-इस बार सबूत नहीं मांग रहे कांग्रेस के युवराज, वैसे सेना ने सबूतों का भंडार पहले ही लगा दिया है
-बार-बार पाकिस्तान परस्त सवाल क्यों पूछते हैं राहुल, पाकिस्तानी मीडिया के आंखों के तारे बने हुए हैं
-राहुल को भारत की उपलब्धियों का नहीं, उन्हें चाहिए देश को हुए नुकसान का हिसाब
-विदेश मंत्री को घेरने के चक्कर में खुद ही सवालों में घिर गये हैं नेता प्रतिपक्ष

नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
पहलगाम हमले के जवाब में भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर से विवादों के घेरे में हैं। राहुल गांधी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान को निशाने पर लेते हुए कहा कि इससे देश की सेना को नुकसान पहुंचा है। कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हाल के वर्षों में विदेश मंत्रालय और विदेश नीति से जुड़े मुद्दों पर कई बार सवाल उठाये हैं। उनके बयान अक्सर विवादों का केंद्र रहा है। इस बार राहुल गांधी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर विदेश मंत्रालय पर सवाल उठाये। उन्होंने पूछा कि क्या भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू करने से पहले पाकिस्तान को बताया था। यदि हां, तो इससे भारतीय वायुसेना को कितना नुकसान हुआ। उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर की कथित टिप्पणी को ‘अपराध’ करार दिया। राहुल गांधी ने पोस्ट किया कि विदेश मंत्री की चुप्पी केवल बयानबाजी नहीं, बल्कि यह निंदनीय है। मैं फिर से सवाल पूछता हूं: हमने कितने भारतीय विमान खोये, क्योंकि पाकिस्तान को पहले से जानकारी थी? यह चूक नहीं थी, यह एक अपराध था। और देश को सच्चाई जानने का हक है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान को ऑपरेशन शुरू होने के बाद सूचित किया गया था। भाजपा ने राहुल पर ‘पाकिस्तान की भाषा बोलने’ का आरोप लगाया, जिससे उनके बयान को ‘ऊल-जुलूल’ बताने की कोशिश हुई। इससे पहले 2022 में गलवान घाटी में भारत-चीन तनाव के बाद, राहुल ने विदेश मंत्रालय की चुप्पी और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाये थे। उन्होंने दावा किया था कि सरकार ने पारदर्शिता की कमी दिखायी। 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भी उन्होंने विदेश नीति को निशाना बनाया है। राहुल के बयान अक्सर तथ्यों पर कम और भावनात्मक अपील पर ज्यादा आधारित होते हैं, जो सुर्खियां बटोरने का आसान तरीका है। इस बार विदेश मंत्री को घेरने के चक्कर में नेता प्रतिपक्ष खुद सवालों के घेरे में फंस गये हैं और उनसे सवाल पूछे जा रहे हैं। क्या है यह पूरा मामला और क्या हैं राहुल से सवाल, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

फ्रांसीसी दार्शनिक और लेखक वॉल्टेयर कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति को उसके प्रश्नों से पहचानें, न कि उसके उत्तरों से। हमारे द्वारा किसी से भी पूछा गया प्रश्न वैसे तो साधारण मालूम होता है, लेकिन यह हमारी संवेदनशीलता और चरित्र का भी मूल्यांकन करता है। इसलिए लिहाजा जब भी प्रश्न करना हो, तो उससे पहले स्वयं से प्रश्न करना आवश्यक है। राहुल गांधी बार-बार ऐसे सवाल पूछते रहते हैं, जिनसे वह खुद विवादों में घिर जाते हैं। पता नहीं ऐसे सवाल पूछने का आइडिया उन्हें देता कौन है।

विदेश मंत्री के बयान पर सवाल
पिछले लगभग 11 वर्षों में राहुल गांधी भारत सरकार और विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रश्न पूछते रहते हैं। प्राय: राहुल गांधी के प्रश्नों का मंतव्य देश, सेना और सरकार की छवि धूमिल करना होता है। अपनी आदत से मजबूर राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट कर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर को प्रश्नों के कटघरे में खड़ा किया है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर प्रश्न पूछने के कारण राहुल गांधी फिर एक बार पाकिस्तानी मीडिया की आंखों के तारे बने हुए हैं। राहुल गांधी का यह पोस्ट पाकिस्तानी मीडिया में बड़े पैमाने पर प्रचारित किया जा रहा है। राहुल गांधी के पोस्ट को पाकिस्तान के प्रमुख मीडिया चैनलों और समाचार पत्रों ने भी हाथों-हाथ लिया है। कई टीवी डिबेट में इस पर चर्चा हो रही है। राहुल गांधी ने पोस्ट किया कि विदेश मंत्री की चुप्पी केवल बयानबाजी नहीं, बल्कि यह निंदनीय है। मैं फिर से सवाल पूछता हूं: हमने कितने भारतीय विमान खोये क्योंकि पाकिस्तान को पहले से जानकारी थी? यह चूक नहीं थी, यह एक अपराध था। और देश को सच्चाई जानने का हक है।

