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एक नाम धरा पर ऐसा है, जिससे अनगिनत भाव जुड़े हैं। राम, जो सर्वव्यापी है, जो अविनाशी है, जो त्याग की पराकाष्ठा है, जो मानव भेष में महामानव और भगवान है, जो सत्य है, जो धर्म है, जो विजय है, जो अनंत है, जो अविनाशी है, जो भ्रातृत्व है, जो मित्रता है, जो सर्वप्रि

करोड़ों हिंदुओं की आस्था का मंदिर अब बनने जा रहा है। पांच अगस्त 2020 वह ऐतिहासिक दिन होगा, जिस दिन प्रधानमंत्री राम मंदिर का शिलान्यास कर करोड़ों हिंदुओं को उनके प्रिय भगवान राम के मंदिर की सौगात देंगे। राम मंदिर बनना किसी बड़े सपने से कम नहीं है, क्योंकि इसे बनाने में पिछले सैकड़ों सालों का इतिहास है। सैकड़ों साल से संघर्ष की लड़ाई, आंदोलनों की वीरता और लोगों के संयम का फल है कि राम मंदिर बनने का सपना आ

झारखंड सरकार ने प्रदेश में स्कूली शिक्षा की रीढ़ बन चुके पारा टीचरों की कई साल से लंबित मांग को पूरा करने के लिए बड़ा कदम उठा लिया है। राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की बातों पर अगर विश्वास करें, तो सचमुच में राज्य के करीब 65 हजार पारा टीचरों को इंसाफ मिलने की उम्मीद जगी है। इससे पहले किसी भी सरकार ने यह पहल नहीं की थी, बल्कि जब-जब इन शिक्षकों ने अपनी आवाज उठायी या आंदोलन किया, तो या तो उन्हें आश्वासन मिला या फिर पुलिस की लाठी।

पीएम रहते हुए पहले कभी अयोध्या नहीं गये नरेंद्र मोदी पांच अगस्त को राम मंदिर निर्माण के लिए किये जा रहे भव्य भूमि पूजन कार्यक्रम में शिरकत करेंगे और निर्माण के लिए पहला पत्थर रखेंगे। इसके साथ ही एक नयी किस्म की राजनीति के युग की भी शुरुआत होने के आसार हैं। आजाद भारत में सबसे लंबे और पेंचीदे कानूनी मुकदमों में से एक रहे राम जन्मभूमि मामले में यह एक निर्विवाद युग की शुरुआत होगी। इतना ही नहीं, 80 के दशक

झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के लिए वाकई संतोष देनेवाली बात है। अपने कार्यकाल के सात महीने में ही इसने राज्य के उस हक को हासिल करने में कामयाबी हासिल की है, जो आज तक किसी ने नहीं किया था। झारखंड को पहली बार कोयला खनन के लिए उपयोग की जानेवाली सरकारी जमीन के इस्तेमाल के बदले कोल इंडिया ने ढाई सौ करोड़ रुपये दिये हैं औ

देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस की झारखंड इकाई एक बार फिर चर्चा में है, क्योंकि उसके कुछ विधायकों ने सरकार (मंत्रियों) और संगठन के प्रति असंतोष व्यक्त करते हुए केंद्रीय नेताओं के पास शिकायत की है। इन विधायकों की शिकायत यह है कि सरकार और संगठन में इन्हें तवज्जो नहीं दी जा रही है, इनकी बातें नहीं सुनी जा रही हैं।

धूर्त दुश्मनों से घिरे भारत के लिए राफेल विमान उस अक्षय कवच की तरह है, जिसे द्वापर युग में सूर्य ने कर्ण को और त्रेता युग में भगवान राम को गुरु विश्वामित्र ने दिया था। जैसे उस कवच पर किसी भी हथियार का प्रभाव नहीं पड़ता था, ठीक उसी तरह फ्रांस में बने राफेल लड़ाकू विमान को दुनिया की कोई भी आंख न देख सकती है और न मार सकती है।

दिसंबर में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में जब झारखंड में नयी सरकार ने कामकाज संभाला था, तभी कहा गया था कि राज्य की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री ने कई अवसरों पर कहा था कि राज्य का खजाना खाली है और आनेवाले दिनों में कई कड़े फैसले लिये जा सकते हैं। ऐसा हुआ भी और हेमंत सरकार ने फिजूलखर्ची पर सख्ती से रोक लगायी और सरकार की

कोरोना महामारी के दौर में झारखंड ने बहुत कुछ सीखा और समझा है, इसकी ताकत सामने आयी है, तो इसकी कई कमजोरियां भी उजागर हुई हैं। जिस तरह पूरे देश में आजकल सिर्फ और सिर्फ कोरोना संकट को लेकर माथापच्ची हो रही है, उसी तरह सरकार के विभागों में सबसे ज्यादा अगर किसी पर ध्यान जा रहा है, तो वह है स्वास्थ्य विभाग। झारखंड की सवा तीन करोड़ जनता का भी ध्यान यहां के स्वास्थ्य विभाग पर है। जनता हर दिन यह जानना चाह

चमकदार कॉरपोरेट दुनिया से सीधे चुनावी मैदान में धमाकेदार इंट्री करनेवाले गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे एक बार फिर चर्चा में हैं। वैसे तो चुनावी राजनीति में 2009 में उनकी इंट्री ही बेहद चर्चित रही थी, लेकिन लोकसभा सांसद के तीसरे कार्यकाल में वह कई तरह के विवाद में फंसते जा रहे हैं। पहले ठगी और जबरन वसूली के आरोप में 2015 में उनके खिलाफ एक