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    Home»राजनीति»लोकसभा चुनाव: झारखंड की राजमहल लोकसभा सीट भाजपा के लिए बड़ी चुनौती
    राजनीति

    लोकसभा चुनाव: झारखंड की राजमहल लोकसभा सीट भाजपा के लिए बड़ी चुनौती

    adminBy adminMarch 11, 2024No Comments6 Mins Read
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    रांची (झारखंड)। राज्य की राजमहल सीट भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है। क्योंकि, 2014 और 2019 में मोदी लहर ने भी इस सीट पर भाजपा को जीत नहीं दिला पाई। इस बार यहां से ताला मरांडी उम्मीदवार हैं। राजमहल सीट भारतीय लोकतंत्र में लोकसभा के लिए हुए दूसरे लोकसभा चुनाव में अस्तित्व में आई।

    वर्ष 1957 में हुए दूसरे लोकसभा चुनाव में इस सीट पर मतदान हुआ और यहां से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने जीत दर्ज की। पाइका मुर्मू ने जीत हासिल की। कांग्रेस को कुल 47.01 फीसदी मत मिले थे जबकि झारखंड पार्टी के रॉबर्ट सैम्युल बेसरा को 45.8 फीसदी वोट मिले थे। वर्ष 1962 में हुए लोकसभा चुनाव में राजमहल सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई। यहां से झारखंड पार्टी के ईश्वर मरांडी ने जीत दर्ज की। उन्हें कुल 50 फीसदी मत मिले थे जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 37.5 फीसदी वोट मत मिले।

    1967 में ईश्वर मरांडी जीते

    वर्ष 1967 के हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1962 के झारखंड पार्टी के विजेता ईश्वर मरांडी को अपनी पार्टी में लाया और टिकट दिया, जिसके कारण राजमहल सीट से कांग्रेस उम्मीदवार ईश्वर मरांडी ने जीत दर्ज की। ईश्वर मरांडी को कुल 26.6 फीसदी वोट मिले जबकि स्वतंत्र पार्टी से चुनाव लड़े रामस्वरूप बेसरा को 22.5 फीसदी वोट मिले। वर्ष 1971 के लोकसभा चुनाव में फिर से ये सीट भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पास ही रही। यहां से एक बार फिर ईश्वर मरांडी ने ही जीत दर्ज की। उन्हें 44.4 फीसदी वोट मिले जबकि बिहार प्रांत हुल झारखंड पार्टी को 28.5 और भारतीय जनसंघ को 15.7 फीसदी मत प्राप्त हुए थे।

    1977 में सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई

    वर्ष 1977 के हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपना उम्मीदवार बदला और यह सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई। यहां से कांग्रेस ने योगेश चन्द्र मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया था, जिन्हें 1977 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। यहां से भारतीय लोकदल ने अपनी जीत दर्ज की। राजमहल सीट पर 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय लोकदल के अंथोनी मुर्मू ने जीत दर्ज की। उन्हें कुल 66.3 फीसदी वोट मिले थे जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 25.8 फीसदी मत ही प्राप्त हुए थे।

    वर्ष 1980 के हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस पार्टी ने अपने उम्मीदवार को बदला और यहां से जीत हासिल की। इस बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यहां से सेठ हेंब्रम को टिकट दिया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के को कुल 39.4 फीसदी मत मिले थे जबकि जनता पार्टी के पालू हांसदा को 21.8 फीसदी वोट मिले थे। वर्ष 1984 की हुई लोकसभा चुनाव में इस सीट से एक बार फिर कांग्रेस के सेठ हेंब्रम की ही जीत हुई। उन्हें कुल 48.6 फीसदी वोट मिले जबकि झामुमो के साइमन मरांडी को 23.8 फीसदी वोट मिले थे।

