विशेष
संसद परिसर में हुई धक्का-मुक्की से नये विवाद में फंस गये कांग्रेस के युवराज
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
18वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी एक बार फिर गंभीर विवाद में फंस गये हैं। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान अडाणी मुद्दे के साथ शुरू हुआ उनका सफर संविधान और अंबेडकर से होता हुआ धक्का-मुक्की पर आकर खत्म हुआ और वह एक नये आपराधिक मामले के आरोपी बन गये हैं। कहा जा रहा है कि संसद परिसर में घटी शर्मनाक घटना से जुड़ा यह विवाद राहुल गांधी के राजनीतिक करियर का न तो पहला विवाद है और न अंतिम। करीब ढाई दशक के अपने राजनीतिक करियर में वह कई बार विवादों में फंस चुके हैं, लेकिन यह पहली बार है, जब एक सांसद के रूप में उनके आचरण को लेकर विवाद खड़ा हुआ है। 18वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद से राहुल गांधी के स्वभाव में एक किस्म का अक्खड़पन देखा जा रहा है और अपने राजनीतिक विरोधियों से उनके व्यवहार पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं। लेकिन ये सवाल धक्का-मुक्की तक पहुंच जायेंगे, इसकी कल्पना किसी ने भी नहीं की थी। भाजपा के जिस सांसद प्रताप सारंगी को धक्का देने का आरोप उनपर लगा है, वह ओड़िशा के बालासोर इलाके के सांसद ही नहीं, पूरे देश में अपनी सादगी के लिए चर्चित हैं। वह उम्र में राहुल गांधी से बहुत बड़े हैं और अपने से बड़े किसी भी व्यक्ति के साथ इस तरह का व्यवहार अच्छा नहीं माना जाता है। इतना ही नहीं, राहुल गांधी ने लोकसभा के अंदर अडाणी, संविधान और अंबेडकर को लेकर जो कुछ भी किया, उससे भी उनका सियासी नुकसान ही पहुंचा है। क्या है राहुल गांधी से जुड़े इस प्रकरण का पूरा किस्सा और क्या हो सकता है इसका सियासी असर, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
देश की सबसे बड़ी पंचायत और लोकतंत्र का मंदिर, यानी संसद का शीतकालीन सत्र बिना कोई खास काम किये खत्म हो गया। इस सत्र में जितना काम हुआ, उससे अधिक विवाद हुआ और सत्र की समाप्ति के एक दिन पहले तो इसके गौरवशाली इतिहास में एक शर्मनाक अध्याय जुड़ गया। यह अध्याय संसद में बीजेपी और कांग्रेस के बीच अंबेडकर पर छिड़ी जंग के हिंसक रूप में बदलने का है। इस शर्मनाक अध्याय के साथ ही लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी एक नये विवाद में फंस गये हैं। भारत के संसदीय इतिहास में यह पहला मौका है, जब लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष पर शारीरिक हिंसा के आरोप लगे हैं।
क्या हुआ संसद परिसर में
दरअसल संसद का शीतकालीन सत्र खत्म होने से एक दिन पहले संसद परिसर में एक शर्मनाक घटना हुई, जिसमें आरोप है कि राहुल गांधी ने बीजेपी के सांसदों के साथ धक्का-मुक्की की, जिससे पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रताप सारंगी के सिर पर गंभीर चोट आयी और वह अस्पताल के आइसीयू में भर्ती हैं। प्रताप सारंगी ओड़िशा के बालासोर से बीजेपी के सांसद हैं और अपनी सादगी के लिए चर्चित हैं। यह वाकया तब का है, जब कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष के सांसद संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। यह विरोध बाबा साहेब अंबेडकर को लेकर अमित शाह द्वारा दिये गये एक बयान के विरोध में हो रहा था। अपने बयान पर अमित शाह ने सफाई भी दे दी है। खास बात यह रही कि विरोध सिर्फ विपक्ष की तरफ से ही नहीं, बल्कि बीजेपी की तरफ से भी हो रहा था। बीजेपी सांसद अमित शाह के समर्थन में कांग्रेस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और देखते ही देखते दोनो तरफ के प्रदर्शनकारी संसद के मकर द्वार पर बिल्कुल आमने-सामने आ गये थे। वहां जो धक्का-मुक्की हुई, उसमें ही प्रताप सारंगी का सिर फट गया और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। अब यह विवाद दिल्ली पुलिस के पास पहुंच चुका है। संसद परिसर में हुई धक्का-मुक्की के मामले में राहुल गांधी के खिलाफ बीजेपी के तीन सांसदों, बांसुरी स्वराज, अनुराग ठाकुर और हेमांग जोशी ने मामला दर्ज कराया है। बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी का दावा है कि राहुल गांधी ने एक सांसद को धक्का दिया था, जो उन पर गिर गये और वह भी घायल हो गये। