राहुल सिंह:
आज की खबर विशेष में हम चर्चा कर रहे हैं राजनीती की पाठशाल से उपजे नये शब्द मॉब लिंचिंग की। जी हां, क्या होता है मॉब लिचिंग? क्या इस शब्द का किसी धर्म या मजहब से कोई लेना-देना है? अगर आप ऐसा सोचते हैं तो आप गलत हैं, क्योंकि कुछ धर्म के ठेकेधार और मीडिया के कुछ अत्यंत जागरूक लोगों ने अपनी स्वार्थ, ठेकेदारी, फेम और टीआरपी बढ़ाने के चक्कर में इस शब्द का धार्मिक तुष्टीकरण कर दिया है। पिछले कुछ दिनों में हमने यह शब्द अखबारों का लीड बनते देखा है। न्यूज चैनलों में छाया रहा और कुछ माननीय नेताओं की जुबान से बरसते रहा है। यहां तक कि लोकतंत्र के मंदिर में भी यह शब्द गूंज रहा है। अगर मॉब लिचिंग की परिभाषा पर गौर करें, तो यह किसी धर्म या संप्रदाय से नहीं जुड़ा, लेकिन इसका इस्तेमाल ही ऐसा हो रहा है कि इसकी परिभाषा बदलती जा रही है। मॉब लिचिंग को किसी धर्म या मजहब के आधार पर परिभाषित कर उसे समाजिक सौहार्द्र बिगाड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाा गलत है। कुछ लोग अपना निजी स्वार्थ साधने के लिए मॉब लिचिंग शब्दबाण का इस्तेमाल कर रहे हैं।