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सहायक पुलिस और लैंड म्यूटेशन बिल पर विपक्ष का आक्रोश समझ से परे है। सहायक पुलिस का पाप हमारे विपक्ष के साथियों का है। हम पिछली सरकार के पाप का खामियाजा भुगत रहे हैं। झारखंड विधानसभा में मानसून सत्र के दूसरे दिन सोमवार को ये बातें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहीं।

रांची। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सह मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कृषि उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य विधेयक, कृषि आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक कानून का व्यापक विरोध करने का फैसला किया है। डॉ उरांव ने कहा कि यह बिल हिंदुस्तान के इतिहास में काली स्याही से लिखा जायेगा। किसानों और राज्यों के खिलाफ इस कानून का कांग्रेस कार्यकर्ता पूरे राज्य में व्यापक विरोध करेंगे।

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत के ऊपरी सदन, यानी राज्यसभा के बारे में कहा जाता है कि इसकी कार्यवाही राजनीतिक कम, बौद्धिक और सकारात्मक अधिक होती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि राज्यसभा का गठन ही गैर-राजनीतिक हस्तियों को देश के नीति निर्धारण की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल करने के उद्देश्य के लिए किया गया है। इस सदन के सदस्यों से हमेशा शालीन व्यवहार की उम्मीद लगायी गयी थी, क्योंकि इसके सदस्यों में गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि की प्रमुख हस्तियों को शामिल करने की बात कही गयी थी। लेकिन हमारे संविधान की इस अवधारणा को इतनी बुरी तरह कुचला गया कि अब राज्यसभा भी संसद का सदन कम, किसी छुटभैये क्लब की तरह नजर आने लगा है। रविवार 20 सितंबर को राज्यसभा में जो कुछ हुआ, वह इसका ही एक प्रत्यक्ष उदाहरण था। राज्यसभा में किसी बिल का इ

झारखंड में पिछले कई सालों से निजी स्कूलों की मनमानी और विद्यार्थियों-अभिभावकों के साथ उनके व्यवहार की हकीकत की कहानियां सामने आती रही हैं। सरकार की तरफ से बार-बार उन्हें इस बाबत चेतावनी भी दी जाती रही है। इसके बावजूद राज्य के शिक्षा मंत्री के घर की बच्ची के साथ डीपीएस चास ने जो सलूक किया, वह इस बात का प्रमाण है कि इन निजी स्कूलों को न तो सरकार का कोई डर है और न ही नियम-कायदे की कोई चिंता। बरसों पहले दक्षिण भारत में निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों की लॉबी

पिछले करीब साढ़े छह साल से देश पर शासन कर रहे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में पहली बार दरार पैदा होती दिख रही है। लोकसभा में कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन विधेयकों के पारित होने के विरोध में शिरोमणि अकाली दल ने केंद्रीय कैबिनेट से अपने मंत्री को हटा लिया है। हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया है और उसे राष्ट्रपति ने मंजूर भी कर लिया है। यह सही है कि शिरोमणि अकाली दल के एनडीए से अलग होने के बावजूद केंद्र की मोदी सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा

पिछले साल मई में 17वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में झारखंड की जिस एक सीट की चर्चा देश भर में हुई, वह थी दुमका। यहां से भाजपा के युवा प्रत्याशी सुनील सोरेन ने झारखंड के सबसे वरिष्ठ और प्रतिष्ठित नेता शिबू सोरेन को हरा कर पहली बार लोकसभा में प्रवेश की पात्रता हासिल की थी। उन्हें ‘जाइंट किलर’ और ‘झारखंड का भावी नेता’ बताया गया था, लेकिन पिछले 17 महीने में सुनील सोरेन का एक सांसद के रूप में प्रदर्शन बेहद निराशाजनक ही कहा जा सकता है। लोकसभा में उनकी आवाज महज दो बार सुनाई दी है और वह भी शून्यकाल में। इसके अलावा उन्होंने अब तक न कोई सवाल पूछा है और न ही किसी बहस में हिस्सा लिया है।

भारत के बारे में कहा जाता है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र तो है, लेकिन यहां कोई भी बड़ा काम बिना विवाद के पूरा नहीं होता। देश का कोई भी फैसला या कोई भी काम के साथ विवादों का चोली-दामन का साथ होता है। आजादी के बाद से लेकर अब तक ऐसा कोई काम देश में नहीं हुआ, जिसके पूरे होने के रास्ते में विवाद न उठा हो। ताजा मामला अयोध्या में राम मंदिर का है। 130 करोड़ भारतीयों की आस्था के प्रतीक बन चुके अयोध्या के इस मंदिर निर्माण के रास्ते की सभी बाधाएं तो दूर कर ली गयी हैं, लेकिन अब राजस्थान सरकार ने इसके लिए जरूरी लाल पत्थर के खनन पर रोक लगा दी है। इतना

कोरोना महामारी से तबाही की कगार पर पहुंच चुकी भारत की अर्थव्यवस्था से झारखंड भी अछूता नहीं है। आर्थिक गतिविधियां बंद होने के कारण राज्य में विकास योजनाएं लंबे समय से ठप पड़ी हुई हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर गंभीर रुख अख्तियार किया है और अपने मंत्रियों के साथ इस पर मंथन किया है। यह एक सराहनीय पहल है और शीर्ष स्तर पर विकास यो

लोकतंत्र में हर नागरिक को अभिव्यक्ति की, अर्थात बोलने या लिखने की आजादी होती है। भारतीय संविधान में यह आजादी मौलिक अधिकार के रूप में दर्ज है, लेकिन इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि हर व्यक्ति अपने इस अधिकार का इस्तेमाल करते समय मर्यादा की सीमाओं का पालन करेगा। इसका सीधा मतलब यह होता है कि अभिव्यक्ति के समय ऐसा कोई काम नहीं करना चा