भाजपा के झारखंड प्रभारी दिलीप सैकिया पहली बार तीन दिवसीय दौरे पर झारखंड आये। उनका यह दौरा सांगठनिक और राजनीतिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। तीन दिन में बूथ से लेकर प्रदेश स्तरीय कमेटी के अलावा मंच-मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ बैठक में एक ही मूलमंत्र दिया कि हार की निराशा से
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बात चाहे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की हो या फिर हाइकोर्ट की। कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने में झारखंड अव्वल रहा है। बात चाहे पूर्व सीएम के आवास को खाली करने की हो, या फिर गाड़ियों से नेम प्लेट हटाने की। नेम
धनबाद का बाघमारा क्षेत्र इन दिनों आतंक का पर्याय बन गया है। काला सोना पर एकाधिकार की जंग में बाघमारावासी पिस रहे हैं। आये दिन गोली एवं बमबाजी की घटनाओं ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। लोगों की आम दिनचर्या को प्रभावित कर दिया है। लोग दहशत के साये में घुट-घुट कर जीने को मजबूर हो
मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। इसी शेर को चरितार्थ करते हुए 81 सीटोंवाली झारखंड विधानसभा में 10 महिला विधायक राजनीति के कुरुक्षेत्र में अपनी नेतृत्व क्षमता का सिक्का जमा रही हैं। इन महिला विधायकों में अंबा प्रसाद जैसी युवा विधायक हैं, तो ग्रामीण पृष्ठभूमि से आयीं पुष्पा देवी भी हैं। झामुमो विधायक सीता सोरेन हैं
झारखंड पर प्रकृति ने अपने सौंदर्य का खजाना जम कर बरसाया है। घने जंगल, खूबसूरत वादियां, जलप्रपात, वन्य प्राणी, खनिज संपदाओं से भरपूर और संस्कृति के धनी इस राज्य में बहुत कुछ है। यही इसकी थाती और धरोहर भी रही है। इन सबको झारखंड के जनजीवन के साथ जोड़ कर देखा जाता है। इन्हीं वन संपदा पर कुछ माफियाओं की कुदृष्टि लग गयी। इसमें अधिकारियों का भी खूब साथ मिला और झारखंडी जनजीवन की परवाह किये बगैर कमाई का खतरनाक खेल चलता रहा। कहते हैं-गाय का भी दूध निकालने से पहले उसे खिलाया-पिलाया जाता है। पुचकारा जाता है। इसके बाद दुहा जाता है, लेकि
वसीम बरेलवी का एक शे’र है, उसूलों पर आंच आये तो टकराना जरूरी है, जो अगर जिंदा हो तो जिंदा नजर आना जरूरी है। झारखंड में वसीम बरेलवी के इस शे’र को शिद्दत के साथ जी रहा कोई राजनेता नजर आता है, तो वह सरयू राय हैं। चाहे कोई राजनेता हो या आम आदमी। सब के सब मुकदमे से बचना चाहते हैं, पर सरयू राय न सिर्फ खुद पर मुकदमा किये जाने का इंतजार कर रहे हैं, बल्कि ताल ठोक कर अपने विरोधियों को चुनौती देते भी नजर आ रहे हैं। अपने ट्विटर एकाउंट में श्री राय ने कहा है कि झारखंड में अवैध खनन की जांच की मांग से आहत कुछ स्वार्थी तत्व मुझपर मुकदमे की योजना बना रहे हैं। वे
अगर आज कोई आपसे कहे कि मैं राजनीति में करियर बना रहा हूं, तो आप उसे पागल या सनकी ही कहेंगे। सवाल है कि मेडिकल, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, टीचिंग, मार्केटिंग आदि क्षेत्रों में करियर बनाया जा सकता है, तो राजनीति में क्यों नहीं? यह सच है कि राजनीति में कुछ भी निश्चित नहीं होता, लेकिन यह भी पूरी तरह सही है कि अगर इरादे सच्चे हों, तो बाकी ज्यादातर क्षेत्रों में सिर्फ आप अपने लिए काम करते हैं, जबकि राजनीति में करियर बनाकर आप देश और राज्य की बेहतरी में योगदान दे सकते हैं और
देश का संविधान बनाने में अहम भूमिका निभानेवाली पश्चिम बंगाल की धरती पर आज संवैधानिक प्रावधान और संघवाद की अवधारणा दम तोड़ती नजर आ रही है। राज्य सरकार की मुखिया दीदी ममता बनर्जी की दादागिरी ने माहौल को इतना विकट बना दिया है कि इस प्रदेश के भविष्य के बारे में कोई भी आकलन खतरे से खाली नहीं है। केंद्र-राज्य के बीच के रिश्तों में ममता सरकार ने जो तल्खी पैदा की है, उसकी जड़ में कहीं न कहीं सियासी तिकड़म ही है। अगले तीन-चार महीने में राज्य में होनेवाले विधानसभा
20 साल के युवा झारखंड की जब देश-दुनिया में चर्चा होती है, तो इसके गर्भ में छिपे खनिज पदार्थों के अकूत भंडार का जिक्र जरूर होता है। कोयला, लौह अयस्क, बॉक्साइट और तांबा से लेकर यूरेनियम तक झारखंड की धरती से निकलता है और यही कारण है कि यह प्रदेश दुनिया भर की कंपनियों की निगाह में हमेशा ब
झारखंड अलग राज्य बनने के बाद से ही इस प्रदेश में जो धंधा सबसे अधिक फला-फूला, वह है जमीन का कारोबार। राज्य का कोई कोना ऐसा नहीं बचा, जहां जमीन कारोबारी नहीं फैले और कोई ऐसा शहर-कस्बा नहीं बचा,
लोगों के मन में अक्सर यह सवाल उठता है कि एक राजनीतिक दल के रूप में भाजपा की सफलता का प्रतिशत इतना अधिक कैसे हो रहा है। क्या यह केवल लोकप्रियता और विवादास्पद मुद्दों को उछालकर ध्रुवीकरण की राजनीति का कमाल है या इसके पीछे कोई ठोस रणनीति। इस सवाल का एक ही जवाब है कि भाजपा भारतीय राजनीति की वह ताकत बन चुकी है, जि