का उपचुनाव किसी पार्टी के लिए आसान नहीं दिख रहा। चेहरा बदलने वाली जनता का भरोसा जितना शायद ही किसी दल के लिए आसान हो। यहां अभी दो पार्टियां ज्यादा सुर्ख हैं, एक झामुमो और दूसरी भाजपा। कोई इस उपचुनाव को टास्क समझकर लड़ रहा, तो कोई जनता जनार्दन का भरोसा जीतने में लगा है। झामुमो के लिए ये सीट पूरी तरह टास्क की तरह है। स्टीफन और हेमंत के
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करगली (बेरमो)। बेरमो विधानसभा उपचुनाव में महागठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी कुमार जयमंगल उर्फ अनुप सिंह ने विभिन्न स्थानों पर जनसंवाद, बूथ समीक्षा बैठक और जनसंपर्क अभियान चलाया। अनुप ने अरमो, गोविंदपुर समेत अन्य जगहों पर समीक्षा बैठक की। वहीं प्रत्येक बूथ प्रभारियों को विभिन्न प्रकार का टिप्स दिया। वहीं फुसरो मेन रोड स्थित आर कांप्लेक्स में सुदर्शन समाज के सदस्यों के साथ सीधा संवाद और विमर्श किया। सुदर्शन समाज के लोगों ने अनुप सिंह को भारी मतों से विजयी बनाने का भरो
झारखंड की बेरमो सीट पर होनेवाले उप चुनाव के प्रचार के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने झारखंड सरकार पर अमर्यादित टिप्पणी कर एक नये विवाद को जन्म दे दिया। इसके जवाब में झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने जोरदार प्रतिवाद कर हथौड़ा मारा। उन्होंने यह संकेत भी दे दिया कि अब इस तरह की टिप्पणी का मुंहतोड़ जवाब दिया जायेगा और इसके लिए पुरजोर तैयारी भी की गयी है। झारखंड में इस प्रकरण के शुरू होने से पहले देश के दूसरे हिस्से में भी राज्य
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में आनेवाले उद्योगों और कंपनियों को राज्य सरकार की ओर से पूरी मदद दिये जाने की घोषणा की है। तमिलनाडु से मुक्त करायी गयीं 22 लड़कियों को मंगलवार को नियुक्ति पत्र सौंपते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में खनन के अलावा अन्य क्षेत्रों में रोजगार सृजन पर सरकार का विशेष जोर है। इसके लिए अलग-अलग माध्यमों से ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार
दुमका ने होनेवाले उपचुनाव को लेकर राजनीति परवान पर है। यहां की जनता ने पार्टी कम और अपने नेता के चेहरे को ज्यादा तवज्जो दी है। यहां की जनता के सबसे फेवरेट नेता स्टीफन मरांडी हुआ करते थे। वे जिस पार्टी से चुनाव लड़ते थे जनता उन्हें ही वोट देती थी। एक बार स्टीफन निर्दलीय चुनाव लड़े थे और जनता ने भारी मतों से उन्हें विजयी बनाया था। य
चो..टा गिरी भाजपा के खून का हिस्सा है। जेपी नड्डा को शर्म आनी चाहिए कि उन्होंने अपनी कमेटी में अमर्यादित भाषा बोलनेवालों को शामिल किया है। मंगलवार को झामुमो के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में ये बातें झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहीं। उन्होंने कहा कि एक झारखंडी झारखंड में राज कर रहा है, तो कुछ लोगों की छाती पर सांप लोट रहा है। इस उपचुनाव में जिस प्रकार की भाषा का उपयोग भाजपा कर रही है, वह भाषा न तो सभ्य समाज में बोली जाती है न सुनी
झारखंड की उप राजधानी दुमका और कोयला क्षेत्र की प्रमुख सीट बेरमो में तीन नवंबर को होनेवाले विधानसभा उप चुनाव के लिए प्रचार अभियान जोरों पर है। इन दोनों सीटों पर मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ झामुमो-कांग्रेस और भाजपा के बीच है। कोरोना काल में हो रहे इस चुनाव में प्रचार का तरीका भी बदल गया है। हालांकि राजनीतिक सभाओं की अनुमति दी गयी है, लेकि
019 में झारखंड विधानसभा का चुनाव होने के बाद दुमका से जीते मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सीट छोड़ने के कारण उपचुनाव तीन नवंबर को होगा। इस उपचुनाव में कई दिलचस्प बातें सामने आ रही हैं, क्योंकि कई मायने में यह उपचुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। एक बार झामुमो का किला भेदनेवाली भाजपा दोबारा इस किले पर राज करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। दुमका से सांसद रह चुके और प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी इस किले को हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी एक किये हुए हैं। इसके पहले पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्टÑीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने यहां का मोर्चा संभाला था। क्योंकि दशकों
गुंडों और अपराधियों में पुलिस का खौफ होना चाहिए। जो भी गड़बड़ी करेंगे वे पूरी ताकत से कुचले जायेंगे। किसी भी परिस्थिति में कानून व्यवस्था से खेलनेवालों को बख्शा नहीं जायेगा। उक्त बातें सोमवार को जिला के पुलिस पदाधिकारियों के साथ पुलिस मुख्यालय में समीक्षा बैठक करने धनबाद पहुंचे झारखंड के डीजीपी एमवी राव ने सर्किट हाउस में
बिहार की राजनीति को नजदीक से जानने-समझनेवालों ने आसन्न विधानसभा चुनाव के परिदृश्य में जिस एक नेता को सबसे चौंकानेवाला माना है, वह हैं लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान। पिछले साल लोकसभा के चुनाव के दौरान उन्होंने अपने पिता और बिहार की दलित राजनीति के कद्दावर नेता रामविलास पासवान के साथ मिल कर जो राजनीतिक सौैदेबाजी की, उससे उनके रणनीतिक कौशल का अंदाजा मिल गया था, लेकिन अब बिहार विधानसभा चुनाव में उनके फैसलों से
दिशोम गुरु शिबू सोरेन जिस महाजनी प्रथा के खिलाफ लड़ कर झारखंड की शीर्षस्थ राजनीतिक हस्ती बने, उसी प्रथा के साथ केंद्र सरकार के उपक्रम दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) झारखंड को आंखें दिखा रहा है। यह तब हो रहा है, जब डीवीसी सारा संसाधन, यानी जमीन, पानी और कोयला झारखंड का इस्तेमाल करता है। इसे विडंबना ही कहा जा सकता है कि जिस झार