    झामुमो ने 1989 में पर जीत दर्ज की

    वर्ष 1989 को हुए लोकसभा चुनाव में राजमहल सीट पर परिवर्तन हुआ और यहां पर झामुमो के साइमन मरांडी ने जीत दर्ज की। साइमन मरांडी को कुल 56.6 फीसदी मत मिले जबकि इससे पहले लगातार दो बार सीट पर कब्जा जमाए सेठ हेंब्रम 16.7 फीसदी मत ही प्राप्त कर सके। वर्ष 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर झामुमो के साइमन मरांडी ने इस सीट पर जीत दर्ज की। साइमन मरांडी को कुल 37.5 फीसदी वोट मिले। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार यहां पर बदला था और थॉमस हांसदा को उम्मीदवार बनाया था। हालांकि, वे जीत दर्ज नहीं कर सके। उन्हें सिर्फ 30.6 फीसदी वोट ही प्राप्त हो सके जबकि भाजपा के संतलाल मरांडी को 26.9 फीसदी मत प्राप्त हुए।

    कांग्रेस ने फिर से 1996 में जीत दर्ज की

    वर्ष 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में फिर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने राजमहल सीट पर अपना कब्जा जमाया। यहां से थॉमस हांसदा ने जीत दर्ज की। झामुमो के साइमन मरांडी को 19.8 फीसदी वोट मिले। भारतीय जनता पार्टी को 16.3 फीसदी वोट प्राप्त हुए। यहां जनता दल से लोबिन हेंब्रम भी खड़े थे, जिन्हें 15.4 फीसदी वोट प्राप्त हुए।

    भाजपा ने 1998 में सीट पर पहली बार परचम लहराया

    1998 की हुई लोकसभा चुनाव में पहली बार भाजपा के उम्मीदवार सोम मरांडी ने इस सीट पर जीत दर्ज की।भाजपा को कुल 33.4 फीसदी वोट मिले जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 33.4 और झामुमो को 25.2 फीसदी मत प्राप्त हुए। 1999 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर राजमहल की सीट पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने कब्जा जमाया। यहां थॉमस हांसदा को कुल 44.4 फीसदी वोट मिले जबकि भाजपा के सोम मरांडी को 33.01 फीसदी मत प्राप्त हुए। झामुमो के साइमन मरांडी को 20.1 फीसदी मत प्राप्त हुए।

    झारखंड अलग राज्य बनने के बाद पहली बार 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनाव

    झारखंड बंटवारे के बाद 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में यह सीट झामुमो के खाते में चली गई। यहां से हेमलाल मुर्मू ने जीत दर्ज की। झामुमो को 32.8 फीसदी जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के थॉमस हांसदा को 32.3 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे। जीत का अंतर बहुत कम रहा था। भाजपा के उम्मीदवार सोम मरांडी को 27.8 फीसदी मत प्राप्त हुए थे। 2009 के लोकसभा चुनाव में राजमहल सीट एक बार फिर भाजपा के हाथ में आई। यहां से देवीधन बेसरा ने जीत दर्ज की थी। उन्हें कुल 26.5 फीसदी वोट मिले थे जबकि झामुमो के हेमलाल मुर्मू को 24.7 और राष्ट्रीय जनता दल के थॉमस हांसदा को 20.2 फीसदी वोट मिले थे।

    मोदी लहर में भी भाजपा की नैया पार नहीं हुई

    2014 में मोदी के लहर के बाद भी राजमहल सीट ने चौंकाने वाले परिणाम दिए। 2009 में राजमहल सीट भाजपा के खाते में गई थी लेकिन 2014 में यह सीट झामुमो के खाते में चली गई। 2014 में राजमहल लोकसभा सीट से विजय कुमार हांसदा चुनाव जीते। झामुमो को इस सीट पर 29.9 फीसदी मत प्राप्त हुए थे। झारखंड की राजमहल सीट एक ऐसी सीट है, जिस पर ना तो 2014 में और ना ही 2019 में मोदी के लहर का असर काम आया।

    2014 में भी यहां से झामुमो ने जीत दर्ज की थी और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी यहां से झामुमो के विजय कुमार हांसदा ने ही जीत दर्ज। 2019 के लोकसभा चुनाव झामुमो के विजय कुमार हांसदा को 48.5 फीसदी जबकि भाजपा के हेमलाल मुर्मू को 39 फीसदी मत प्राप्त हुए थे। इस बार इस बार यहां से ताला मरांडी को भाजपा ने टिकट दिया है। देखना दिलचस्प होगा कि इस बार भाजपा की मोदी के नेतृत्व में यहां से भाजपा जीत की परचम लहरा पाती है या नहीं।

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