वॉशिंगटन : पाकिस्तान की हरकतों से नाराज अफगानिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से मदद की गुहार लगाई है। अफगानिस्तान ने अपनी सीमाओं पर पाकिस्तानी सेना द्वारा नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए यूएन से मदद की गुहार लगाई है। अफगानिस्तान मिशन की ओर से 22 अगस्त को यूएन को लिखी चिट्ठी में पाकिस्तान की आलोचना करते हुए उसके पड़ोसी मुल्क ने अंतरराष्ट्रीय संस्था से दखल की मांग की। पाकिस्तान के खिलाफ UN पहुंचा अफगानिस्तान अफगानिस्तान मिशन की ओर से लिखे पत्र के अनुसार, ‘यूएन चार्टर के प्रावधानों जिनमें आर्टिकल 2 भी शामिल है का पाकिस्तान द्वारा पालन नहीं किया जा…
Author: azad sipahi desk
सिमरिया से आजसू ने किया विधानसभा चुनाव का शंखनाद
रांची। रघुवर दास सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत झारखंड में तीसरी, चौथी और क्लास टू के अराजपत्रित पदों पर केवल झारखंड के लोगों की बहाली होगी। दूसरे राज्यों के लोग अब इन पदों के लिए आवेदन नहीं कर पायेंगे। मंगलवार को प्रोजेक्ट भवन में हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गयी। कैबिनेट सचिव का प्रभार संभाल रहे एपी सिंह ने यह जानकारी पत्रकारों को दी। उन्होंने बताया कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग में इन पदों के लिए पूर्व में जो विज्ञापन निकाला गया था, उसे रद्द कर दिया गया है। अब बहाली…
ऐ..एसपी आपका बेटा गुम होता, तब आपको पता चलता
सूरज..सुन रहे हो, गरीबों को मिलना चाहिए योजनाओं का लाभ
विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रमेश शरण और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बीच गहराता जा रहा है। सोमवार को रांची विश्वविद्यालय परिसर में जो भी हुआ, उससे शिक्षा और उससे जुड़ी मर्यादाएं ही तार-तार नहीं हुईं, बल्कि गुरु-शिष्य का रिश्ता कलंकित हुआ तथा गुरुकुल की परंपरा की हंसी भी उड़ी। कौन गलत है, कौन सही, यह तो सक्षम लोग ही तय कर सकते हैं, पर जो बीज बोये जा रहे हैं, वे छात्र और देश के भविष्य के लिए कहीं से भी उचित नहीं है। मामला अब सिर्फ विवाद भर नहीं रह गया है। पानी सिर से ऊपर जा चुका है। ऐसे में अब सक्षम पदाधिकारियों को यह देखने की जरूरत है कि आखिर चूक कहां है। यदि कुलपति कहीं से भी गलत हैं, तो राज्यपाल को कार्रवाई करनी चाहिए। यदि छात्र गलत हैं, तो भाजपा को उन्हें रोकने की पहल करनी चाहिए। इतना ही नहीं, यदि कुलपति प्रो रमेश शरण को लगता है कि उन्हें विवादों में धसीटा जा रहा है और उनमें स्वाभिमान है, तो आगे बढ़ कर पद छोड़ क्यों नहीं देते। एक महीने से चल रहे इस विवाद पर राजभवन की चुप्पी भी समझ से परे है। कुल मिला कर इस मामले से पूरे देश में झारखंड की ही छवि धूमिल हो रही है। पेश है आजाद सिपाही की विशेष रिपोर्ट।
रांची : मां, मुझे माफ करना, तुम्हारा नालायक बेटा..और फिर फंदे से झूलकर सुमित ने जान दे दी। जिसने भी यह सुसाइड नोट पढ़ा, उनकी आंखों में आंसू आ गए। सुमित होनहार था। कुछ समय पहले ही स्नातक की परीक्षा पास की थी। प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहा था। नौकरी नहीं मिल रही थी तो तनाव में आकर अपनी इहलीला खत्म कर ली। हृदयविदारक घटना सोमवार देर रात कोकर जतराटांड़ बाजार के समीप की है। मंगलवार सुबह परिजनों को जानकारी मिली तब सभी के होश उड़ गए। सुबह जब सुमित की मां ने उसे आवाज लगाई, जो कोई जवाब…