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने राहुल गांधी पर विरोध प्रदर्शन के दौरान दो बीजेपी सांसदों पर हमले का आरोप लगाया। नागालैंड से बीजेपी सांसद कोन्याक ने राहुल गांधी पर पास पहुंच कर चिल्लाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि वह बहुत असहज हो गयी थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनो सांसदों से फोन पर बात कर हालचाल जाना। शिवराज सिंह चौहान ने कहा, राहुल गांधी की गुंडागर्दी का ऐसा दूसरा उदाहरण नहीं मिलेगा। मुझे समझ नहीं आता कि राहुल गांधी को गुंडागर्दी करके मिलेगा क्या? अब ऐसे सांसदों को पीटा जायेगा? ऐसा आचरण आज तक भारत के संसदीय इतिहास में देखने को नहीं मिला।
राहुल गांधी की राजनीति
राहुल गांधी के साथ एक अच्छी बात भी हुई है, और एक बुरी भी। अच्छी बात यह है कि राहुल गांधी को अंबेडकर के अपमान के मुद्दे पर विपक्ष का साथ मिल रहा है। और बुरी बात ये है कि वह बीजेपी के हमले में घिरने लगे हैं। पूरा मामला अब प्रताप सारंगी से बीजेपी की महिला सांसद की तरफ शिफ्ट होने लगा है और राहुल गांधी के लिए ठीक नहीं है। देखा जाये तो अडाणी के मुद्दे से अंबेडकर के अपमान के मुद्दे पर पहुंच चुकी कांग्रेस के लिए फिर से संभलने का मौका आ गया है। अडाणी के मुद्दे पर भले ही विपक्षी दलों के नेताओं ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था, लेकिन अंबेडकर की बात पर भला ऐसी हिम्मत कौन जुटा सकता है। अडाणी के मुद्दे पर कांग्रेस अकेली पड़ रही थी। तृणमूल कांग्रेस के बाद समाजवादी पार्टी और दूसरे दलों ने भी साथ छोड़ दिया था और ममता बनर्जी को इंडी ब्लॉक का नेता बनाने की मांग शुरू हो चुकी थी। लालू यादव से लेकर शरद पवार तक ममता बनर्जी के समर्थन में खड़े हो गये थे। ऐसे में अंबेडकर के बहाने कांग्रेस को अचानक सपोर्ट सिस्टम मिल गया है, क्योंकि ये राहुल गांधी की जातीय राजनीति की लाइन को भी सूट कर रहा है। अंबेडकर का नाम दलित राजनीति से जुड़ा है, जिसे हर राजनीतिक दल अपनी तरफ करने की होड़ में शामिल है। जातिगतण जनगणना का फोकस ओबीसी पॉलिटिक्स है, जबकि अंबेडकर दलित राजनीति के आइकन हैं और राहुल गांधी कुछ दिनों से कांग्रेस के खोये जनाधार को हासिल करने के लिए जूझ रहे हैं। अडाणी से अंबेडकर की तरफ चल पड़ी लड़ाई का फायदा ये भी है समाजवादी पार्टी और आरजेडी जैसे राजनीतिक दल चाहकर भी मुंह मोड़ नहीं सकते, जबकि उनको नुकसान भी हो सकता है।
राहुल गांधी को नुकसान
इस विवाद के परिप्रेक्ष्य में अब यह साफ दिख रहा है कि इससे राहुल गांधी को सियासी नुकसान हुआ है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद से राहुल गांधी के स्वभाव में एक अक्खड़पन देखा जा रहा है। लोग कहने लगे हैं कि राहुल गांधी पहले से अधिक आक्रामक हो गये हैं और उनकी आक्रामकता केवल उनके भाषणों-वक्तव्यों में नहीं, बल्कि हाव-भाव में भी दिखने लगा है। इतना ही नहीं, राहुल गांधी अब एकांगी बातें करने लगे हैं, यानी वह किसी भी मुद्दे का सिर्फ वही पक्ष सामने रखते हैं, जो उनके हित में होता है। उदाहरण के लिए अंबेडकर के मुद्दे पर ही वह केवल अपने पक्ष की बातें करते हैं, लेकिन वह कभी यह नहीं बताते कि कैसे पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अंबेडकर के खिलाफ चुनाव प्रचार किया था और कांग्रेस ने बाबा साहेब को कूड़ेदान में डालने का हरसंभव प्रयास किया।
संसद परिसर में घटी शर्मनाक घटना ने जिस विवाद को जन्म दिया है, उससे राहुल गांधी को नुकसान तो हुआ ही है, कांग्रेस को भी इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा। अभी दिल्ली विधानसभा का चुनाव होना है और कांग्रेस का दुरूह रास्ता इस विवाद के बाद अब और कठिन दिखने लगा है।