रांची। स्वतंत्रता दिवस पर नयी दिल्ली में लाल किले पर आयोजित मुख्य समारोह में झारखंड के दो किसानों को भी विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। पश्चिमी सिंहभूम जिले के गुदड़ी के किसान दुशासन सिंह और टोंटो के मोहन सिंह बारी ने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है। दुशासन सिंह, जो लोढ़ाई गांव के एक उत्साही शिक्षाविद् हैं, उन्होंने स्कूल छोड़ने वाले बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में वापस लाने के लिए अथक प्रयास किया है। दूसरी ओर, मोहन सिंह बारी बामेबासा गांव के प्रगतिशील किसान हैं। उन्होंने मनरेगा योजना का उपयोग करके आम की बागवानी को अपनाया है और अपनी सफलता से अपने साथी ग्रामीणों को प्रेरित किया है।
15 अगस्त को आयोजित समारोह में भाग लेने के लिए आमंत्रण
दोनों किसानों को 15 अगस्त को लाल किले पर आयोजित होनेवाले स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। यह पहली बार होगा जब दुशासन सिंह और मोहन सिंह बारी राष्ट्रीय राजधानी की यात्रा करेंगे और स्वतंत्रता दिवस समारोह का हिस्सा बनेंगे। वे इस अवसर पर अपने उत्साह और गर्व को व्यक्त करते हुए कहते हैं, उन्हें दिल्ली में 78वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। यह उनके लिए बड़े ही गर्व की बात है। वे वहां जाने के लिए उत्सुक हैं। वे अभी तक टीवी पर ही स्वतंत्रता दिवस समारोह को देखते थे। इस दफा वे पहली बार इस समारोह का हिस्सा बनने जा रहे हैं।
जिला प्रशासन की ओर से दोनों को किया गया नामित
उप विकास आयुक्त संदीप कुमार मीणा ने कहा कि 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर नयी दिल्ली में आयोजित समारोह के लिए विशेष अतिथि के रूप में जिले के आकांक्षी प्रखंड से दो लोगों को नामित करने के लिए झारखंड सरकार के योजना एवं विकास विभाग की ओर से मांग की गयी थी। उसी के आलोक में मोहन सिंह बारी और दुशासन सिंह को नामित किया गया है।
ड्रॉपआउट बच्चों के परिजनों को घर-घर जाकर समझाया
दुशासन सिंह ने बताया कि कैसे उन्होंने अपने समुदाय के बच्चों को शिक्षित करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया है। उन्होंने कहा कि अपने क्षेत्र में ड्रॉपआउट रेट कम करने के लिए घर-घर जाकर बच्चों से मिलते हैं और स्कूल में नामांकन कराते हैं। अभिभावकों को भी शिक्षा के प्रति जागरूक करते हैं। उन्होंने गर्व से कहा कि वे 50 से अधिक ड्रॉपआउट बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में ला चुके हैं। उन्होंने 20-20 किलोमीटर दूर से आनेवाले बच्चों का भी नामांकन विद्यालय में कराया है।
आम की बागवानी और सेब की खेती से बनी पहचान
वहीं, मोहन सिंह बारी ने अपनी यात्रा को याद करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने मनरेगा योजना का उपयोग करके अपनी आम की बागवानी का सपना साकार किया। उन्होंने कहा कि मनरेगा योजना से 2021-22 में लगभग 125 आम के पौधे लगाये थे। उन्हें काफी मेहनत कर सींचा और वर्तमान में सभी पौधे जीवित हैं। इसके अलावा ये अपने यहां सेब की खेती भी कर रहे हैं।