विशेष
भारत जब आक्रामक हुआ तो पाकिस्तान को उसकी औकात बता डाली, आ गया घुटनों पर
मात्र दो दिन में ही सरेंडर कर चुका था पाकिस्तान, उसकी वायु सेना ने सबसे पहले हाथ खड़े कर दिये
शस्त्र के पीछे कौन है, महत्व उसका होता है, पाकिस्तान तो एफ-16 भी डकार गया
दुनिया में भारतीय हथियारों का दबदबा बढ़ते देख फूफा से लेकर पड़ोसी तक नाराज हो रहे
एक तरफ फूफा रोज अटपटा बयान दे रहा, तो ड्रैगन खुद की आग में झुलस रहा
आॅपरेशन सिंदूर ने भारत को मजबूत किया, दुश्मनों की पहचान करायी वो अलग

नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
भारत के चार दिवसीय ‘आॅपरेशन सिंदूर’ को लेकर हुए संघर्ष विराम की सबसे बड़ी बात यह है कि भारत और पाकिस्तान दोनों अपनी-अपनी सफलता पर प्रसन्न हैं। दोनों जश्न मना रहे हैं, किंतु इस संघर्ष से सबसे ज्यादा लाभ जहां भारत को हुआ है, तो सबसे ज्यादा नुकसान संघर्ष से दूर खड़े होकर तमाशा देख रहे चीन को। भारत इस संघर्ष में अपने शस्त्रों, विशेषकर मिसाइलों की गुणवत्ता और सटीकता को पूरी दुनिया में साबित करने में कामयाब रहा। इससे भारत में बनी रक्षा प्रणालियों और हथियारों को लेकर मांग अब बढ़ेगी। चीन संघर्ष में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं था, लेकिन पाकिस्तान उसके हथियारों के बल पर मैदान में था। चीन के बने उपकरण पहले ही अपनी निम्न क्वालिटी के लिए प्रसिद्ध थे। इस संघर्ष में तो उन हथियारों के निराशाजनक प्रदर्शन ने चीन के सामान की साख मिट्टी में मिला दी है। इससे चीन बुरी तरह बौखला गया है चीन अब सफाई में भले ही यह कह रहा है कि उसके उपकरण सही हैं, पाकिस्तानी सैनिकों को उन्हें चलाना नहीं आया, लेकिन दुनिया के बाजार इस बात की गवाही दे रहे हैं कि भारत ने न केवल चीनी हथियार और पाकिस्तान की औकात बता दी, बल्कि चीन की ताकत को भी बेपर्दा कर दिया है। चीन अब कुछ भी सफाई दे, लेकिन कोई भी देश अब यह मानने को तैयार नहीं कि चीन के हथियार किसी काम के हैं। इसलिए दुनिया भर के बाजारों में चीनी हथियार कंपनियों के शेयर के दाम लगातार गिरते जा रहे हैं। पाकिस्तान का साथ देकर चीन अपने ही बुने जाल में फंस गया है। क्या है इस पूरे घटनाक्रम की पृष्ठभूमि और क्या होगा इसका असर, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

भारत और पाकिस्तान के बीच चले संघर्ष में भले ही पाकि​स्तान अपनी जीत के झूठे दावे कर रहा हो, असल लड़ाई तो भारत और चीन के बीच चल रही थी। संघर्ष के बाद यह तय हो गया कि दुनिया में भारत के हथियारों की विश्वसनीयता बढ़ी है। दूसरी तरफ इस संघर्ष ने चीन की कागजी ताकत को बेपर्दा कर दिया है और इस कारण वह बुरी तरह बौखलाया हुआ है। वह सफाई दे रहा है कि उसके हथियार ठीक हैं, लेकिन पाकिस्तान की सेना उन्हें चलाना ही नहीं जानती है।

चीनी हथियारों की खुल गयी पोल
संघर्ष के दौरान पाकिस्तान ने चीन में बने एचक्यू-16 और एचक्यू-9 एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल किया। एचक्यू-9 जहां 125 किलोमीटर, तो एचक्यू-16 लगभग 50 किलोमीटर की रेंज वाला एयर डिफेंस सिस्टम है। पाकिस्तान के लिए चीन ने इसमें बदलाव किये। इसके बावजूद इसका कोई फायदा नहीं हुआ। ये सिस्टम न तो भारत के ड्रोन रोक सके और न ही मिसाइल। भारत ने तो इन डिफेंस सिस्टम को ही तबाह कर दिया। चीन ने पाकिस्तान को जेएफ-17 लड़ाकू विमान भी बेचा था। पाकिस्तान को इसका भी कोई लाभ नहीं मिल सका। पाकिस्तान ने भारत पर हमले के लिए चीन में बने ड्रोन का भी इस्तेमाल किया था, लेकिन इन्हें भी भारत ने सीमा पर ही मार गिराया।