पहले भी सेना से प्रमाण मांग चुके हैं राहुल
वैसे यह कोई पहला अवसर नहीं है, जब कांग्रेस या उसके नेता ने देश के गौरव, उपलब्धि और सेना के पराक्रम को प्रश्नों के कटघरे में खड़ा किया है। बालाकोट एयर स्ट्राइक और उरी सर्जिकल स्ट्राइक के समय भी कांग्रेस ने सेना से प्रमाण मांगे थे। भारतीय सेना स्पष्ट कर चुकी है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारत का कोई विमान हताहत नहीं हुआ। बावजूद इसके, राहुल गांधी सेना के बयान को झूठा साबित करने में लगे हैं। ऐसा करके वह यह साबित करना चाहते हें कि भारतीय सेना सरकार के दबाव और कहने पर झूठ बोल रही है। सरकार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर देशवासियों से कुछ छिपा रही है। दूसरी तरफ वास्तविकता यह है कि भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिये जैसा विघ्वंस पाकिस्तान में किया है, उतना 1965 और 1971 के युद्ध में भी नहीं हुआ था। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारतीय सेना ने जो किया, वह चीन, तुर्किए और अमेरिका को भी सदमे में डालने वाला है। भारतीय सेना हर बार की भांति इस बार भी अतुलनीय, अपराजेय और अगम्य रही।

सवालों के घेरे में राहुल गांधी
कांग्रेस पार्टी भी सच्चाई से अवगत है। लेकिन मोदी सरकार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का कहीं श्रेय न मिल जाये, इसलिए वह क्षुद्र राजनीति पर उतर आयी है। वास्तव में, कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करते करते प्राय: राष्ट्र विरोध पर उतर आती है। यह सर्वविदित है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों ने जम्मू कश्मीर के पहलगाम में निर्दोष हिंदू पर्यटकों को निर्दयता से मारा। बावजूद इसके राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी ने पाकिस्तान की कड़े शब्दों में निंदा नहीं की। पाकिस्तान ही नहीं, हमारे शत्रु चीन के साथ कांग्रेस के मधुर संबंध जगजाहिर हैं।

राहुल गांधी से सवाल
अब देश भी राहुल गांधी से प्रश्न पूछना चाहता है। 1962 के युद्ध में कांग्रेस की सरकार ने हजारों वर्ग किमी जमीन चीन को क्यों हड़पने दी? 1971 के युद्ध में कांग्रेस की सरकार अपने 54 वीर सैनिकों को पाकिस्तान से क्यों छुड़ा नहीं पायी? 1971 के युद्ध और शिमला समझौते से भारत को क्या हासिल हुआ? सिंधु जल संधि में भारत के हिस्से का पानी पाकिस्तान को क्यों दिया गया? चीन से गुपचुप मिलने और एमओयू साइन करने में कौन सा देश हित छिपा है? आतंकियों और उनके सरपरस्त पाकिस्तान के प्रति कांग्रेस पार्टी का रवैया हमेशा नरम क्यों रहता है? देश को यह सच्चाई जानने का भी हक है।

आलोचना और अपयश में एक बारीक अंतर होता:
राहुल गांधी ने पिछले कुछ वर्षों में कई बार विदेशी मंचों का प्रयोग भारत को लेकर विवादास्पद बयान देने के लिए किया है। इस पर उनकी पार्टी का यह तर्क रहा है कि वे भारत की असली तस्वीर दुनिया के सामने रख रहे हैं। लेकिन राहुल गांधी और कांग्रेस को समझना होगा कि आलोचना और अपयश में एक बारीक अंतर होता है। एक राष्ट्रीय नेता को यह समझना चाहिए कि देश और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दिये गये वक्तव्य केवल घरेलू राजनीति तक सीमित नहीं रहते, बल्कि वे देश की छवि, निवेशकों के भरोसे और वैश्विक कूटनीतिक संबंधों पर भी प्रभाव डालते हैं। राहुल गांधी को समझना होगा कि सच को कभी झुठलाया और छिपाया नहीं जा सकता। देश को सच जानने का हक है। जो सवाल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर उन्होंने पूछे हैं, उनका जवाब तो सेना पहले ही दे चुकी है। लेकिन सच की आड़ लेकर वह और उनकी पार्टी जो झूठ, अविश्वास, संदेह और भ्रम फैला रही है, उससे सेना और देशवासियों के मनोबल और विश्वास को ठेस पहुंचती है।

 

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