रांची। झारखंड हाई कोर्ट ने शीर्ष नक्सली नेता प्रशांत बोस और उनकी पत्नी शिला देवी को बेल देने से इंकार कर दिया है। प्रशांत बोस और उनकी पत्नी की जमानत याचिका पर बुधवार को जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस नवनीत कुमार की बेंच में सुनवाई हुई।

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता सतीश प्रसाद ने पक्ष रखा। प्रशांत बोस की ओर से अधिवक्ता जितेंद्र सिंह ने पक्ष रखा। राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता भोला नाथ ओझा ने बहस करते हुए कहा कि प्रशांत बोस नक्सलियों के थिंक टैंक हैं और इनके खिलाफ झारखंड के अलग-अलग जिलों में कई मामले दर्ज हैं। इसलिए इन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए। उनकी दलील सुनने के बाद अदालत ने प्रशांत बोस और उनकी पत्नी की जमानत याचिका खारिज कर दी।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021 में झारखंड पुलिस ने भाकपा माओवादी के शीर्ष पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस उर्फ किशन दा, उनकी पत्नी शीला मरांडी और चार माओवादियों को गिरफ्तार किया था। तब से वह न्यायिक हिरासत में हैं।

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