रांची। विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत शनिवार को 20 क्षेत्रों में सुबह सात बजे से मतदान होगा। इस…
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90 फीसदी अफसर पीटी में ही फेल, पीटी की उत्तर पुस्तिकाएं कूड़ेदान से जब्त
अतीत कई बार अपनी हदें लांघता हुआ वर्तमान से कड़ियां जोड़ लेता है। झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की हॉट सीटों में से एक तमाड़ में अतीत जैसे जिंदा हो उठा है। यहां की सियासत एक
ऐसे नाम के इर्द-गिर्द घूम रही है, जो अब इस दुनिया में नहीं है। तमाड़ के विधायक थे रमेश सिंह मुंडा, जो नक्सली हिंसा में मारे गये थे। इस बार यहां जो चुनावी बिसात बिछी है, उसमें रमेश सिंह मुंडा की विरासत के आधार पर राजनीति में आये उनके पुत्र विकास मुंडा का मुकाबला जिस राजा पीटर और कुंदन पाहन से है, वे दोनों ही रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड में आरोपित हैं। राजा पीटर पर रमेश सिंह मुंÞडा की हत्या के लिए सुपारी देने का आरोप है, जबकि कुंदन पाहन पर सुपारी लेकर हत्या करने का। रमेश सिंह मुंडा के पुत्र विकास तमाड़ के मौजूदा विधायक हैं, लेकिन उनके लिए आजसू के रामदुर्लभ सिंह मुंडा भी दीवार बन कर खड़े हो गये हैं। उनकी चुनौतियों को भेद पाना आसान नहीं दिख रहा। यहां बन-बिगड़ रहे राजनीतिक समीकरणों की पड़ताल करती स्वरूप भट्टाचार्य की रिपोर्ट।
सुभाष/ राजकुमार
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जेपी नड्डा ने कांग्रेस को बताया जेल और बेल वाली पार्टी, कहा
कभी एक डगर के राही थे, अब रास्ते अलग-अलग हैं। एक पार्टी के सिपाही थे, अब एक-दूसरे पर हथियार ताने आमने-सामने खड़े हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में जमशेदपुर पूर्वी सीट पर यही नजारा है। यह मुख्यमंत्री रघुवर दास की परंपरागत सीट है। यहां उनकी ही कैबिनेट में मंत्री रहे सरयू राय उनके खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में हैं। मुकाबला इतना हाई-प्रोफाइल हो गया है कि नेशनल मीडिया की भी निगाहें इस सीट पर हैं। यहां रघुवर के सामने कांग्रेस के चर्चित राष्टÑीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ और झाविमो के स्थानीय नेता अभय सिंह भी हंै। रघुवर दास के सामने इस सीट पर जीत का सिक्सर लगाने की चुनौती है। वह वर्ष 1995 से यहां लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं, इसलिए उनका आत्मविश्वास से लबरेज रहना स्वाभाविक है, वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी उनका रास्ता रोकने के लिए भरपूर ताकत लगा रहे हैं। दूसरे चरण के चुनाव में एक और सीट पर पूरे झारखंड की निगाहें टिकी हुई हैं। यह सीट है चक्रधरपुर, जहां भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला झाविमो, झामुमो और आजसू से माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव हारने के बाद इस सीट पर जीत हासिल करना गिलुआ के लिए बेहद जरूरी हो गया है, लेकिन यहां जंग का मैदान उनके लिए आसान नहीं है। चक्रधरपुर सीट पर नतीजा क्या निकलेगा, यह तो भविष्य के गर्भ में है, पर इतना तय है कि यहां मुकाबला कांटे का है। दोनों सीटों के राजनीतिक समीकरणों को रेखांकित करती दयानंद राय की रिपोर्ट।
विपक्ष की लॉबी और पत्रकार दीर्घा जली
अजय शर्मा जमशेदपुर। रांची में मुख्यमंत्री के रूप में रहनेवाले रघुवर दास और जमशेदपुर पूर्वी के विधायक रघुवर दास में…
जुगसलाई/मांडर। आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने दूसरे चरण के प्रचार अभियान के दौरान बुधवार को जुगसलाई और मांडर में कई…