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आज खबर विशेष में हम बताने जा रहे हैं झारखंड के सबसे बाहुबली और चर्चित परिवार में दो भाइयों के बीच छिड़ी जंग की। आज सिंह मेंशन में मौजूद दो भाई और सूर्यदेव सिंह के वंशज झरिया विधायक संजीव सिंह और उनके छोटे भाई सिद्धार्थ गौतम उर्फ मनीष सिंह आमने-सामने हो गये हैं। दोनों के बीच तनाव इतना बढ़ चुका है कि कभी भी खूनखराबा हो सकता है। दोनों भाइयों के तनाव पर सिर्फ परिवार ही नहीं, राजनीतिक दलों और पूरे कोयलांचल की नजरें भी गड़ी हैं। कहा जा रहा है कि एक ग्रुप की नजरें खास तौर पर सिंह मेंशन पर गड़ी हैं, जो इस परिवार को मटियामेट कराने पर तुला है। दोनों भाइयों के बीच अब विवाद इतना बढ़ चुका है कि किसी भी दिन उनके समर्थकों के बीच गोली बारी की खबरें आ सकती हैं। पेश है आजाद सिपाही की एक रिपोर्ट।

आज के खबर विशेष में हम चर्चा कर रहे हैं झारखंड मुक्ति मोरचा और विपक्षी दलों के बीच पनप रहे रिश्तों के नये रंग की। बुधवार को राजधानी में झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के आवास पर विपक्षी दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इसे महत्वपूर्ण कहना इसलिए उचित होगा कि विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर विपक्षी दलों की यह पहली संयुक्त बैठक है, जो लोकसभा चुनाव के बाद हुई। इस बैठक के बाद जो नयी बात देखने को मिली वह यह कि झामुमो कहीं न कहीं 50 फीसदी सीटों के दावे से पीछे हटता दिख रहा है। यह बड़ी बात है। बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए भी हेमंत सोरेन के सुर नरम दिखे। हालांकि इसके कई कारण हो सकते हैं। पर गौरतलब बात है कि उनका अंदाज बदला हुआ था। बैठक की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि 32 सीटें जो फिलहाल विपक्ष के पास हैं, वे यथावत रहेंगी। यानी जिन दलों के उम्मीदवार वहां से जीते हैं, उन पर उनका ही अधिकार रहेगा। अब संबंधित दल उम्मीदवार बदले ना बदलें, उन पर निर्भर है। इसके अलावा छह सीटें, जो झाविमो के खाते में गयी थीं, पर जीते हुए विधायक पाला बदल कर बीजेपी में चले गये, वे भी यथावत रहेंगी। यह बड़ा निर्णय है और बताता है कि विपक्षी दलों में कहीं न कहीं झामुमो का दबदबा कम हुआ है। इसके कई कारण हो सकते हैं। पर इसका सीधा प्रभाव आगामी विधानसभा चुनाव पर पड़ने जा रहा रहा है, यह स्पष्ट है। पेश है हमारे समन्वय संपादक दीपेश कुमार की रिपोर्ट।