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बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के राष्टÑीय अध्यक्ष नीतीश कुमार की एक दिवसीय झारखंड यात्रा संपन्न हो गयी। इस यात्रा के बाद राजनीतिक हलकों में यह चर्चा आम है कि नीतीश ने बहुत दूर की सोच कर झारखंड विधानसभा की सभी 81 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। यह ऐलान झारखंड के साथ बिहार और हिंदी पट्टी के दूसरे राज्यों में नये राजनीतिक समीकरण की जमीन तैयार करने का संकेत है। नीतीश की पार्टी का झारखंड में कोई बहुत बड़ा स्टेक नहीं है, लेकिन यह भी सच है कि करीब दर्जन भर सीटों पर जदयू का वोट चुनाव परिणाम को प्रभावित जरूर कर सकता है। इसलिए नीतीश कुमार को झारखंड से पूरी तरह खारिज भी नहीं किया जा सकता है। यह भी सच है कि नीतीश अपनी शर्तों पर राजनीति करते हैं। इसलिए यदि वह एनडीए से अलग होने का फैसला करते हैं, तब भी झारखंड में उनके वोटरों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। नीतीश के वोटर हर हाल में नीतीश का ही साथ देंगे। यह बात भाजपा भी जानती है और विरोधी दल भी। इसलिए चिंता दोनों पक्ष को है, क्योंकि जदयू यदि खुद कोई सीट नहीं जीत सकता है, तो वह इन दर्जन भर सीटों पर किसी भी दल के प्रत्याशी को हराने की ताकत जरूर रखता है। इसलिए तमाम राजनीतिक दल बेहद उत्सुकता से नीतीश की यात्रा को देख रहे हैं। नीतीश की झारखंड यात्रा के राजनीतिक निहितार्थ पर आजाद सिपाही पॉलिटिकल ब्यूरो की खास पेशकश।

गोड्डा। देवढाड़ थाना क्षेत्र राजदाहा गांव में जबरन धर्मांतरण का प्रयास करने के मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए पुलिस…