रांची। हम मनुष्य तीन बातों से बने हैं, मन, शरीर और आत्मा। हर मनुष्य की अपनी क्षमता है। जो अपनी क्षमता की परिधि पार करने की कोशिश करेगा, वह परेशान होगा। यह क्षमता ही मनुष्य का मन है, जो निरंतर उसे परेशान करता है। जब हम अपने मन को नियंत्रित करने में सफल होंगे, तभी हम शांति की ओर बढ़ेंगे। हमारा मन तो बिलकुल पेंडुलम के जैसा है, जो निरंतर इधर-उधर डोलता रहता है। आज लोगों की परेशानियों का सबसे बड़ा कारण है। हमें इसी चंचल मन का विसर्जन करना है, तभी हम शांति की ओर बढ़ेंगे। उक्त बातें श्री हनुमान सेवा संस्थान द्वारा शनिवार को आयोजित एक शाम युवाओं के नाम में पंडित विजयशंकर मेहता ने कही।
पंडित मेहता ने कहा, मुझे उदास न कर मेरे मन। जो गुजर गया, सो गुजर गया। इन पंक्तियों को आज के संदर्भ से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि आज हमारा मन केवल पुरानी बातों को याद करने और चिंता करने में अपना समय बेकार करता है। उन्होंने मन को एक अघोषित पागल कहते हुए बताया कि मन बिलकुल उस पागल के जैसा है, जो निरंतर अपने आचरण से लोगों को परेशान करता है। मन को छह रूपों में वर्गीकृत करते हुए
उन्होंने कहा कि हमारा मन एक संग्रहालय, पुस्तकालय, बैंक, बाजार, घर और मंदिर के जैसा है। मन की अंतिम परिणति मंदिर के जैसी होनी चाहिए, जिसमें गर्भगृह में बैठी जीवंत प्रतिमा के सामने हम स्वयं को समर्पित कर दें। आज के युवाओं के संदर्भ बोलते हुए पंडित मेहता ने कहा कि आज युवाओं के सामने कोई ऐसा आदर्श नहीं है, जो निर्विवाद हो। आज हर किसी के साथ कोई न कोई संदेह जुड़ जा रहा है। यह राष्ट्र के लिए अहितकर है। हमें युवाओं को राष्ट्र निर्माण से जोड़ना है। आज भारत के समक्ष राष्ट्रीयता के बोध के अभाव से बहुत नुकसान हो रहा है। राष्ट्र के विकास के लिए अच्छी नीयत का होना जरूरी है।
वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर बोलते हुए पंडित मेहता ने जोर देते हुए कहा कि शिक्षा उपयोगी होनी चाहिए, कागजी नहीं। स्वामी विवेकानंद कहते थे कि भारत की शिक्षा में धार्मिक श्रेष्ठता है। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए कि वह मन को परिष्कृत कर दे। हमें उपयोगी और सार्थक शिक्षा व्यवस्था का पक्षधर होना चाहिए। आज की युवा पीढ़ी इन कागजी शिक्षा से मशीन बनते जा रही है। वह परिश्रम करती है, लेकिन दिशा नहीं है। आज की युवा वर्ग के लिए परिश्रम एक नशा बन चुका है। हमें ऐसे नशा से शांति नहीं मिलनेवाली। इससे हमेशा हमें अशांति ही मिलेगी। पंडित मेहता ने लोगों को योग से जुड़ने की अपील करते हुए कहा कि हमारा मन जब शांत होगा, तभी हम जीवन को एक उद्देश्यपरक बना पायेंगे। उज्जैन में बन रहे शांतम के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने लोगों से इससे जुड़ने की अपील भी की।
संस्थान द्वारा कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रीय युवा दिवस में स्वामी विवेकानंद को स्मरण करते हुए एक दौड़ राष्ट्र के नाम का आयोजन किया गया, जो सहजानंद चौक से शुरू होकर अरगोड़ा चौक पर समाप्त हुआ। श्री हनुमान सेवा संस्थान के सदस्यों ने स्वच्छता अभियान चला कर लोगों को स्वच्छ भारत अभियान से जुड़ने का संदेश दिया। कार्यक्रम स्थल पर पौधरोपण कर अपने पर्यावरण को संरक्षित करने की अपील की गयी।
पंडित विजयशंकर मेहता जी का स्वागत करते हुए संस्थान के अध्यक्ष राकेश भास्कर ने कहा कि आज भारत विश्व का सबसे युवा देश है। आज पूरा विश्व भारत की ओर टकटकी लगाये देख रहा है। भारत की ऊर्जा यहां का आध्यात्म है, जिसका प्रतिनिधित्व स्वामी विवेकानंद करते हैं। भारत के युवाओं में असीम ऊर्जा का प्रसार हनुमान जी कर रहे हैं। कार्यक्रम में विधानसभाध्यक्ष दिनेश उरांव, नगर विकास मंत्री सीपी सिंह, प्रमोद सारस्वत, विमलेश सिंह, अभिषेक छाबड़ा, अरुण कुमार सिंह, धर्मेंद्र तिवारी, रामदेव पांडेय, इंद्रजीत यादव आदि ने पंडित विजयशंकर मेहता जी का स्वागत किया।