Browsing: झारखंड

कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने राज्य में हाइस्कूल और प्लस टू स्कूलों की संख्या में बढ़ोत्तरी करने की कवायद शुरू कर दी है। विभाग की ओर से सभी जिलों को अपनी आवश्यकता के मुताबिक हाइस्कूल और प्लस टू स्कूल खोलने की अनुशंसा करने को कहा है। शिक्षा विभाग

एक दूसरे से छत्तीस का आंकड़ा रखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब एक दूसरे की तारीफें करते नहीं थक रहे हैं। जुबानी तो छोड़िए भाजपा की तरफ से अब पोस्टर भी लगाया जा रहा है, जिसमें पीएम मोदी नीतीश की खूब तारीफ कर रहे हैं। पार्टी की तरफ से अब तक पटना के प्रमुख चौक-चौराहों पर तीन पोस्टर लगाये गये हैं, जिसमें मोदी और नीतीश साथ दिख रहे हैं। दो तस्वीरों में पीएम मोदी ने नीतीश की तारीफ की है, तो वहीं तीसरी तस्वीर में यह कैप्शन लिखा है-नो कन्फ्यूजन ग्रेट कॉम्बिनेशन। मतलब यह दोनों नेताओं को बीच कोई भ्रम जैसी स्थिति नहीं है और दोनों के बीच गहरा तालमेल है।

झारखंड की पांचवीं विधानसभा के पहले मानसून सत्र के अंतिम दिन 22 सितंबर को जो कुछ हुआ, वह दो दिन पहले राज्यसभा में हुई घटना से बहुत अलग नहीं था। इन दोनों घटनाओं ने भारत की वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है। यह सवाल उठ रहा है कि आखिर संसद और विधानसभा के भीतर सदस्य ऐसा आचरण क्यों कर रहे हैं। क्या संसदीय लोकतंत्र

राज्य सरकार की नियोजन नीति पर झारखंड हाइकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। हाइकोर्ट ने राज्य सरकार की नियोजन नीति को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने राज्य के 13 अनुसूचित जिलों में प्रशिक्षित हाइस्कूल शिक्षक की आठ हजार 423 वैकेंसी को रद्द करते हुए, इन जिलों में फ्रेश नियुक्ति करने का निर्देश दिया। वहीं 11 गैर अनुसूचित जिलों में हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति को हाइकोर्ट ने

सहायक पुलिस और लैंड म्यूटेशन बिल पर विपक्ष का आक्रोश समझ से परे है। सहायक पुलिस का पाप हमारे विपक्ष के साथियों का है। हम पिछली सरकार के पाप का खामियाजा भुगत रहे हैं। झारखंड विधानसभा में मानसून सत्र के दूसरे दिन सोमवार को ये बातें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहीं।

रांची। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सह मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कृषि उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य विधेयक, कृषि आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक कानून का व्यापक विरोध करने का फैसला किया है। डॉ उरांव ने कहा कि यह बिल हिंदुस्तान के इतिहास में काली स्याही से लिखा जायेगा। किसानों और राज्यों के खिलाफ इस कानून का कांग्रेस कार्यकर्ता पूरे राज्य में व्यापक विरोध करेंगे।

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत के ऊपरी सदन, यानी राज्यसभा के बारे में कहा जाता है कि इसकी कार्यवाही राजनीतिक कम, बौद्धिक और सकारात्मक अधिक होती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि राज्यसभा का गठन ही गैर-राजनीतिक हस्तियों को देश के नीति निर्धारण की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल करने के उद्देश्य के लिए किया गया है। इस सदन के सदस्यों से हमेशा शालीन व्यवहार की उम्मीद लगायी गयी थी, क्योंकि इसके सदस्यों में गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि की प्रमुख हस्तियों को शामिल करने की बात कही गयी थी। लेकिन हमारे संविधान की इस अवधारणा को इतनी बुरी तरह कुचला गया कि अब राज्यसभा भी संसद का सदन कम, किसी छुटभैये क्लब की तरह नजर आने लगा है। रविवार 20 सितंबर को राज्यसभा में जो कुछ हुआ, वह इसका ही एक प्रत्यक्ष उदाहरण था। राज्यसभा में किसी बिल का इ

झारखंड में पिछले कई सालों से निजी स्कूलों की मनमानी और विद्यार्थियों-अभिभावकों के साथ उनके व्यवहार की हकीकत की कहानियां सामने आती रही हैं। सरकार की तरफ से बार-बार उन्हें इस बाबत चेतावनी भी दी जाती रही है। इसके बावजूद राज्य के शिक्षा मंत्री के घर की बच्ची के साथ डीपीएस चास ने जो सलूक किया, वह इस बात का प्रमाण है कि इन निजी स्कूलों को न तो सरकार का कोई डर है और न ही नियम-कायदे की कोई चिंता। बरसों पहले दक्षिण भारत में निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों की लॉबी

पिछले करीब साढ़े छह साल से देश पर शासन कर रहे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में पहली बार दरार पैदा होती दिख रही है। लोकसभा में कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन विधेयकों के पारित होने के विरोध में शिरोमणि अकाली दल ने केंद्रीय कैबिनेट से अपने मंत्री को हटा लिया है। हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया है और उसे राष्ट्रपति ने मंजूर भी कर लिया है। यह सही है कि शिरोमणि अकाली दल के एनडीए से अलग होने के बावजूद केंद्र की मोदी सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा

पिछले साल मई में 17वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में झारखंड की जिस एक सीट की चर्चा देश भर में हुई, वह थी दुमका। यहां से भाजपा के युवा प्रत्याशी सुनील सोरेन ने झारखंड के सबसे वरिष्ठ और प्रतिष्ठित नेता शिबू सोरेन को हरा कर पहली बार लोकसभा में प्रवेश की पात्रता हासिल की थी। उन्हें ‘जाइंट किलर’ और ‘झारखंड का भावी नेता’ बताया गया था, लेकिन पिछले 17 महीने में सुनील सोरेन का एक सांसद के रूप में प्रदर्शन बेहद निराशाजनक ही कहा जा सकता है। लोकसभा में उनकी आवाज महज दो बार सुनाई दी है और वह भी शून्यकाल में। इसके अलावा उन्होंने अब तक न कोई सवाल पूछा है और न ही किसी बहस में हिस्सा लिया है।