Author: azad sipahi desk

नई दिल्ली : पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार देर रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली। 67 वर्षीय सुषमा के निधन पर देश और दुनिया के राजनेताओं ने गहरा दुख व्यक्त किया। सभी ने एक स्वर में स्वराज को कुशल राजनेता, प्रभावी वक्ता और संवेदनशील इंसान बताया है। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और विदेश मंत्री ने भी स्वराज के निधन पर शोक व्यक्त किया है। करजई ने व्यक्त किया शोक अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने ‘बहिनजी’ सुषमा स्वराज के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।…

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नई दिल्ली : देश की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार देर रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 67 वर्ष की थीं। स्वराज बीजेपी के कद्दावर और फायर ब्रांड नेताओं में गिनी जाती थीं। उनके निधन के साथ ही दिल्ली ने पिछले एक साल के भीतर अपने तीन मुख्यमंत्री खो दिए हैं। पिछले महीने हुआ था शीला दीक्षित का निधन सुषमा अक्टूबर से दिसंबर 1998 तक दिल्ली की सीएम रह चुकी थीं। हृदयगति रुक जाने की वजह से मंगलवार को उनका निधन हो गया। इससे पहले, पिछले ही महीने दिल का दौरा पड़ने से ही…

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नई दिल्ली : सुषमा स्वराज ने मंगलवार को अपने निधन से महज चंद मिनट पहले ही इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में कुलभूषण जाधव का केस जीतने वाले वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे से बातचीत की थी। उनसे आखिरी बातचीत को याद कर साल्वे काफी भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि सुषमा जी ने उन्हें कल यानी बुधवार को मिलने के लिए बुलाया था और कहा था कि अपनी 1 रुपये की फीस आकर ले लो। बता दें कि पूर्व सॉलिसिटर जनरल साल्वे ने जासूसी के आरोप में पाकिस्तान में मौत की सजा का सामना कर रहे कुलभूषण जाधव केस को ICJ…

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जम्मू-कश्मीर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के अटल फैसले का देश के अन्य हिस्सों में भी इंपैक्ट दिखने लगा है। झारखंड में भी इसका राजनीतिक असर अभी से ही दिखना शुरू हो गया है। इसी साल के अंत में होनेवाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे झारखंड के विपक्षी दलों पर यह 370 अटैक हुआ है और उनकी जमीन खिसकती नजर आ रही है। यही कारण है कि झारखंड की सत्ता पर काबिज होने के लिए छटपटा रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा और झारखंड विकास मोर्चा ने कश्मीर पर हुए फैसले के बाद भाजपा के सुर में सुर मिला लिया है। कांग्रेस के नेता भी इस फैसले का स्वागत ही कर रहे हैं। इससे पता चलता है कि मोदी सरकार के फैसले ने न केवल भारत के इतिहास में नयी इबारत लिखी है, बल्कि इसने राजनीति को भी नयी दिशा दी है।
कश्मीर पर केंद्र सरकार के फैसले के बाद झारखंड के विपक्षी दलों की हालत और नयी राजनीतिक परिस्थितियों पर आजाद सिपाही पॉलिटिकल ब्यूरो की खास पेशकश।

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