भारत ने चीन को सिखाया सबक
चीन के एचक्यू-9 एयर डिफेंस सिस्टम की बर्बादी की कहानी तो पूरी दुनिया तक पहुंच चुकी है। भारत ने ‘आॅपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान में तैनात चीनी एयर डिफेंस सिस्टमों को बर्बाद कर दिखा दिया कि उनकी कोई औकात नहीं है। चीनी हथियार भी पाकिस्तान की बर्बादी को रोक नहीं पाये। इससे चीन का बौखलाना तो तय ही था, क्योंकि उसके बढ़ते रक्षा बाजार की साख पर भारत ने बट्टा लगा दिया। अब कोई भी देश चीनी हथियारों को खरीदने से पहले कम से कम एक बार तो जरूर सोचेगा।

शेयर बाजार भी बता रहे चीन की असलियत
इस संघर्ष में वास्तव में दोनों देशों की डिफेंस कंपनियों की साख दांव पर लगी हुई थी। संघर्ष के दौरान जहां भारत की डिफेंस कंपनियों के शेयर रॉकेट बने हुए थे, वहीं दूसरी ओर चीनी शेयर बाजार के डिफेंस स्टॉक फुस्सी बम की तरह धराशायी हुए। इसका मतलब है कि भारत ने दोनों ही मोर्चों, यानी पाकिस्तान के सामने आसमान पर और चीन के सामने शेयर बाजार पर बाजी मारी।
भारत के साथ चार दिनों के संघर्ष में भारत के खिलाफ जीत के पाकिस्तान के छाती पीटने वाले दावों को बेनकाब करते हुए शेंजेन और मुंबई के शेयर बाजार इस बात की कहीं अधिक खुलासा करने वाली तस्वीर पेश कर रहे हैं कि वास्तव में कौन विजयी हुआ। पाकिस्तान ने भले ही तीन राफेल सहित पांच भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराने का दावा करते हुए एक सिनेमाई जीत का दावा किया हो, लेकिन चीनी डिफेंस स्टॉक में भारी बिकवाली और भारतीय डिफेंस शेयरों में तेजी से यह स्पष्ट हो गया है कि आसमान पर हुए इस संघर्ष में किसकी जीत हुई है। यह जानना दिलचस्प है कि आखिर चीनी डिफेंस शेयरों में कितनी गिरावट देखने को मिली, वहीं भारत के डिफेंस शेयरों में कितना इजाफा देखने को मिला है।

चीनी डिफेंस शेयरों में बड़ी गिरावट
चीनी स्टॉक एक्सचेंज शेंजेन में लि​स्टेड एविक चेंगदू एयरक्राफ्ट कंपनी, जो पाकिस्तान द्वारा तैनात जे-10सी लड़ाकू विमानों की निर्माता है, पिछले तीन कारोबारी सत्रों में नौ फीसदी से अधिक गिर गयी। पीएल-15 एयर-टू-एयर मिसाइलों की निर्माता कंपनी झूझोउ होंगडा इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्प के शेयरों में भी बड़ी गिरावट देखने को मिली और कंपनी की वैल्यूएशन 10 फीसदी कम हो गयी। खास बात तो ये है कि गिरावट का ये सिलसिला यहीं नहीं रुका। जब से सैटेलाइट तस्वीरों ने पाकिस्तान के भारतीय एयरबेस को नुकसान पहुंचाने के दावों की हवा निकाली है और भारतीय वायुसेना के पाकिस्तानी एयरबेसों में विनाश के दावे को बिल्कुल सटीक तरीके से पुष्ट किया है, तब से चाइना एयरोस्पेस टाइम्स इलेक्ट्रॉनिक्स के शेयरों में दो दिनों में सात फीसदी की गिरावट आयी है, जबकि ब्राइट लेजर टेक्नोलॉजीज, नॉर्थ इंडस्ट्रीज ग्रुप, चाइना स्पेससैट और एवीआइसी एयरक्राफ्ट के शेयरों में 5-10 फीसदी तक की गिरावट देखी गयी।

