द्विपक्षीय संबंधों पर असर की दी
Author: azad sipahi desk
विपक्ष की लॉबी और पत्रकार दीर्घा जली
अजय शर्मा जमशेदपुर। रांची में मुख्यमंत्री के रूप में रहनेवाले रघुवर दास और जमशेदपुर पूर्वी के विधायक रघुवर दास में असमान-जमीन का फर्क दिखा। बुधवार को रघुवर दास खड़ंगाझाड़ के कम्युनिटी हॉल परिसर में वोट मांगने पहुंचे थे। सुरक्षा के ताम-झाम से दूर प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठे मुख्यमंत्री। सामने मुहल्ले की महिलाएं और बुजुर्ग भी प्लास्टिक की कुर्सी पर ही। कोई मां की भूमिका में, तो कोई बहन, तो कोई भाई की भूमिका में। जमशेदपुर में रघुवर का यह सामान्य चेहरा देखने को मिला। यहां के लिए वह सीएम नहीं हैं और न ही उन्होंने सीएम की कोई छवि…
जुगसलाई/मांडर। आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने दूसरे चरण के प्रचार अभियान के दौरान बुधवार को जुगसलाई और मांडर में कई जनसभाओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि पहले भी एमपी और एमएलए चुने गये हैं, लेकिन कोई मजबूत सोच के साथ आगे नहीं बढ़ा। आजसू की सरकार बनी तो मदरसा के बच्चों को भी एमडीएम दिया जायेगा। आजसू पार्टी हमेशा से महिलाओं के मान-सम्मान के लिए लड़ती रही है। महिलाओं और अल्पसंख्यकों को सबसे ज्यादा टिकट देने वाली पार्टी भी आजसू ही है। उन्होंने कहा कि यह चुनाव वयस्क हो चुके झारखंड का भविष्य तय करेगा। इसलिए सोच-समझ कर वोट…
हजारीबाग। त्रिवेणी सैनिक कंपनी के जीएम गोपाल सिंह की आटो पर सवार अज्ञात अपराधियों ने बुधवार की रात करीब 9.15 बजे शहर के जुलू पार्क में गोली मार कर हत्या कर दी गयी। वह बिहार औरंगाबाद निवासी थे और यहां मटवारी में किराए पर रहत थे। गंभीर हालत में उसे सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। सदर थाना पुलिस मामले की छानबीन में जुटी है। उनके परिजनों ने बताया कि वह जुलू पार्क में किसी से मिल कर लौट रहे थे।
झारखंड विधानसभा के चुनाव के दूसरे चरण के लिए चुनाव प्रचार खत्म होने में अब 12 घंटे से भी कम समय रह गया है और पूरे प्रदेश की निगाहें इन 20 सीटों पर हैं। कहा जा रहा है कि दूसरे चरण का चुनाव ‘महामुकाबला’ है, क्योंकि इन पर जहां भाजपा के सामने ताकत बढ़ाने की चुनौती है, वहीं झामुमो के सामने अपना गढ़ बचाने का चैलेंज है। इस ‘महामुकाबले’ को विभिन्न दलों द्वारा चुनाव मैदान में उतारे गये नये खिलाड़ी बेहद रोमांचक बना रहे हैं। खास बात यह है कि ये सभी नये खिलाड़ी सीटिंग विधायकों के स्थान पर उतारे गये हैं और इनमें से किसी को भी चुनाव लड़ने का कोई अनुभव नहीं है। इन नये खिलाड़ियों के सामने जहां अपने-अपने दल के लिए सीट बरकरार रखने की चुनौती है, वहीं खुद को चुनावी राजनीति में स्थापित करने की महती जिम्मेवारी भी है। इन नये खिलाड़ियों की चुनावी संभावनाओं और इनके कारण रोमांचक हो चुके मुकाबले पर आजाद सिपाही पॉलिटिकल ब्यूरो की विशेष रिपोर्ट।