चाह रहे हैं कि महिलाएं नेतृत्व की कमान संभालें।
सवाल-आप जिस इलाके से आती हैं, वह चाईबासा है, जो झारखंड के पिछड़े जिलों में शामिल है। चाईबासा के लिए आप क्या सोचती हैं?
जवाब-हमलोगों को अभी बहुत कम मौका मिला। लोकसभा चुनाव के बाद तुरंत विधानसभा चुनाव हो गया। इसके बाद चुनाव की तैयारी में लगे। जो भी मौका मिला, वहां के किसानों और क्षेत्र की समस्याओं पर सवाल उठाया। अगले सेशन में चाईबासा के सवालों को संसद में मजबूती के साथ उठाने वाली हूं।
सवाल-आपके क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या क्या है?
जवाब- सबसे बड़ी समस्या रोजगार की है। बेरोजगारी विकराल है। लोकसभा चुनाव में भी हम इस मुद्दे को लेकर गये थे। आदित्यपुर इलाके में अधिकतर स्मॉल इंडस्ट्रीज बंद हो गयी हैं। हमारे सिंहभूम में ज्यादातर माइंस बंद हो गये हैं। इससे बेरोजगारी बढ़ गयी है। अगले सत्र में इन विषयों को भी रखेंगे। रोजगार और पलायन को रोकने पर भी सवाल होगा।
सवाल-सुना है आप खाना बहुत अच्छा पकाती हैं।
जवाब-आप आमंत्रित हैं। (चेहरे पर खिलखिलाहट)।
सवाल-सबसे अच्छा डिश कौन सा पकाती हैं?
जवाब-मैं नहीं बता सकती कि किस चीज में स्पेशलिस्ट हूं। लेकिन कोशिश है कि मेरे हाथों का बना हुआ खाना बच्चों और मेरे पति को पसंद आये। परिवार को पसंद आये। बहुत सारी चीजें हैं। कोड़ा जी को साग-भात बहुत ज्यादा पसंद है।
सवाल-कौन सा साग?
जवाब-उनको सभी साग बहुत पसंद है। बड़ी चाव से खाते हैं।
सवाल-कितना समय देती हैं किचेन में?
जवाब-समय तो कम ही मिल पाता है। पर कोशिश करती हूं कि जब भी मैं घर पर रहूं, तो एक टाइम का खाना मैं खुद बनाऊं।
सवाल-आप राजनीति में हैं, फिर समय कैसे निकाल पाती हैं?
जवाब-मैंने पहले ही कहा है कि बहुत कम समय मिल पाता है।
सवाल-झारखंड की महिलाओं के लिए कोई सलाह, जो राजनीति में आना चाहती हैं?
जवाब- देखिए, झारखंड के परिवेश की बात करें तो हालात बहुत बदले हैं। 2010 से अनुभव किया है कि बड़ा परिवर्तन हुआ है। पहले काफी कम महिलाएं निकल कर आती थीं अपनी बात रखने के लिए। लेकिन अब ऐसी स्थिति नहीं है। 2010-11 के बाद माहौल में बड़ा परिवर्तन आया है। इसकी वजह यह है कि महिलाओं को पंचायत में भागीदारी मिली। उससे वे राजनीति की ओर तेजी से बढ़ीं। महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण मिला हुआ है। अब महिलाएं मुखर हो गयी हैं और आगे आ रही हैं। छोटे स्तर से महिलाएं राजनीति शुरू कर रही हैं, तो धीरे-धीरे वे आगे बढ़ रही हैं। सबसे बड़ा उदाहरण नीरा यादव हैं, जो जिला परिषद से विधायक तक बनीं, मंत्री बनीं। कहीं न कहीं शुरुआत हो चुकी है। इस बार तो दस विधायक महिलाएं हैं। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।
सवाल-आप महिला आरक्षण की मांग नहीं करेंगी?
जवाब-हमारी पार्टी जब महिला आरक्षण की मांग कर रही है, तो मैं इसमें अकेले थोड़े हूं। हमारी पूरी पार्टी महिला आरक्षण के पक्ष में है।
सवाल-आरक्षण तो मिला नहीं, आगे आप कहां आवाज उठायेंगी?
जवाब- मैं उचित प्लेटफार्म पर बात रखंूगी। महिलाओं को प्रतिनिधित्व का मौका मिलना चाहिए। समाज का गठन ही इस रूप में हुआ है कि दोनों को समाज का दो पहिया माना जाता है। एक पहिया भी अगर थोड़ा छोटा या पंक्चर हो जाये, तो गाड़ी आगे नहीं चल सकती। इस कारण दोनों को समान अधिकार मिलना चाहिए।
सवाल-झारखंड में नौकरी में जो आरक्षण है, उसमें आप कोई परिवर्तन चाहती हैं।
जवाब-बिल्कुल मैं चाहती हूं। कई ऐसे सेक्टर हैं, जहां महिलाओं की संख्या काफी कम है। जैसे सेल में भी हमलोग देखते हैं, वहां महिलाओं की संख्या कम है। महिलाओं को भी मौका मिले। अब तो टेक्निकल सेल में महिलाओं का प्रदर्शन बहुत अच्छा है। मैं जाती रहती हूं पॉलिटेक्निक में, देखती हूं कि महिलाएं फीडर का काम, इलेक्ट्रिक का काम बहुत अच्छे से कर रही हैं। कुछ महिलाओं में परिवर्तन आया है।
सवाल-हेमंत सरकार को आप क्या सलाह देना चाहती हैं।
जवाब-हेमंत सरकार को मेरी सलाह यही होगी कि जिस आशा और विश्वास के साथ झारखंड की जनता ने चुना है, उसपर खरा उतरें। महिलाओं को सेंटर में रखकर योजनाएं बनायी जायें। ग्रामीण इलाकों में महिलाएं काफी एक्टिव होकर आगे आयी हैं। ग्रामसभा के माध्यम से छोटे स्तर पर महिलाओं ने काफी काम किया है।
सवाल-झारखंड में महिला सुरक्षा एक इश्यू है।
जवाब-इसे दूर करने के लिए पलायन पर विराम लगाना होगा। यह बड़ी समस्या है। सबसे ज्यादा पलायन अगर हो रहा है, तो वह महिलाओं का। महिलाओं को जब तक सुरक्षा प्रदान नहीं करेंगे, तब तक विकास नहीं होगा। रेस्क्यू कर जब महिलाओं को जाया जाता है, तो देखनेवाला कोई नहीं होता है। इस कारण महिलाएं बैकफुट पर हैं। अगर लौटती भी हैं, तो परिवार एक्सेप्ट नहीं करता है। काम उनको नहीं मिल रहा है। ऐसी महिलाओं को ज्यादा काम मिले। उनको सम्मान मिले। इससे अच्छा संदेश समाज और राज्य में जायेगा।
सवाल-एक इश्यू और उठा है कि महिलाएं जब रात को घर जाती हैं, तो छेड़खानी का शिकार होती हैं।
जवाब-ग्रामीण इलाकों में इस तरह का कुछ नहीं होता है। मैं खुद ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा रहती हूं। मैंने देखा है कि वहां ऐसा कुछ नहीं होता है। टाउनशिप में है थोड़ा बहुत। हमारे एक पत्रकार मित्र हैं, उनकी पत्नी के साथ छेड़खानी की घटना हुई। शहर में विधि-व्यवस्था और महिला थाना की संख्या बढ़ाना, यह सबसे बड़ी चुनौती है।