सुदेश महतो ने जारी किया पार्टी का संकल्प पत्र
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धनबाद। भाजपा छोड़कर झामुमो में आये सिंदरी विधायक फूलचंद मंडल को टिकट दिये जाने के खिलाफ झामुमो में बगावत से…
चुनाव से पहले लगभग हरेक पार्टी के लिए टिकट का बंटवारा विकट परिस्थितियां उत्पन्न करता है। ऐसे नेता, जो पार्टी की नीतियों और सिद्धांतों से इतर सिर्फ टिकट की आस में पार्टी में रहते हैं, टिकट के बंटवारे की घोषणा होते ही अपना नाम इस सूची से गायब देखकर पाला बदल लेते हैं और दूसरी पार्टियों की नैया में सवार हो जाते हैं। पर जो नेता अवसरवादी नहीं होते वे पार्टी के निर्णय को सर्वोपरि मानकर पार्टी में रह जाते हैं। आसन्न विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने अपने 10 विधायकों, शिवशंकर उरांव, विमला प्रधान, राधाकृष्ण किशोर, हरेकृष्ण सिंह, फूलचंद मंडल, जयप्रकाश सिंह भोक्ता, ताला मरांडी, गणेश गंझू, लक्ष्मण टुडू और गंगोत्री कुजूर का टिकट काट दिया है। इसके बाद तीन विधायक राधाकृष्ण किशोर, फूलचंद मंडल और ताला मरांडी बागी रुख अख्तियार कर चुके हैं और उन्होंने दूसरे दलों से चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर दी है। उनके अलावा दो विधायकों, कांके के डॉ जीतू चरण राम का टिकट पार्टी ने अब तक रोक रखा है। इसके कारण सरयू राय बगावत पर उतर आये हैं और उन्होंने मुख्यमंत्री रघुवर दास और जमशेदपुर पश्चिमी से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। कई अन्य नेता, जो टिकट की आस में पार्टी में थे, वे इसकी संभावना खत्म होते देख दूसरे दलों में जा चुके हैं। ऐसी स्थिति ने भाजपा के समक्ष आत्ममंथन का अवसर पैदा किया है। यह पार्टी के केंद्रीय और राज्य नेतृत्व के लिए सबक है। यह चेतावनी है कि वह जब भी किसी नेता को पार्टी में शामिल कराये, तो वह अवसरवादी है कि नहीं और उसकी निष्ठा पार्टी की नीतियों और सिद्धांतों के प्रति है कि नहीं, इसका ध्यान रखे। भाजपा में बागी नेताओं की सियासत के बहाने पार्टी के लिए आत्ममंथन की जरूरत और भविष्य में ठोक-बजाकर दूसरे दलों से आये नेताओं को पार्टी में शामिल कराने की अहमियत पर बल देती दयानंद राय की रिपोर्ट।
देर रात हुई प्रभारी ओम माथुर से बात, सीटों पर मंथन
रांची। एक सप्ताह की मशक्कत के बाद अंतत: शुक्रवार को झामुमो, कांग्रेस और राजद के बीच सीटों को लेकर आपसी…
रांची। झारखंड विकास मोर्चा ने इस विधानसभा चुनाव में अपनी अलग राह नापते हुए प्रथम चरण के लिए नौ उम्मीदवारों…
झामुमो, कांग्रेस और राजद के तालमेल पर भाजपा ने साधा निशाना, कहा
झारखंड में राजनीतिक पुरुषों का जेल से गहरा नाता रहा है। काली कोठरी ने जहां कई नेताओं के राजनीतिक करियर को चमक दी है, वहीं कई ऐसे नेता हैं, जिन्होंने जेल यात्रा के बाद सियासत के क्षितिज पर अवसान भी देखे हैं। इस विधानसभा चुनाव में भी कई क्षेत्रों के चुनावी खेल में जेल का फैक्टर बेहद अहम साबित होगा। जेल में बंद हार्डकोर नक्सली कमांडर कुंदन पाहन ने कोर्ट से चुनाव लड़ने की इजाजत मांगी है, जबकि तमाड़ के विधायक रहे रमेश सिंह मुंडा की हत्या के आरोप में जेल में बंद पूर्व मंत्री एवं पूर्व विधायक राजा पीटर को एनआइए कोर्ट ने चुनाव लड़ने की इजाजत दे दी है। अगर कुंदन पाहन को इजाजत मिल गयी, तो तमाड़ विधानसभा क्षेत्र एक साथ दो जेलबंदियों के सियासी टकराव का उदाहरण बनेगा। इधर राष्ट्रीय खेल घोटाले में जेल में बंद पूर्व मंत्री और विधायक बंधु तिर्की ने अदालत में बेल पिटीशन दायर की है। बेल मिले या ना मिले, उनका मांडर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। चारा घोटाला में झारखंड में जेल की सजा काट रहे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का भी झारखंड की चुनावी हलचल से पल-पल का नाता रहेगा। बड़कागांव के पूर्व कांग्रेस विधायक योगेंद्र साव और झरिया के भाजपा विधायक संजीव सिंह जेल में बंद रहने के बावजूद चुनावी समीकरणों की अहम धुरी रहेंगे। हाल में जेल से निकले झारखंड विकास मोर्चा के विधायक प्रदीप यादव और पूर्व भाजपा विधायक उमाशंकर यादव अकेला चुनावी अखाड़े में जोर-आजमाइश के लिए कमर कस चुके हैं, तो कालकोठरी की सजा काटकर रिहा हुए पूर्व विधायक आजसू नेता कमल किशोर भगत लोहरदगा के चुनावी मैदान में उतरने को तैयार अपनी पत्नी के लिए और जमानत पर छूटे झारखंड के पूर्व मंत्री और झारखंड पार्टी के नेता एनोस एक्का कोलेबिरा में अपनी बेटी के लिए जोर लगायेंगे। उधर झारखंड की राजनीति में सियासत और जेल के रिश्ते का ताना-बाना पर पैनी निगाह डालती राजनीतिक विश्लेषक शंभु नाथ चौधरी की रिपोर्ट।
रांची। विधानसभा चुनाव में 65 प्लस का लक्ष्य लेकर मैदान में उतरी सत्तारूढ़ भाजपा के सभी बड़े नेता दिल्ली में…
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डाल्टनगंज से राहुल अग्रवाल को टिकट, पोड़ैयाहाट से प्रदीप यादव लड़ेंगे, बंधु तिर्की पर सस्पेंस