रांची। झारखंड में नौकरी की बहाली को लेकर अभ्यर्थी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। जेपीएससी और जेएसएससी में परीक्षा के बाद कई पदों पर बहाली होनी है। रिजल्ट प्रकाशन को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं। मामला कोर्ट के भी अधीन है। कई बार अभ्यर्थी राज्यपाल तक से गुहार लगा चुके हैं। प्रदर्शन का दौर भी लगातार चल रहा है। ऐसे में झारखंड की राजनीतिक पार्टियां भी सरकार को घेरने में लगी हैं। आयोग का अध्यक्षविहीन होने से भी रिजल्ट प्रकाशन में दिक्कत आ रही है। इसी मुद्दे पर विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर निशाना साधा है। सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है, चुनाव जीतने के लिए जिन्होंने 10 लाख सरकारी नौकरियां देने का वादा किया था, वे चुनाव से पहले हो चुकी जेपीएससी और जेएसएससी की परीक्षाओं का परिणाम तक नहीं दे पा रहे हैं। जेपीएससी ने सिविल सेवा के 342 पदों के लिए 2023 में वैकेंसी निकाली थी। पिछले साल मुख्य परीक्षा करवायी गयी, जिसका परिणाम अभी तक नहीं आया है।

वहीं जेपीएससी सीजीएल परीक्षा का परिणाम तो पहले ही भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से लंबित है। जेएसएससी की सहायक आचार्य के 26,001 पदों पर नियुक्ति की परीक्षा भी हो चुकी है, लेकिन रिजल्ट का कोई अता-पता नहीं है। यही हाल महिला पर्यवेक्षकों की नियुक्ति परीक्षा का भी है। पहले जेपीएससी अध्यक्ष के पद को खाली रखा गया और फिर जब नियुक्ति भी हुई तो ऐसे की जिनको अवकाश से फुर्सत ही नहीं।

वहीं जेएसएससी का हाल इससे भी खराब है, वहां अध्यक्ष की जगह जो प्रभारी बनाये गये वे भी छुट्टी पर हैं। परिणाम में देरी के कारण हजारों अभ्यर्थियों का वर्तमान खराब हो रहा है, भविष्य गर्त में जा रहा है, लेकिन हेमंत सरकार को अभ्यर्थियों के वर्तमान, भविष्य से क्या ही मतलब, उन्होंने तो कसम खा ली है कि रोजगार को लेकर बात अब अगले चुनावी मौसम में ही होगी।

 

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