रांची । राज्य के जिलों में शराब के होलसेल एवं रिटेल के टेंडर में गड़बड़ी से संबंधित कोर्ट के स्वत: संज्ञान की आंशिक सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट में मंगलवार को हुई। मामले में राज्य सरकार की ओर से कहा गया राज्य सरकार ने हाई कोर्ट द्वारा मामले में लिए गए स्वत: संज्ञान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की है, इस पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में अभी लंबित है। इसलिए समय दिया जाए।
कोर्ट ने सरकार का आग्रह को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई जून माह में निर्धारित की है। दरअसल, हाईकोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में राज्य सरकार की हस्तक्षेप याचिका (आईए) को स्वीकृत करते हुए इस केस से प्रार्थी उमेश कुमार एवं उनके अधिवक्ता राजीव कुमार का नाम हटाते हुए इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था। राज्य सरकार की ओर से आईए दाखिल कर कहा गया था कि इस केस के प्रार्थी एवं उनके अधिवक्ता राजीव कुमार का क्रेडेंशियल सही नहीं है इसलिए इन दोनों का नाम इस केस से हटाया जाए।
क्या है मामला
प्रार्थी का कहना है कि राज्य के जिलों में शराब के होलसेल के टेंडर में शामिल होने के लिए 25 लाख रुपए नन रिफंडेबल राशि तय की गई थी। उनकी ओर से कोर्ट को बताया गया था कि राज्य के विभिन्न जिलों में शराब के होलसेल और रिटेल का टेंडर लेने के लिए कोलकाता से झारखंड के 3 जिलों में अलग-अलग खातों में करोड़ों रुपए भेजा गया था। यह उन कंपनियों के खाते में भेजा गया था जहां जिनके खाते में मात्र दो- चार हजार रुपए हुआ करता था। उसी खाते से सारा पैसा राज्य के अन्य जिलों में शराब के होलसेल के टेंडर के लिए 25 -25 लाख रुपया जमा करने में इस्तेमाल हुआ था। कोलकाता से भेजे गए पैसों का इस्तेमाल शराब माफिया की ओर से झारखंड के सभी जिलों में शराब के होलसेल का टेंडर लेने के लिए किया गया था। प्रार्थी ने इसकी जांच कराने का आग्रह कोर्ट से किया था।