भारत में रॉकेट हुए डिफेंस स्टॉक
दूसरी ओर निवेशक भारतीय डिफेंस शेयरों को खरीदने के लिए कतार में लगे हुए दिखाई दिये। विश्लेषकों का कहना है कि भारत के ‘आॅपरेशन सिंदूर’ ने स्वदेशी हथियारों और अत्याधुनिक घरेलू तकनीकों द्वारा संचालित भारतीय सेना की विशाल शक्ति को प्रदर्शित किया। निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स ने तीन दिनों में 10 फीसदी की शानदार बढ़त दर्ज की, जिसमें आइडियाफोर्ज, जीआरएसइ, कोचीन शिपयार्ड और भारत डायनेमिक्स ने सिर्फ एक हफ्ते में 38% तक की बढ़त दर्ज की। जानकारों ने कहा कि भारत ने अपने सभी घोषित रणनीतिक उद्देश्यों को हासिल कर लिया है। ‘आॅपरेशन सिंदूर’ एक स्पष्ट सफलता थी। स्वदेशी हथियारों और अत्याधुनिक घरेलू तकनीकों द्वारा संचालित एक सफलता। डिफेंस शेयरों में तेजी रहने का अनुमान है। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना ने दावा किया कि उसने कई भारतीय लड़ाकू विमानों, रडार सिस्टम और यहां तक कि बेशकीमती सुदर्शन एस-400 एयर डिफेंस बैटरी को नष्ट कर दिया। भारत ने तुरंत जवाब भी दिया और वह भी सुबूत के साथ।

पीएम मोदी ने खोली पोल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान की पोल खोलते हुए आदमपुर एयरबेस पर नष्ट हो चुके एस-400 के ठीक सामने तस्वीर खिंचवायी, जिसे कथित तौर पर पाकिस्तानी हाइपरसोनिक मिसाइल ने धूल में मिला दिया था। यह बेस ‘आॅपरेशन सिंदूर’ का केंद्र था। 23 मिनट की तेज उड़ान में भारतीय जेट ने न केवल पाकिस्तान के चीन द्वारा सप्लाई किये गये एयर डिफेंस नेटवर्क को जाम कर दिया, बल्कि लोइटरिंग अम्यूनिशन या आत्मघाती ड्रोन का उपयोग करके रणनीतिक पाकिस्तानी एयरबेस- नूर खान और रहीमयार खान को भी नष्ट कर दिया। मलबे से भारतीय बलों ने पीएल-15 मिसाइलों के हिस्से, यिहा या यीहाव नामक तुर्की मूल के यूएवी, क्वाडकॉप्टर और लंबी दूरी के रॉकेट बरामद किये।

डिफेंस एक्सपोर्ट बढ़ाने का लक्ष्य
सरकार अब भारत के डिफेंस एक्सपोर्ट को बढ़ाने का लक्ष्य बना रही है, जो वित्त वर्ष 2025 में लगभग 24 हजार करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर गया है, जिसे 2029 तक 50 हजार करोड़ रुपये तक ले जाना है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सप्ताह की शुरूआत में कहा कि हमारा लक्ष्य 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र और दुनिया का सबसे बड़ा डि​फेंस एक्सपोर्टर बनाना है। लक्ष्य हासिल करने के लिए हमें अपने डिफेंस कंपोनेंट्स की गुणवत्ता के बारे में वैश्विक विश्वास विकसित करना होगा और ‘आॅपरेशन सिंदूर’ ने ऐसा ही किया।

भारतीय कंपनियों के लिए अच्छी खबर
जानकार बताते हैं कि आकाश एसएएम और इलेक्ट्रॉनिक वॉर जैसी स्वदेशी रक्षा प्रणालियों की बड़ी सफलता ने विश्वसनीयता और प्रभावशीलता को दर्शाया है और मांग को और मजबूत किया है। हमारी सीमाओं को मजबूत करने और हमारी तैयारियों को बढ़ाने की आवश्यकता ने रक्षा उपकरणों की निरंतर मांग स्थापित की है और रक्षा कंपनियों के लिए उनके आॅर्डर बुक और टॉप लाइन में मजबूत वृद्धि से यह बेहद सकारात्मक है। चीनी और पाकिस्तान में अन्य डिफेंस सिस्टम के मुकाबले भारत में निर्मित डिफेंस सिस्टम के प्रदर्शन से ग्लोबल डिमांड में वृद्धि होने की संभावना है। ब्रह्मोस की तो पहले ही मांग होने लगी थी। अब और ज्यादा मांग आयेगी। भारत का शस्त्रों का बाजार बढ़ेगा। निर्यात बढ़ेगा तो देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
अनुमान लगाया जा रहा है कि चीन के हथियारों के भारत के खिलाफ फेल होने के बाद अब पाकिस्तान अमेरिका और बाकी पश्चिमी देशों से हथियार खरीदने पर जोर लगायेगा। हालांकि उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है किंतु यह एक हजार साल भी भारत से लड़ने का इरादा रखता है। भले ही उससे दुनिया के आगे भीख मांगनी पड़े। झोली फैलनी पडेÞ।

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