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    Home»Breaking News»हेमंत सरकार के दो साल: आम लोगों के दरवाजे पर पहुंचा प्रशासन
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    हेमंत सरकार के दो साल: आम लोगों के दरवाजे पर पहुंचा प्रशासन

    azad sipahiBy azad sipahiDecember 28, 2021No Comments5 Mins Read
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    आजाद सिपाही संवाददाता
    रांची। दो साल पुरानी हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली महागठबंधन सरकार ने राज्य स्थापना दिवस पर 15 नवंबर को एक अभियान शुरू किया। इसका नाम था, ‘आपके अधिकार, आपकी सरकार, आपके द्वार’। यह अभियान आज एक प्रशासनिक क्रांति का रूप ले चुका है। अभियान के दौरान अब तक सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित 33 लाख से अधिक लोगों ने विभिन्न शिविरों में आवेदन सौंपा है और इसमें से 22 लाख का निबटारा किया जा चुका है।

    झारखंड के लोगों के लिए यह एकदम नया अनुभव है। हेमंत सोरेन ने 29 दिसंबर 2019 को सवा तीन करोड़ झारखंडियों की अगुवाई करने का जो भार अपने कंधों पर लिया था, उसके दो साल पूरे हो रहे हैं। ‘आपके अधिकार-आपकी सरकार-आपके द्वार’ अभियान की आज पूरी दुनिया देश भर में चर्चा हो रही है। असली मतलब लोगों के सामने आने लगा है। झारखंड को मिली इस नयी ताकत के कारण राज्य के सपने अब अंगड़ाई लेने लगे हैं।

    दो साल पहले मुख्यमंत्री बनने से एक सप्ताह पहले 23 दिसंबर को, जब विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हुए और हेमंत सोरेन को ऐतिहासिक जनादेश मिला, तो उन्होंने कहा था कि वह जन आकांक्षाओं के अनुरूप काम करेंगे। इसको उन्होंने अब तक कायम रखा है। उन्होंने कहा था कि अब हर फैसला झारखंड के हितों को ध्यान में रख कर किया जायेगा। दो साल में उन्होंने यह किया भी है। यह तो सभी जानते हैं कि झारखंड के सामने समस्याएं बड़ी हैं, सरकार के सामने चुनौतियां विकराल हैं और संसाधनों का भयंकर अभाव है। तमाम अवरोधों के बावजूद राज्य ने आगे कदम बढ़ाया और हेमंत ने अपनी मजबूत इच्छाशक्ति, प्रशासनिक कौशल और राजनीतिक सूझबूझ से अवरोधों को एक-एक कर हटाया। उनके सामने कोरोना की चुनौतियां आयीं, तो उन्होंने सबसे पहले खतरे को भांपा और अपनी तैयारी शुरू कर दी।

    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी सरकार की कार्यशैली पर नाक-भौं सिकोड़नेवालों को बता दिया है कि प्रशासन कैसे चलाया जाता है। उनकी इस कार्यशैली का एक उदाहरण यह है कि सत्ता संभालने के चार महीने बाद तक उन्होंने न तो प्रशासनिक ढांचे में कोई बदलाव किया और न ट्रांसफर-पोस्टिंग में समय गंवाया। बिना किसी तामझाम और प्रचार-प्रसार के लिए वह अपने काम में जुटे रहे। उन्होंने सिर्फ इतना किया कि प्रशासन को आम लोगों और जरूरतमंदों के दरवाजे पर लाकर खड़ा कर दिया। झारखंड के लिए यह एक बड़ा बदलाव है। अब प्रशासनिक मशीनरी लोगों के दरवाजे पर खुद पहुंच रही है। ‘आपके अधिकार-आपकी सरकार-आपके द्वार’ अभियान ने एक झटके में इन तमाम कलंकों को मिटा दिया है। 21 साल के गबरू जवान झारखंड के लिए यह एक सुखद बदलाव है, जो उसके भविष्य के रास्ते को चमकीला करेगा।

    हेमंत सरकार के माथे पर कई और उपलब्धियां अंकित हैं। इस सरकार ने कोरोना और लॉकडाउन के दौर में भी झारखंड ने बहुत बड़ी कामयाबी हासिल की। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में राज्य को देश में दूसरा स्थान हासिल हुआ, तो शिशु रक्षा के मामले में झारखंड पूरे देश में संयुक्त रूप से पहले नंबर पर रहा। इसी तरह मनरेगा में जो मॉडल झारखंड ने 2014 में अपनाया था, उसे अब केंद्र ने भी लागू करने का फैसला किया है। अब दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना में झारखंड की झलक दिखायी देगी।

    सबसे पहले बात मनरेगा की। यह 2014 की कहानी है। तब राज्य की कमान हेमंत सोरेन के पास थी। केंद्र ने राज्यों को मनरेगा के तहत सीएफटी नामक विशेष परियोजना पर काम करने को कहा, जिसमें 10 राज्यों के ढाई सौ अत्यंत पिछड़े प्रखंडों में क्लस्टर फैलिसिटेशन टीम का गठन करने को कहा। हरेक प्रखंड में कम से कम तीन सीएफटी का गठन करना था और हरेक सीएफटी के लिए केंद्र सरकार ने अलग से 28 लाख रुपये वार्षिक की विशेष सहायता दी। झारखंड के 78 प्रखंडों को इसके लिए चुना गया। राज्य सरकार ने इस मौके का लाभ उठाया और एक नयी परियोजना शुरू की, जिसके तहत मनरेगा, ग्रामीण आजीविका मिशन और क्लस्टर फैलिसिटेशन टीम (सीएफटी) को दिया। इसका सीधा लाभ यह हुआ कि मनरेगा के तहत काम हुए और ग्रामीणों के लिए स्थायी रोजगार की व्यवस्था हो गयी। यह काम इतने वैज्ञानिक तरीके से किया गया कि बाकी नौ राज्य झारखंड से पिछड़ गये। कुछ दिन बाद केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव की अगुवाई में नौ राज्यों की 70 सदस्यीय टीम यहां आयी और गुमला के रायडीह और बसिया तथा खूंटी के तोरपा में सीएफटी परियोजनाओं का जायजा लिया। केंद्र सरकार ने तब राज्य के 50 और प्रखंडों में सीएफटी परियोजना लागू करने की अनुमति दे दी। अब यही मॉडल पूरे देश में लागू किया गया है। सीएफटी परियोजना आज भी झारखंड में लागू है और इसके कारण ही हेमंत सोरेन की वर्तमान सरकार लॉकडाउन के कारण बाहर से लौटे प्रवासी कामगारों को काम भी दे रही है।

    झारखंड को दूसरी कामयाबी प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के कार्यान्वयन में मिली। पिछले दो साल में राज्य सरकार ने इस योजना के तहत शानदार काम किया और उसे देश में दूसरा स्थान मिला। राज्य के 12 जिले देश के टॉप 25 जिलों में शामिल हुए हैं। राज्य सरकार ने इस योजना के तहत दो साल पहले मिले लक्ष्य के विरुद्ध करीब 95 फीसदी आवास निर्माण कराया है। अभी इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए 33 हजार से कुछ अधिक आवास का निर्माण कराया जाना है।

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