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वैश्विक महामारी कोरोना के कारण देश भर के धर्म स्थल 25 मार्च से ही बंद हैं। इतना ही नहीं, तमाम धार्मिक आयोजनों पर केंद्र सरकार ने रोक लगा रखी है। झारखंड सरकार ने केंद्र द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप राज्य के धार्मिक स्थलों को बंद कर रखा है। पिछले तीन महीने से राज्य में कोई बड़ा धार्मिक आयोजन भी नहीं हुआ है। सरहुल, चैत्र नवरात्र, रामनवमी, ईद और रथयात्रा जैसे बड़े धार्मिक आयोजन इस साल नहीं हुए और लाखों लोगों की आमदनी का बड़ा स्रोत सूख गया। इसके बावजूद लोगों ने कहीं कोई विरोध नहीं किया। लेकिन गोड्डा के सांसद को सबसे बड़ी तकलीफ देवघर के बाबा मंदिर के बंद रहने के कारण है। उन्होंने इस विश्वप्रसिद्ध

आज से करीब नौ साल पहले अप्रैल, 2011 में जब देश की राजनीतिक राजधानी दिल्ली में महाराष्ट्र के रालेगांव सिद्धी निवासी पूर्व फौजी अन्ना हजारे ने ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ नामक आंदोलन शुरू किया था, सवा सौ करोड़ की आबादी वाले इस देश ने एक नया सपना देखा था। लेकिन तब झारखंड 11 साल का किशोर था और उसे अपने भविष्य की चिंता सता र

देश के राजनीतिक मानचित्र पर 28वें राज्य के रूप में 15 नवंबर, 2000 को उभरे झारखंड के लिए 2020 का साल नये सपने और नये लक्ष्य के साथ सामने आया। कोरोना संकट के कारण करीब तीन महीने से ठप पड़े राज्य का जनजीवन पुराने ढर्रे पर लौटने लगा है, तो सरकार का ध्यान भी दूसरे मोर्चों की तरफ गया है। पिछले 20 साल में झारखंड में क्या हुआ, कैसे हुआ और कितना हुआ, यह अब किसी से छिपा नहीं है। खनिज संपदा से भरपूर इ

देश के कोयले की जरूरत का करीब 70 प्रतिशत हिस्सा पूरा करनेवाला झारखंड इस काले हीरे के अवैध कारोबार के कारण देश भर में चर्चित है। अब यह साफ हो गया है कि कोयले के अवैध कारोबार ने राजनेताओं से लेकर प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के साथ नक्सली संगठनों को खूब पाला-पोसा है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि झारखंड में को

झारखंड सरकार ने कोयले की कॉमर्शियल माइनिंग की नीलामी के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा कर एकबारगी सबको चौंका दिया है। करीब छह महीने पहले सत्ता में आयी हेमंत सोरेन सरकार के इस कदम को राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में आश्चर्य के साथ देखा जा रहा है। आज से पहले न तो बिहार में ऐसा हुआ था और

आजाद सिपाही संवाददाता रांची। केंद्र सरकार ने कोयला क्षेत्र में कामर्शियल माइनिंग के लिए कोल ब्लॉकों की नीलामी की प्रक्रिया…

क्या आपने किसी ऐसे राज्य के बारे में सुना है, जहां की सरकारी मशीनरी केवल सलाहकारों और बाहरी एजेंसियों की नियुक्ति करती हो और उस राज्य की सफाई व्यवस्था से लेकर उद्योग और व्यापार तक की नीतियां कंसल्टेंट तय करते हों। यकीनन आपने ऐसा नहीं सुना होगा, लेकिन झारखंड में पिछले 20 साल में यही होता रहा। तमाम संसाधन और अधिकारियों-कर्मचारियों की फौज उपलब्ध रहने के बावजूद पिछले 20 साल में झारखंड सरकार ने अपना सारा काम बाहरी एजेंसियों और कंसल्टेंट कंपनियों को दे दिया। झारखंड पर यह शिकंजा इतना

अगले कुछ घंटे बाद राज्यसभा की दो सीटों के लिए मतदान शुरू हो जायेगा और तीन में से दो प्रत्याशी शाम होते-होते संसद की ऊपरी सदन के सदस्य चुन लिये जायेंगे। लेकिन इस चुनाव ने झारखंड में एक नया कल्चर, नयी परंपरा स्थापित की है। अब से पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था कि किसी राजनीतिक दल या गठबंधन को अपने विधायकों

1962 के बाद चीन ने एक बार फिर अपनी धोखेबाज फितरत को दोहराया है। इस बार उसने लद्दाख की गलवान घाटी में हमारी पीठ में छुरा भोंका है। सेना की वापसी और सीमा पर तनाव कम करने के बारे में उसके दरवाजे पर गये भारतीय सैनिकों पर उसने घात लगा कर हमला किया और हमारे 20 जांबाज शहीद हो गये। चीन को इस हिमाकत और अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक परंपराओं के उल्लंघन की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है और उसके भी 43 सैनिकों को ह