30 नवंबर को झारखंड में पहले चरण का मतदान समाप्त होने के बाद राजनीतिक दलों और राजनीति के पंडितों की निगाहें दूसरे चरण की 20 सीटों पर जाकर अटक गयी हैं। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में इन बीस सीटों में से भाजपा और झामुमो ने आठ-आठ सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं आजसू दो सीटोें पर, कांग्रेस एक सीट पर और जय भारत समानता पार्टी के टिकट पर जगन्नाथपुर सीट से गीता कोड़ा ने विजय हासिल की थी। गीता कोड़ा अब विधायक से प्रमोशन पाकर सिंहभूम से सांसद बन चुकी हैं। दूसरे चरण की इन 20 सीटों में 13 सीटें कोल्हान और सात सीटें दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल की हैं और इन सभी सीटों में सबसे हॉट जमशेदपुर पूर्वी है, जहां से मुख्यमंत्री रघुवर दास चुनाव के मैदान में हैं, वहीं जमशेदपुर पश्चिमी सीट से टिकट कटने के बाद इस सीट से सरयू राय बतौर निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं। इस मुकाबले को चतुष्कोणीय बनाते हुए तीसरे कोण पर कांग्रेस के प्रत्याशी और एक्सएलआरआइ के प्रोफेसर गौरव बल्लभ तथा चौथे कोण पर झाविमो के अभय सिंह चुनाव के मैदान में हैं। इन सीटों में जहां कोल्हान की 13 सीटों पर झामुमो के सामने अपना गढ़ बचाने की चुनौती है, वहीं भाजपा के सामने खुद को साबित करने की। आजसू और कांग्रेस इस चरण में अपनी जीती हुई सीटों पर कब्जा बरकरार रखने की कोशिश करेंगी। वहीं जय भारत समानता पार्टी का अब कांग्रेस में विलय हो चुका है। जमशेदपुर पूर्वी सीट को केंद्र में रखते हुए इन 20 सीटों पर भाजपा और झामुमो की चुनौतियों पर नजर डालती दयानंद राय की रिपोर्ट।
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किसी के दबाव में न आकर और अपने दम पर 52 सीटों पर उम्मीदवार उतारकर जहां आजसू ने अपनी ताकत दिखायी है, वहीं एकला चलो की राह पर चलते हुए झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने भी अपनी तथा अपनी पार्टी का दमखम साबित किया है। दरअसल सुदेश महतो हों या बाबूलाल मरांडी, इन दोनों ने राजनीति की शतरंज पर ऐसी चाल चली है कि भाजपा को न सिर्फ यह दोहराना पड़ा है कि चुनाव के बाद भी भाजपा आजसू के साथ रहेगी, बल्कि अमित शाह को बाबूलाल को साधने का प्रयास भी करना पड़ा है। भाजपा झारखंड में किसी भी कीमत पर दुबारा सरकार बनाना चाहती है और इस काम में उसे साझीदार की जरूरत महसूस होने लगी है। बीते चुनाव में भाजपा और आजसू के गठबंधन ने पार्टी का मजबूत सरकार बनाने और चलाने में मदद की थी। इस दफा भी भाजपा कुछ-कुछ ऐसा ही रिजल्ट चाहती है। भाजपा के राष्टÑीय अध्यक्ष अमित शाह के बयान के निहितार्थ और झारखंड में झाविमो तथा आजसू की बढ़ती ताकत को रेखांकित करती दयानंद राय की रिपोर्ट।
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