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वे बौद्धिक हैं, बिना लाग-लपेट के अपनी बातें रखते हैं और झामुमो के सच्चे सिपाही हैं। अपने राजनीतिक कौशल का पूरा इस्तेमाल वे पार्टी हित में करते हैं। वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य हैं। गुरुवार को झामुमो के केंद्रीय कार्यालय में दयानंद राय ने उनसे लंबी बातचीत की। प्रस्तुत है उस बातचीत के संपादित अंश।
सवाल : सीएम के काफिले पर हमला प्रशासनिक चूक है या राजनीतिक साजिश?

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले पर चार जनवरी को रांची के किशोरगंज इलाके में हुए हमले से राज्य की सियासत एकबारगी गरम हो गयी है। सत्तारूढ़ झामुमो और उसके सहयोगी दलों ने जहां इस हमले के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है, वहीं भाजपा इस घटना को राज्य की कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति से जोड़ कर सड़क पर उतर चुकी है। दूसरी तरफ झामुमो ने भी बाकायदा सड़क

राजधानी रांची में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले पर हमले का मुख्य आरोपी भैरव सिंह ने सिविल कोर्ट के न्यायाधीश अभिषेक प्रसाद की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया. अदालत ने उसे ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया है. काफिले पर हमले के बाद से ही भैर

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले पर चार जनवरी को हुए हमले की जांच शुरू कर दी गयी है। साथ ही कोताही बरतने के आरोप में सुखदेव नगर और कोतवाली के थानेदार को सस्पेंड करने का आदेश दिया गया है। किशोरगंज चौक पर हंगामा हुआ था, वह सुखदे

झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय, रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया और राज्य सरकार के बीच केंद्रीय विद्युत प्रदत्ता लोक उपक्रमों के बकाये भुगतान के लिए त्रिपक्षीय समझौता से बाहर निकलने का निर्णय लिया है। कैबिनेट सचिव अजय कुमार सिंह ने बताया कि यह निर्णय लोकहित में जनता के हित को देखते हुए लिया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के अ

कांग्रेस प्रवक्ता आलोक कुमार दुबे, लाल किशोर नाथ शाहदेव और डॉ राजेश गुप्ता छोटू ने राज्य सरकार से सभी पार्क और मनोरंजन स्थलों को खोलने की अनुमति देने की मांग की है। उन्होंने बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए कोचिंग सेंटर भी खोलने का आग्रह किया है।

दो दिन पहले राजधानी रांची के किशोरगंज इलाके में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले पर हुए हमले ने एक साथ कई सवाल खड़े कर दिये हैं। इस घटना को महज कानून-व्यवस्था का मामला नहीं माना जा सकता है, बल्कि यह राज्य के लिए एक खतरनाक संकेत है। झारखंड के 20 साल के इतिहास में किसी भीड़ के अचानक सामने आने और हमला करने की अपनी तरह की यह पहली वारदात है। इस वारदात ने राज्य के खुफिया तंत्र, जिला पुलिस-प्रशासनिक तंत्र की भूमिका पर तो सवा

सोमवार को मुख्यमंत्री के काफिले पर हमला करने के मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिये गये हैं। इस मामले की जांच के लिए मंगलवार को उच्चस्तरीय कमेटी बना दी गयी है। दो सदस्यीय कमेटी की अध्यक्षता एक आइएएस अधिकारी करेंगे। इस कमेटी में एक आइजी स्तर के अधिका

मुद्दे उठाओ, संघर्ष करो, तभी सत्ता में वापसी संभव- यह बदलते धनबाद की आवाज है। धनबाद के जनमानस की अब यही वाक्य शैली बन गयी है। बदलते धनबाद की दास्तान और मंजर की तटस्थ रिपोर्ट से आजाद सिपाही आपको लगातार अपडेट कर रहा है। इसी कड़ी में हमने आपको बताया है कि कैसे कभी लालखं

1947 में मिली आजादी के बाद से ही भारत में विकास की अवधारणा को राजनीति से जोड़ दिया गया। तब से लेकर आज तक किसी इलाके के विकास की पूरी जिम्मेवारी राजनीतिक नेताओं के कंधों पर ही है। यह एक हद तक सही भी है, क्योंकि इलाके के विकास के लिए आवाज उठाने की क्षमता और ताकत राजनीतिक लोगों में ही होती है। यदि किसी इलाके के राजनीतिक लोग वहां के विकास के लिए आवाज नहीं उठाते हैं, तो

मुख्यमंत्री के काफिले पर हमला करने के मामले की जांच तेज कर दी गयी है। शनिवार को दो सदस्यीय हाई लेवल कमेटी ने रांची के डीसी, एसएसपी, टैÑफिक एसपी से साढ़े तीन घंटे तक पूछताछ की। इस क्रम में कोतवाली और सुखदेवनगर के पूर्व थानेदारों से भी पूछताछ की गयी।