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केंद्र सरकार के उपक्रम दामोदर घाटी निगम, यानी डीवीसी ने झारखंड सरकार से बकाया वसूलने के लिए इसके सात जिलों की बिजली काटने की चेतावनी दी है। जाहिर है कि इस चेतावनी के बाद चिंता बढ़ी है, क्योंकि इससे पहले मार्च में भी डीवीसी इस तरह की हरकत कर चुका है। झारखंड सरकार पर डीवीसी का करीब पांच हजार करोड़ रुपये बकाया है। यह बकाया नवं

अच्छा रिसीवर वही होता है जो कमजोर सिग्नल भी मजबूती से पकड़े। और झारखंड में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बयानों से जो सिग्नल मिल रहा है, उससे साफ है कि राज्य की हेमंत सरकार के एक साल पूरे होने पर मुख्य विपक्षी दल भाजपा सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़नेवाली।

कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए लागू किये गये तीन कानूनों के खिलाफ किसानों का 10 दिन पुराना आंदोलन लगातार बढ़ता जा रहा है। नरेंद्र मोदी सरकार के साथ पांच दौर की बातचीत का कोई परिणाम नहीं निकला है और पंजाब से शुरू हुई आंदोलन की आग देश के दूसरे हिस्सों में फैल गयी है। राजधानी दिल्ली को घेर कर बैठे किसान अब मोदी सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गये हैं। पिछले साढ़े छह साल से केंद्र की सत्ता पर बैठी भाजपा के किसी फैसले के खिलाफ पहली बार इस स्तर का आंदोलन

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा के दौरान सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों की व्यवस्था सुधारने के जो निर्देश दिये हैं, उनसे ऐसा लगने लगा है कि राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं पटरी पर लौटेंगी। मुख्यमंत्री ने सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों को आधुनिक सुविधाओं से युक्त बनाने और उन्हें चौबीसों घंटे आम लोगों के लिए उप

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नये साल को नियुक्तियों का साल बनाने की घोषणा कर झारखंड के बेरोजगार युवाओं में उम्मीद की नयी किरण जगा दी है। मुख्यमंत्री की इस घोषणा से साफ हो गया है कि झारखंड अब कोरोना के संकट काल से बाहर निकलने के लिए तैयार है और राज्य सरकार भी कमर कस चुकी है। झारखंड में एक तरफ जहां सरकारी विभागों में रिक्तियों की भरमार है, वहीं राज्य में बेरोजगारी की दर भी चिंताजनक स्तर पर पहुंच गयी है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि झारखंड सरकार के विभिन्न विभागों में 30 फीसदी के आसपास रिक्तियां हैं, वहीं बेरोजगारी की दर 12 प्रतिशत के करीब पहुं

बिहार विधानसभा चुनाव में शर्मनाक पराजय झेलने के बाद कांग्रेस संगठन की हालत राष्ट्रीय स्तर पर डावांडोल तो हुई ही है, पिछले साल झारखंड में पार्टी को जो शानदार सफलता हासिल हुई थी, वह भी खतरे में दिखायी देने लगी है। पिछले एक साल में झारखंड कांग्रेस बिना पतवार के नाव जैसी हो गयी है, जिसका न कोई कप्तान है और न ही कोई दिशा। इसके अंदरखाने में जो हालात पैदा हो गये हैं, उससे ऐसा लगने लगा है कि संगठन को कोई देखनेवाला नहीं है।

वर्ष 2011 के अप्रैल महीने में जब रालेगांव सिद्धी के गांधीवादी अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन किया था, तब पूरा देश उनके साथ खड़ा हो गया था। देश में सत्ता परिवर्तन को उस आंदोलन का परिणाम बताया गया था, लेकिन पिछले चार दिन के दौरान चार घटनाओं ने बड़ा सवाल देश के सामने रख दिया है कि क्या दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में भ्रष्टाचार अपनी जड़ें

भारतीय राजनीति में नीतीश कुमार को एक गंभीर और शालीन राजनेता माना जाता रहा है। लेकिन शुक्रवार को बिहार विधानसभा में उनका जो रूप दिखा, वह सभी को आश्चर्यचकित कर गया। नीतीश ने नेता प्रतिपक्ष की आपत्तिजनक टिप्पणी के जवाब में शाली

रिम्स में इलाजरत सजायाफ्ता लालू यादव का फोन कॉल वायरल होने पर बिहार-झारखंड की सियायत में भूचाल आ गया है। लालू के विरोधियों ने इसे मुद्दा बना लिया है। खासकर भाजपा का आरोप है कि लालू यादव जेल से ही बिहार में बनी एनडीए की सरकार गिराने की साजिश रच रहे हैं। हालांकि राजद ने इस आॅडियो का खंडन किया है। राजद नेता भाई वीरेंद्र ने कहा कि लालू की आवाज में बातें करनेवाले कई लोग हैं। ये सुशील कुमार मोदी का प्रोपेगंडा है। सुशील मोदी अपनी बेरोजगारी दूर करने के लिए लालू यादव का नाम उछाल रहे हैं। इस मामले की सच्चाई क्या है, यह तो जांच के बाद सामने आयेगा। लेकिन इस विवाद से लालू यादव फिर सुर्खियों में हैं। राजद सुप्रीमो के लंबे सियासी सफर में उनके साथ जुड़े विवादों पर नजर डालती दयानंद राय की रिपोर्ट।

झारखंड की आर्थिक स्थिति पर एक बार फिर सियासत गरम हो गयी है। भाजपा सांसद जयंत सिन्हा ने वर्तमान सरकार पर राज्य को बदहाली के कगार पर ले जाने का आरोप लगाया है, तो सत्ताधारी झामुमो की ओर से महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने आंकड़े देते हुए भाजपा को आइना दिखाया है। इस आरोप-प्रत्यारोप से झारखंड को कोई लाभ नहीं होगा। यह सच है कि झारखंड की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। पिछले दो महीने में हालांकि राज्य में आर्थिक गतिविधियां बढ़ी हैं, लेकिन इसके संतोषजनक स्तर

झारखंड में बोर्ड-निगम के अध्यक्ष का पद हमेशा से चर्चा के केंद्र में रहा है, क्योंकि इन पदों पर सांसद-विधायक का टिकट पाने से चूक गये सत्ताधारी दल के वरीय नेताओं और मंत्री नहीं बन सके विधायकों को एडजस्ट किये जाने की परंपरा रही है। छोटा राज्य होने के कारण झारखंड की विधानसभा भी छोटी है, इसीलिए यहां विधान परिषद भी नहीं है। इस कारण यहां की कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 12 मंत्री ही हो सकते हैं। इसलिए बाकी विधायकों और वरिष्ठ नेताओं को बोर्ड-निगम