स्पीकर बोले: यह मिनी विधानसभा है, अहमियत को समझना पड़ेगा
समितियों के अधिकार को मजबूत करने की जरूरत: आलमगीर
रांची। झारखंड विधानसभा की विभिन्न समितियों के सभापतियों की बुधवार को हुई बैठक में यह बात निकलकर सामने आयी कि इन समितियों को कई बार अधिकारी तवज्जो नहीं देते हैं। साथ ही बैठक में सभी सदस्यों को कहा गया कि समिति के कद को उन्हें समझना पड़ेगा। इस पर समिति के सभापतियों ने कहा कि अधिकारियों को भी समिति के कद को अहमियत देनी चाहिए, इसके लिए विधानसभा की ओर से दिशा-निर्देश दिया जाये। स्पीकर रवींद्र नाथ महतो की अध्यक्षता में विधानसभा में हुई इस बैठक में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम भी मौजूद रहे। इस बैठक में समितियों को बताया गया कि कैसे इसका महत्व है। विधानसभा अध्यक्ष ने बैठक के बाद कहा कि इन समितियों के जरिये कई अहम निर्णय लिये जा सकते हैं।
अध्यक्ष ने कहा कि समितियों की पहली बैठक थी, इन समितियों का कार्यकाल एक साल का होता है, इसे मिनी विधानसभा भी कहा जाता है। कहा कि संसदीय कार्य प्रणाली में समिति व्यवस्था एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू है और समितियों की नियुक्तियों की मूल कल्पना यह है किविशिष्टता के साथ विषय वस्तु की गहराई से अध्य्यन कर जनहित में उसका निपटारा किया जाये। सभी समितियों के पास चुनौतीपूर्ण कार्य है, परंतु जनता ने हमें जिन आशाओं के साथ अपना प्रतिनिधि चुना है, उन आशाओं को पूरा करने का एक माध्यम भी है।
अध्यक्ष ने यह भी कहा कि लोक सभा एवं राज्य सभा की विभिन्न स्थायी समितियों के प्रतिवेदन एवं उनमें सन्निहित अनुशंसाओं तथा उनके क्रियान्वयन से संबंधित आंकड़ों का अवलोकन करने पर जानकर सुखद आश्चर्य हुआ कि संसद यानी लोक सभा एवं राज्य सभा की विभागों से संबंद्ध स्थायी समितियों के प्रतिवेदनों के अनुशंसाओ में से लगभग 60 प्रतिशत तक अनुशंसाएं को सरकार द्वारा मान ली जाती है और उनका क्रियान्वयन किया जाता है। वहीं प्रत्यायुक्त विधान समिति की लगभग 80 से 85 प्रतिशत तक अनुशंसाओं को सरकार स्वीकार कर लेती है। सभी विभागों में समिति की कार्रवाई के लिए नोडल अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति कीजानी चाहिए। अध्यक्ष ने कहा कि संसदीय व्यवस्था में विधान मंडल अपना बहुत सारा कार्य समिति के माध्यमों से निष्पादित करती है और गंभीर विषयों पर तार्किक चर्चा के लिए विधान सभा को एक अत्यंत ही प्रभावी माध्यम प्रदान करती है।
पहली बैठक में उठे मुद्दों की जानकारी देते हुए संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि समितियों के अधिकार को मजबूत करने की जरूरत है, क्योंकि कई बार शिकायत मिलती है कि अधिकारी समिति को तरजीह नही देते हैं। जब विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा होता, तो इन समितियों का अधिकार बढ़ जाता है। इसलिए इस बार विधानसभा की समितियों को ज्यादा मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है।