देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। लगातार दो आम चुनावों में करारी शिकस्त झेलने के बाद कांग्रेस के हौसले पस्त हो गये हैं। अब तो ऐसा लगता है कि इस पार्टी का सितारा पूरी तरह डूबने की कगार पर है। पार्टी के नेताओं को भी अब इसमें कोई भविष्य नहीं दिख रहा है। इसलिए कांग्रेस छोड़ कर जानेवालों की कतार कम नहीं हो रही है। ताजा चर्चा यह है कि राहुल गांधी के कुछ करीबी युवा नेता पार्टी को बाय-बाय करने की तैयारी में हैं। इनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, मिलिंद देवड़ा और जितिन प्रसाद जैसे नेता शामिल हैं। सचिन पायलट का भी पार्टी से मोहभंग हो गया है। इन नेताओं ने कांग्रेस को पहचान दी है, समय दिया है, लेकिन अब यदि ये कांग्रेस को छोड़नेवाले हैं, तो पार्टी नेतृत्व को आत्ममंथन करना चाहिए। कांग्रेस के इस युवा नेताओं के संभावित कदमों के बारे में आजाद सिपाही पॉलिटिकल ब्यूरो की रिपोर्ट।
Browsing: विशेष
रांची। झारखंड में होनेवाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चल रहे मतदाता सूची संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत आठ सितंबर और…
चतरा। हंटरगंज थाना क्षेत्र के बढीबिगहा गांव में गुरुवार की देर रात अज्ञात अपराधियों ने एक युवक की धारदार हथियार…
आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं को रघुवर सरकार की सौगात
एक दिन में एक मंच से 26 हजार 674 युवाओं को दिया रोजगार
आज राजनीति से हट कर एक ऐसे मुद्दे की चर्चा, जो पिछले पांच दिन से हमारे-आपके जीवन से जुड़ गयी है। जी हां, हम बात कर रहे हैं नये मोटर वाहन कानून की, जिसके तहत जुर्माने की रकम को 10 गुना तक बढ़ा दिया गया है। नया कानून भारत के हर वैसे व्यक्ति के लिए एक भयानक सपने की तरह बन गया है। देश के हर कोने में अचानक यातायात पुलिस बेहद सक्रिय हो गयी है। लेकिन दुर्भाग्य से उसकी यह सक्रियता जुर्माना वसूलने के टारगेट को पूरा करने के लिए है, न कि यातायात नियमों का अनुपालन कराने के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए। यदि कोई कानून आम लोगों को तकलीफ देने लगे, तो उसके औचित्य पर सवालिया निशान लग जाता है। ऐसी स्थिति में कानून बनानेवालों को यह विचार करना ही होगा कि क्या उनके द्वारा बनाया गया कानून अपने उद्देश्यों को हासिल करने में सफल रहा है। आजकल देखा जा रहा है कि ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करनेवालों से वसूला गया जुर्माना पुलिस विभाग की उपलब्धि के रूप में दिखाया जा रहा है। यह बेहद दुखद है और खतरा इस बात का है कि कहीं नया कानून बैकफायर न कर जाये। डंडे के जोर पर कानून का पालन करना स्वस्थ समाज की निशानी नहीं है। इसलिए यातायात पुलिस को अपनी कार्यप्रणाली पर विचार करना चाहिए। नये ट्रैफिक कानून के कारण पैदा हुई परिस्थिति पर आजाद सिपाही टीम की विशेष रिपोर्ट।
25 सितंबर के बाद सब कुछ तय हो जायेगा : बाबूलाल मरांडी
विधानसभा चुनाव में झामुमो ही करेगा नेतृत्व : हेमंत सोरेन
नई दिल्ली: ट्रैफिक नियमों में सख्ती कई लोगों को रास नहीं आ रही और राजधानी में एक सिरफिरे ने चालान…
New Delhi : साउथ सुपरस्टार प्रभास और श्रद्धा कपूर स्टारर ‘साहो’ ने दुनिया भर में 350 करोड़ की कमाई कर…
बाधाओं और चुनौतियों का सामना कर वर्तमान सरकार ने पूरा किया कार्य
आइ डोनेशन अवेयरनेस क्लब की बैठक, नेत्रदान और नेत्र प्रत्यारोपण पर फोकस