नौकरशाही को चुस्त-दुरुस्त बनाने की केंद्र की कवायद
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फर्स्ट फेज में विपक्ष पर स्कोर करने की रणनीति
जब कुछ ऐसा घटित हो, जिसकी प्रत्याशा न की गयी हो, तो वह निश्चित तौर पर चौंकाऊ होता है। वर्ष 2019 का विधानसभा चुनाव तो कई अर्थों में चौंकाऊ चुनाव साबित हो रहा है। इस चुनाव का सबसे चौंकानेवाला पक्ष मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ उनकी ही सरकार में मंत्री रह चुके और अब निर्दलीय सरयू राय का मैदान में ताल ठोंककर उतरना है। यह ऐसी अप्रत्याशित स्थिति है, जिसके बारे में न तो कभी भाजपा ने सोचा था, न राजनीति के पंडितों को इसका भान था। इसी तरह भाजपा और आजसू के लगभग अटूट माने जानेवाले गठबंधन का टूटना भी कुछ कम चौंकाऊ नहीं रहा, क्योकि इन दोनों का सफर ‘ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे’ वाले अंदाज में चला आ रहा था। झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी का भी अकेले 81 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का साहस भी कम अप्रत्याशित नहीं। इसी कड़ी में नक्सली से नेता बनने के ख्वाहिशमंद कुंदन पाहन का तमाड़ से विधानसभा चुनाव में उतरने की खबर ने चौंकाया है। झारखंड विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित स्थितियों और उसके नतीजों को रेखांकित करती दयानंद राय की रिपोर्ट।
लातेहार: झारखंड में एक बार फिर से सत्ता में बीजेपी की वापसी के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने…
जिस तरह मिलावटी चीज स्वास्थ्य के लिए हानिकारक उसी तरह मिलावटी सरकार भी राज्य के लिए हितकर नहीं
मुख्य चुनाव आयुक्त ने राजनीतिक दलों के साथ की बैठक
एक ही परिवार के तीन भाइयों को तीन दलों का टिकट
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पांच विधायक और पांच बड़े राजनीतिक चेहरे हैं मैदान में
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