पलामू/गुमला। पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पलामू-गुमला की जनसभाओं में रघुवर दास को झारखंड का भावी मुख्यमंत्री बताया। उन्होंने भीड़ का मिजाज भांपा और भारत माता के जयकारे लगवाकर जोश की लहर फैला दी। उन्होंने जनभावनाओं को छुआ तो विकास का खाका भी खींचा। भाषण देने के पहले पेड़ पर चढ़े युवकों पर उनकी निगाह गयी तो उनसे नीचे उतरने की अपील की। कहा कि नौजवान बहुत समझदार हैं। कुछ लोग बोलते हैं, चढ़ जाने के बाद नीचे उतरना नहीं आता। आपकी यही कला मुझे काम करने की ताकत देती है। उन्होंने भाजपा उम्मीदवारों आलोक चौरसिया, शशिभूषण मेहता, विनोद सिंह, सत्येंद्र तिवारी, भानू प्रताप शाही, रघुपाल सिंह, जनार्दन पासवान को उत्साही भीड़ से आशीर्वाद दिलाया। लातेहार में मारे गये पुलिसकर्मियों के प्रति संवेदना जतायी।
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झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान गति पकड़ चुकी है। पहले ही चरण के चुनाव प्रचार अभियान में भाजपा ने बह्मास्त्र छोड़ दिया है। एक ओर जहां भाजपा की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री और भाजपा के राष्टÑीय अध्यक्ष अमित शाह, कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, नितिन गडकरी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी और भोजपुरी स्टार रवि किशन सभा कर चुके हैं। वहीं, दूसरी ओर विपक्ष अब तक अपने राज्य के नेताओं के भरोसे ही प्रचार अभियान में सिमटा है। तल्ख सच्चाई है कि राष्टÑीय पार्टी कांग्रेस के स्टार प्रचारकों का अब तक पता नहीं है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी को बुलाये जाने की बात तो कही जा रही थी, पर सच्चाई यही है कि प्रथम चरण के चुनाव में न सोनिया के आने की सूचना है और न ही राहुल के। इसका सीधा-सीधा असर कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पड़ रहा है। राजद के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव जेल में हैं। तेजस्वी यादव अब तक प्रचार के लिए झारखंड नहीं आये हैं। झामुमो में अकेले हेमेत सोरेन पर मोर्चा संभाल रहे हैं। अब तक गठबंधन के नेता कही एक मंच पर नहीं जुट सके हैं। सब अलग-अलग गदा भांज रहे हैं। पेश है राजनीतिक दलों के प्रचार वार को फोकस करती दीपेश कुमार की रिपोर्ट।
कांके से भाजपा के समरी लाल ने किया नामांकन
सभी समुदाय और वर्ग का आजसू में बढ़ा विश्वास : सुदेश
गढ़वा/रंका। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने विधानसभा के पहले चरण के चुनाव के लिए धुआंधार प्रचार अभियान रविवार को भी जारी…
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प्रत्याशियों को उग्रवादग्रस्त इलाकों में नहीं जाने का आग्रह
वाटरलू की लड़ाई वर्ष 1815 में लड़ी गयी थी। इसमें एक तरफ फ्रांस था तो दूसरी ओर ब्रिटेन, रूस, प्रशा, आॅस्ट्रिया और हंगरी की सेना थी। इस लड़ाई में मिली हार ने नेपोलियन का चैप्टर हमेशा के लिए क्लोज कर दिया था। इस लड़ाई की तरह झारखंड विधानसभा चुनाव में पहले चरण की 13 सीटों मेें से कई सीटें ऐसी हैं, जिनमें मुकाबला कमोबेश वाटरलू की लड़ाई की तरह ही है। इन सीटों में लोहरदगा, विश्रामपुर और भवनाथपुर जैसी सीटें शामिल हैं। इन सीटों पर मिलनेवाली हार-जीत कई प्रत्याशियों का राजनीतिक भविष्य तय करेगी। इस चुनाव का नतीजा भविष्य के गर्भ में है और यह देखना दिलचस्प होगा कि मुकाबले में किसकी नियति में नेपोलियन बनना लिखा है और किसके हिस्से में विजयश्री। झारखंड विधानसभा की 13 सीटों में से मुख्य सीटों पर कड़े मुकाबले और उनके संभावित असर पर नजर डालती दयानंद राय की रिपोर्ट।
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