भारत -पकिस्तान के बीच चल रही तानातानी अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है, लेकिन मिशन 2019 की ललकार…
Browsing: स्पेशल रिपोर्ट
आजाद सिपाही संवाददाता रांची। परिवर्तन उलगुलान रैली में शनिवार को मोरहाबादी मैदान में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने संबोधन की…
नयी दिल्ली। भारत के वीर सपूत अभिनंदन वर्तमान की वीरता के सामने पाकिस्तान नतमस्तक है। भारत के बढ़ते दबाव के…
चेन्नै : वर्ष 2017 में मशहूर फिल्म निर्देशक मणि रत्नम की ‘कतरू वेलियिदाई’ फिल्म में ऐक्टर कार्ति ने भारतीय वायुसेना…
अमेरिका ने पाक पर दबाव बनाया नयी दिल्ली। पुलवामा हमला और भारतीय वायुसेना की कार्रवाई के बाद कूटनीतिक मोर्चे पर भी…
नयी दिल्ली। भारत-पाकिस्तान सीमा पर लगातार बढ़ रहे तनाव के चलते सीमा क्षेत्रों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया…
रांची। लगभग चार वर्षों से ज्यादा समय के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का झारखंड दौरा दो मार्च को होनेवाला…
नयी दिल्ली। 24 फरवरी, 2019, दिन रविवार भारत की पूर्वोत्तर सीमा के अंतिम गांव किबिथू (अरुणाचल प्रदेश) का निवासी रुक्मा…
रांची। साल 2014 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले की घटना है। रांची संसदीय सीट से आजसू पार्टी के उम्मीदवार…
इस बार का चुनाव 2014 के मुकाबले भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण है। यह सच है कि लिोकसभा चुनाव में विपक्ष के वोटों का बिखराव नहीं हुआ तो भाजपा के समक्ष कड़ी चुनौती पेश आयेगी। पूर्व के उदाहरण भी इस बात को साबित करते हैं। एकीकृत बिहार के समय वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में झारखंड इलाके से भाजपा को 12 सीटें मिली थीं। लेकिन वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा एक सीट पर सिमट कर रह गयी थी। उस चुनाव में भी झामुमो, कांग्रेस, राजद और वामदलों का महागठबंधन हुआ था। एक सीट बाबूलाल मरांडी जीतने में सफल हुए थे। पिछली बार भाजपा के लिए हर मर्ज की दवा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे, लेकिन इस बार भाजपा को इससे इतर मजबूत हथियार के साथ मैदान में उतरना होगा। कारण यह कि पिछली बार बाबूलाल मरांडी झामुमो और कांग्रेस के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे थे। वहीं झामुमो और कांग्रेस भी भाजपा के साथ साथ बाबूलाल मरांडी की मुखालफत कर रहे थे, लेकिन इस बार का सीन बहुत अलग है। महागठबंधन के तहत पिछली बार के सभी भाजपा विरोधी एक मंच पर जुट रहे हैं। ऐसे में भाजपा को विपक्ष के चौतरफा प्रहार का जवाब देने के लिए रणीनीति बनानी होगी। देखा जाये तो पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 47 लाख वोट लाकर 12 सीटों पर कब्जा किया था, जबकि विपक्ष का वोट 54 लाख था, लेकिन जीत महज दो सीटों पर ही मिली थी। इस विषय पर प्रकाश डाल रहे हैं आजाद सिपाही के राजनीतिक संपादक ज्ञान रंजन।
रांची। बात कुछ साल पुरानी है। तब झारखंड अलग राज्य नहीं बना था। रांची के महात्मा गांधी नगर भवन में…