रांची। एस्सार पावर लिमिटेड के आवंटित प्लांट की नीलामी की तैयारी की जा रही है। कंपनी को लातेहार के चंदवा में पावर प्लांट बनाने के लिए अशोका और चकला कोल ब्लॉक आवंटित किया गया था। कंपनी को पावर प्लांट बनाने के लिए कोल ब्लॉक 1993 में आवंटित किया गया था, जिसे 2015 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रद्द कर दिया गया। कंपनी ने काम करने के लिए लगभग 3300 करोड़ रुपये एसबीआइ से लोन लिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कोल ब्लॉक रद्द होने पर कंपनी ने काम बंद कर दिया। वहीं, लोन ली गयी राशि के एवज में कंपनी बैंक की डिफॉल्टर हो गयी। अब एसबीआइ कैप्स की ओर से इस पावर प्लांट को नीलाम करने की तैयारी की जा रही है। इस प्रोजेक्ट में एसबीआइ का अधिक शेयर था। इसके बाद एसबीआइ ने इसे एसबीआइ कैप्स को दिया, जो एसबीआइ की मेजर कपंनी है। बताया जा रहा है कि एसबीआइ कैप्स पावर प्लांट को नीलाम करने जा रही है।
1200 मेगावाट के लिए 2800 करोड़ खर्च
सुप्रीम कोर्ट के कोल ब्लॉक आवंटन रद्द करने तक कंपनी ने लगभग 2800 करोड़ का काम कर लिया था। अनुमान है कि आठ महीने और काम किया जाता, तो प्लांट शुरू हो जाता। जबकि कंपनी ने 3300 करोड़ का लोन ले रखा था। बैंक इंसोल्वेंसी डिफॉल्टर कानून के तहत एनसीएलटी में मुकदमा दर्ज किया। मामला फिलहाल चल रहा है। वहीं साल 2015 में कंपनी को भी दिवालिया घोषित किया गया। जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कंपनी भी बैंकरप्ट हो गयी थी। इस पावर प्लांट बनने पर राज्य को 1200 मेगावाट बिजली मिलती।
2018 में कराया गया था असेस्मेंट
ऊर्जा विभाग के तत्कालीन सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने साल 2018 में पावर प्लांट का असेस्मेंट कराया था। पता चला था कि कंपनी सिर्फ आठ महीने में चालू हो जाती। ऊर्जा विभाग की ओर से तब निर्णय लिया गया था कि ऊर्जा विकास उत्पादन निगम लिमिटेड को पावर प्लांट दिया जाये। निगम सरकार के जरिए प्लांट का अधिग्रहण करता। साथ ही पतरातू को मिलने वाला कोयला लिंकेज इस प्लांट को देने की योजना थी। इसके बाद ऊर्जा सचिव का तबादला हो गया और मामला भी ठंडा पड़ गया। पूर्व सरकार चाहती तो कंपनी का अधिग्रहण कर सकती थी, लेकिन मामला एनसीएलटी में जाने के बाद, अब एसबीआइ कैप्स इसकी नीलामी करायेगा।
Previous Articleझारखंड कांग्रेस के भीतर ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ का खेल!
Next Article सात इनामी सहित 12 नक्सलियों ने छोड़ा संगठन
Related Posts
Add A Comment