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मुख्यमंत्री हेमंत सोरन ने कांके रोड रांची स्थित मुख्यमंत्री आवास में शुक्रवार को वीर शहीद शेख भिखारी और टिकैत उमरांव सिंह के 163वीं शहादत दिवस के मौके पर उनकी तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया। मुख्यमंत्री ने शहीदों की तस्वीर पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि इन वीर सपूतों की शहादत अतुल्य है। यह हमसभी की जिम्मेवारी है कि हम उनके

जिले में एक बार फिर मानवता शर्मसार कर देनेवाली घटना सामने आयी है। यह घटना चतरा जिले के हंटरगंज थाना क्षेत्र का है। यहां एक विधवा महिला के साथ हैवानों ने दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी। पहले चार युवकों ने सामूहिक दुष्कर्म किया और फिर उसके प्राइवेट पार्ट में गिलास डाल दिया।

देश की कोयला राजधानी धनबाद की सियासत की सूरत और सीरत बदल रही है। युवाओं और महिलाओं में राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं बढ़ गयी हैं। कोयला खदानों एवं आउटसोर्सिंग कंपनियों में वर्चस्व की लड़ाई की परिभाषा

झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य के गांवों के विकास की गाड़ी को निर्वाचित जन प्रतिनिधियों के हाथों से वापस नहीं लेने का फैसला कर ऐसा काम किया है, जिसके दूरगामी परिणाम होंगे। राज्य में कोरोना संक

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोविड-19 टीकाकरण की चल रही तैयारियों की अधिकारियों के साथ समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना टीकाकरण के सफल क्रियान्वयन के लिए समय पूर्व पूरी व्यवस्था दुरुस्त कर ली जाये। उन्होंने इसके लिए सभी विभागों और निजी स्वास्थ्य संस्थाओं के साथ समन्वय बनाने, टीकाकरण स्थल को चिह्नित करने, प्रशिक्षित मानव संसाधन और संबं

वे बौद्धिक हैं, बिना लाग-लपेट के अपनी बातें रखते हैं और झामुमो के सच्चे सिपाही हैं। अपने राजनीतिक कौशल का पूरा इस्तेमाल वे पार्टी हित में करते हैं। वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य हैं। गुरुवार को झामुमो के केंद्रीय कार्यालय में दयानंद राय ने उनसे लंबी बातचीत की। प्रस्तुत है उस बातचीत के संपादित अंश।
सवाल : सीएम के काफिले पर हमला प्रशासनिक चूक है या राजनीतिक साजिश?

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले पर चार जनवरी को रांची के किशोरगंज इलाके में हुए हमले से राज्य की सियासत एकबारगी गरम हो गयी है। सत्तारूढ़ झामुमो और उसके सहयोगी दलों ने जहां इस हमले के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है, वहीं भाजपा इस घटना को राज्य की कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति से जोड़ कर सड़क पर उतर चुकी है। दूसरी तरफ झामुमो ने भी बाकायदा सड़क

राजधानी रांची में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले पर हमले का मुख्य आरोपी भैरव सिंह ने सिविल कोर्ट के न्यायाधीश अभिषेक प्रसाद की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया. अदालत ने उसे ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया है. काफिले पर हमले के बाद से ही भैर

दो दिन पहले राजधानी रांची के किशोरगंज इलाके में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले पर हुए हमले ने एक साथ कई सवाल खड़े कर दिये हैं। इस घटना को महज कानून-व्यवस्था का मामला नहीं माना जा सकता है, बल्कि यह राज्य के लिए एक खतरनाक संकेत है। झारखंड के 20 साल के इतिहास में किसी भीड़ के अचानक सामने आने और हमला करने की अपनी तरह की यह पहली वारदात है। इस वारदात ने राज्य के खुफिया तंत्र, जिला पुलिस-प्रशासनिक तंत्र की भूमिका पर तो सवा

1947 में मिली आजादी के बाद से ही भारत में विकास की अवधारणा को राजनीति से जोड़ दिया गया। तब से लेकर आज तक किसी इलाके के विकास की पूरी जिम्मेवारी राजनीतिक नेताओं के कंधों पर ही है। यह एक हद तक सही भी है, क्योंकि इलाके के विकास के लिए आवाज उठाने की क्षमता और ताकत राजनीतिक लोगों में ही होती है। यदि किसी इलाके के राजनीतिक लोग वहां के विकास के लिए आवाज नहीं उठाते हैं, तो

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले सोमवार को हमला किया गया। यह हमला शाम छह बजे किशोरगंज चौक पर हुआ। हमलावर ओरमांझी में युवती की हत्या के आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे थे। भीड़ में शामिल लोग हाथों में तख्तियां लिए हुए थे। यही भीड़ पहले पुतला जलाती है और फिर सीएम के काफिले पर हमले की योजना भी बनाती है।