अजय शर्मा
रांची। झारखंड पुलिस की एक और कार्रवाई विवाद में आ गयी है। नामकुम पुलिस ने जो कुछ किया है, अगर वह सही है, तो उसकी कार्रवाई पर सवाल खड़ा होना लाजिमी है। मामला पुराना है, लेकिन अब अधिकारियों ने जब इसकी खोजबीन शुरू की, तो पूरा थाना परेशान है। आरोप लग रहा है कि हथियार और गोली बरामद करने के बाद भी नामकुम पुलिस ने एफआइआर नहीं की। साथ ही आरोपियों को बचाने की कोशिश भी की गयी।
इंस्पेक्टर ने लिखा नहीं हुई एफआइआर
नामकुम थाना के प्रभारी से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी गयी। 21 जून को उन्होंने जो रिपोर्ट भेजी, वह पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े करती है। इंस्पेक्टर ने लिखा है कि घटना पर सनहा 16/15 दर्ज किया गया है। उस समय के थाना प्रभारी ने एफआइआर नहीं की थी और न ही किसी तरह की जब्ती सूची बनायी थी। हथियार और गोली को लेकर स्पष्ट कोई जानकारी नहीं है। एक सीनियर अधिकारी को लिखे पत्र में इंस्पेक्टर ने लिखा है कि सन्हा की जांच दारोगा रंजीत मिंज को दी गयी थी, जो सेवानिवृत्त हो गये हैं। रंजीत मिंज गुमला रायडीह के रहनेवाले हैं।
क्या है मामला
22 अगस्त 2015 को नामकुम थाना ने एक यात्री बस जेएच 01 एए 8433 से अवैध हथियार और 27 गोली बरामद की। बाद में बस को जाने दिया गया था। पुलिस ने इस मामले में सिर्फ सनहा दर्ज किया। हथियार बरामदगी में सनहा दर्ज नहीं होता।
किसे फंसाने के लिए किया गया था प्लांट
इस पूरे मामले में नामकुम पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़ा हो रहा है कि किसी बस से हथियार और गोली मिले और कोई पकड़ा क्यों नहीं गया। पुलिस इस मामले में अब तक एक कदम भी आगे क्यों नहीं बढ़ पायी है। कहीं यह पूरी कहानी प्लांटेड तो नहीं थी। पुलिस ने हथियार बरामदगी जैसे मामले में सिर्फ सनहा दर्ज क्यों किया था। झारखंड पुलिस अब अपने को बदल रही है। नयी टीम इस तरह के मामलों में कार्रवाई कर रही है।