नयी दिल्ली / अहमदाबाद। चुनाव में ऐतिहासिक जीत के बाद पीएम नरेंद्र मोदी 30 मई को अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत करेंगे। दुनिया इसे ‘मोदी 2.0’ के नाम से पुकार रही है। अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करने से पहले पीएम मोदी रविवार को मां और माटी (गुजरात) की शरण में गये। आशीर्वाद लिया। इसके अलावा उन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू आॅफ यूनिटी’ देश के पहले गृह मंत्री लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किये और जनसभा को संबोधित किया। पीएम सोमवार को वाराणसी जायेंगे, जहां वह लोगों का आभार प्रकट करेंगे। नयी सरकार…
Author: azad sipahi desk
झारखंड की राजनीति में नेताओं का उतार-चढ़ाव होता रहता है। खासकर क्षेत्रीय दलों के अच्छे और बुरे दिन आते रहते हैं। आज से कुछ महीने पहले झारखंड की राजनीति में यह कयास लगाया जाने लगा था कि धीरे-धीरे सुदेश महतो की पकड़ ढीली पड़ती जा रही है और कुर्मी मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग उनसे दूर चला गया है। इस तबके ने झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के राजनीतिक भविष्य के बारे में चमकदार टिप्पणी शुरू की। लोग तो यह भविष्यवाणी भी करने लगे थे कि झारखंड में लोकसभा की अधिकांश सीटें महागठबंधन के खाते में चली जायेंगी और यहां भाजपा को मुंह की खानी पड़ेगी। कोई भाजपा को पांच सीटें दे रहा था, तो कोई छह। बड़ी मुश्किल से कुछ लोग भाजपा के खाते में सात सीटें डाल रहे थे। वह भी अगर-मगर के साथ। झारखंड की अधिकांश मीडिया का भी कमोबेश यही कयास था। लेकिन कहते हैं, राजनीति में अवसर आते हैं और वह अवसर आजसू पार्टी के सुप्रीमो सुदेश महतो के लिए भी आया। देश को मजबूत नेतृत्व देने की खातिर उन्होंने भाजपा से बिना शर्त हाथ मिलाया। उन्हें इसका पुरस्कार भी मिला और भाजपा आलाकमान ने उन्हें गिरिडीह सीट सौंप दी। पिछले दो चुनावों में सिल्ली से लगातार हार के बावजूद उम्मीदों का दामन थामे सुदेश महतो अपने मिशन में लग गये और पूरी ईमानदारी से भाजपा के साथ गले मिल कर मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाने के अभियान में जुट गये। नतीजा सामने हैं। सुदेश ने एक बार फिर न सिर्फ खुद को साबित कर दिखाया है, बल्कि एनडीए के वोट बैंक में इजाफा और विपक्ष के वोट बैंक के बिखराव का बड़ा कारण बन गये। एनडीए को 12 सीटों पर मिली जीत में सुदेश महतो की पार्टी आजसू का भी सम्यक प्रयास है। इस लोकसभा चुनाव में सुदेश महतो और उनकी पार्टी आजसू ने झारखंड की 25 सीटों पर अपनी पकड़ दिखायी है। इसी का नतीजा रहा कि इन 25 सीटों में से एक-दो सीटों को छोड़ दें, तो सभी सीटों पर जीत के अंतर का रिकॉर्ड बनाने की होड़ दिखायी पड़ी। आज झारखंड का जो राजनीतिक परिदृश्य बन गया है, उसमें सुदेश कुमार महतो की प्रासंगिकता अन्य क्षेत्रीय दलों के नेताओं की बनिस्बत ज्यादा बेहतर बनी है। भविष्य की संभावनाएं भी दिखने लगी हैं। इस लिहाज से अपने व्यक्तिगत और चारित्रिक गुणों के कारण सुदेश महतो झारखंड की संपूर्ण राजनीति के लिए डार्क हॉर्स साबित हो रहे हैं। लोकसभा सहित आगामी विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव जिताऊ चेहरे की गारंटी तय करने वाले चेहरे के रूप में सुदेश की भी व्यावहारिक स्वीकार्यता होने लगी है। बशर्ते भाजपा भी लोकसभा की तरह विधानसभा में भी पूरे विश्वास के साथ इस चेहरे पर दांव खेले। अन्य क्षेत्रीय दलों के नेताओं की तुलना में सुदेश महतो की राजनीतिक पकड़ क्यूं सबसे मजबूत और सटीक रूप में सामने उभर कर आयी है, चुनाव परिणाम के तथ्यों और सुदेश की प्रासंगिकता की गहन विवेचना कर रहे हैं आजाद सिपाही के सिटी एडिटर राजीव।
17वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में झारखंड के कम से कम पांच विधायकों का सांसद बनने का सपना मोदी की सुनामी में डूब गया। राज्य के केवल दो विधायक ही देश की सबसे बड़ी पंचायत में दाखिल होने में कामयाब हो सके। इनमें गीता कोड़ा और चंद्रप्रकाश चौधरी शामिल हैं। जिन पांच विधायकों को कामयाबी हाथ नहीं लगी, उनमें प्रदीप यादव, सुखदेव भगत, चंपई सोरेन, जगरनाथ महतो और राजकुमार यादव के नाम शामिल हैं। इन विधायकों के साथ सबसे बड़ी विडंबना यह रही कि ये सांसद तो नहीं ही बन सके, अपनी विधानसभा सीट से भी बहुत बड़े अंतर से पिछड़ गये। राज्य में इसी साल विधानसभा का चुनाव भी होना है। ऐसे में इन विधायकों के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती अपनी सीट बचाने की है। लोकसभा चुनाव में जब ये विधायक उतरे थे, तब इन्हें इस बात का भरोसा था कि उनके अपने विधानसभा क्षेत्र में तो उन्हें कुछ करने की जरूरत नहीं है। शायद यही अति आत्मविश्वास उन्हें ले डूबा और जब परिणाम घोषित हुआ, तो ये चारों विधायक चारों खाने चित हो गये। अब जबकि विधानसभा चुनाव की आहट मिलने लगी है, इन विधायकों को अपनी राजनीतिक जमीन बचाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।
आखिर क्या हुआ कि इन विधायकों को उनके विधानसभा क्षेत्रों में भी बढ़त नहीं मिली, इसके कारणों को तलाशती आजाद सिपाही पॉलिटिकल ब्यूरो की खास रिपोर्ट।
आजाद सिपाही संवाददाता गढ़वा। गढ़वा जिला मुखिया संघ के अध्यक्ष मोजीबुर्र रहमान अंसारी ने कहा है कि 14वें वित्त आयोग की राशि का टेंडर किसी भी कीमत में नहीं होने देंगे। राज्य सरकार सभी मुखिया पर दवाब देकर काम कराना चाहती है। मुखिया संघ के जिलाध्यक्ष रविवार को विधायक सत्येन्द्रनाथ तिवारी के आवास पर आयोजित प्रेस वार्ता में बोल रहे थे। मुखिया संघ ने कहा कि सरकार के भरोसे कोई मुखिया चुन कर नहीं आया है। मुखिया को जनता ने चुना है। इसलिए हम जनता के प्रति जवाबदेह हैं। जनता का जो फैसला होगा, वहीं मुखिया करेंगे। राज्य सरकार…
एजेंसी इस्लामाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत की धमक केवल देश में ही नहीं, सीमा पार भी सुनाई दे रही है। इस मोदी सुनामी से पाकिस्तान कितना भयभीत है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने भारत से बातचीत का प्रस्ताव रखा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का कहना है कि वह भारत की नयी सरकार के साथ बातचीत करके सभी अनसुलझे मुद्दों का हल निकालने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह बात मुल्तान में इफ्तार पार्टी को संबोधित करते हुए कही। रेडियो पाकिस्तान की रिपोर्ट के अनुसार कुरैशी…
मौजूदा विधानसभा में भाजपा को पूर्ण बहुमत प्राप्त है। अगर आने वाले विधानसभा चुनाव में भी भाजपा इस लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन दोहरा पायी, तो ये बहुमत पूर्ण नहीं बल्कि प्रचंड होगा। 14 लोकसभा सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों को विधानसभा क्षेत्रवार मिली बढ़त बताती है कि भाजपा अपनी मौजूदा 43 विधानसभा सीटों में से पांच पर पिछड़ गयी है, मगर महागठबंधन की 16 सीटों पर उसने बढ़त बनायी है। यानी 81 में से 57 विधानसभा सीटों पर अकेले भाजपा की बढ़त बनी है। सहयोगी दल आजसू अपनी मौजूदा छह विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाये हुए है। यानी विधानसभा में राजग…
आजाद सिपाही संवाददाता गढ़वा/ बंशीधर नगर। पिछले कई वर्षों से बिजली की समस्या जूझ रहे गढ़वा जिले के वासियों के धैर्य का बांध उस वक्त टूट पड़ा, जब पिछले लगभग एक हफ्ते से जिले में 24 घंटे के दौरान मुश्किल से दो घंटे बिजली की आपूर्ति इस भीषण गर्मी में लोड शेडिंग के द्वारा की जाने लगी। 45 डिग्री सेल्सियस पार यहां की भीषण गर्मी में जब रातभर बच्चे बूढ़े सभी व्याकुल होने लगे तभी शहर के लोग बिना किसी नेतृत्व के हाथों में डंडा लिये सड़क पर उतर आये। जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों के विरूद्ध नारेबाजी करते हुए जिला…
एजेंसी नयी दिल्ली। लोकसभा चुनाव में 49 विधायक, दो विधान परिषद सदस्य और चार राज्यसभा सांसदों ने जीत हासिल की है। इससे आने वाले कुछ महीनों में चुनाव आयोग को 16 राज्यों में उपचुनाव कराना पड़ सकता है। इस सूची में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है, जहां 11 विधायक सांसद बने हैं। बिहार में पांच विधायक और दो विधान परिषद सदस्य सांसद चुने गये हैं। कुल 41 विधानसभा सीटों और दो विधान परिषद सदस्य पदों के लिए अगले छह महीने के अंदर चुनाव होंगे, क्योंकि नये चुने गये सांसदों को इस्तीफा देना होगा। इसमें ओडिशा की भी दो विधानसभा सीटें…